इंसान के जीवन में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है उसका स्वास्थ्य, जो कि अन्य सभी चीजों से सबसे ऊपर है। यही वजह है कि यह भी कहा जाता है कि यदि धन गया, तो कुछ नहीं गया, लेकिन यदि स्वास्थ्य गया, तो कुछ गया।
यदि मनुष्य का स्वास्थ्य बेहतर है, तो वह किसी भी काम को पूरे शारीरिक और मानसिक श्रम के साथ कर सकता है। लेकिन, यदि स्वास्थ्य खराब है, तो किसी भी काम को करना मुश्किल होता है।
ऐसे में जब भी हमारा स्वास्थ्य खराब होता है, तो हम सबसे पहले डॉक्टर का रूख करते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी हम किसी क्लीनिक, अस्पताल या एंबुलेंस की सुविधा लेते हैं, तो उस पर लाल रंग से एक प्लस का चिह्न होता है।
ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मेडिकल फील्ड में लाल रंग के प्लस का चिह्न क्यों इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम इस सवाल का जवाब जानेंगे।
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प्लस नहीं क्रॉस होता है चिह्न
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि हम जिस चिह्न को प्लस के रूप में देखते हैं, वह वास्तविक रूप में रेड क्रॉस से लिया गया है, जो कि हर अस्पताल, एंबुलेंस और क्लीनिक पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस्लामिक देशों में इस चिह्न को बदल दिया गया था।
रेड क्रॉस होता है हेल्थ केयर चिह्न
रेड क्रॉस एक हेल्थ केयर चिह्न होता है, जो कि मेडिकल सेवाओं में वालंटियरी के लिए रेड क्रास सोसायटी की ओर से इस्तेमाल किया गया था। इस सोसायटी की स्थापना साल 1863 में हेनरी डुनंट ने की थी। अब आप सोच रहे होंगे कि रेड क्रॉस खतरे के लिए होता है। ऐसे में मेडिकल सुविधाओं में इस तरह का चिह्न क्यों इस्तेमाल किया गया।
क्यों इस्तेमाल किया गया लाल रंग का चिह्न
यह बात हम सभी जानते हैं कि लाल रंग का मतलब खतरे का होता है। ऐसे में खतरे का निशान लाल रंग का होता है। उस समय लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए इस रंग का इस्तेमाल किया गया, जो कि ऊंचाई पर लगा होने का कारण दूर से ही दिखा जाता था। ऐसे में क्रॉस चिह्न को प्लस चिह्न का रूप देकर इस्तेमाल किया गया।
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