ऊर्जा के गैर - अक्षय संसाधन

Dec 10, 2015, 15:59 IST

ऊर्जा प्रकृति में स्वतंत्र रूप से मौजूद है लेकिन उसमे से कुछ असीमित मात्रा में मौजूद है जो कभी समाप्त नहीं होती, उसे नवीकरणीय ऊर्जा कहा जाता है जबकि बाकी ऊर्जा सीमित मात्रा में उपलब्ध है,जिसे बनने में तो करोड़ों साल लग जाते हैं लेकिन समाप्त एक दिन में हो जाती है,इन्हें गैर- नवीकरणीय/अनवीकरणीय ऊर्जा संसाधन कहा जाता है। गैर- नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों (कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस) और यूरेनियम से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है। जीवाश्म ईंधन मुख्य रूप से कार्बन से बनता है।

ऊर्जा प्रकृति में स्वतंत्र रूप से मौजूद है लेकिन  उसमे से कुछ असीमित मात्रा में मौजूद है जो कभी समाप्त नहीं होती, उसे  नवीकरणीय ऊर्जा कहा जाता है जबकि  बाकी ऊर्जा सीमित मात्रा में उपलब्ध है,जिसे बनने में तो करोड़ों साल लग जाते हैं लेकिन समाप्त एक दिन में हो जाती है,इन्हें गैर- नवीकरणीय/अनवीकरणीय ऊर्जा संसाधन कहा जाता है। गैर- नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों (कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस) और यूरेनियम से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है। जीवाश्म ईंधन मुख्य रूप से कार्बन से बनता  है।

ऊर्जा कई स्रोतों से आती है और इन स्रोतों का वर्णन करने के लिए हम दो शब्दों के उपयोग करते हैं : नवीकरणीय  और गैर-नवीकरणीय।

गैर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को पुनः उपयोग  नहीं जा सकता अर्थात इनका एक बार उपयोग करने के बाद पुनर्नवीकरण (करोड़ों सालों तक ) नहीं किया जा सकता । गैर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं।

जीवाश्म ईंधन

जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) उन जानवरों और पौधों के अवशेषों से बने हैं जो सेंकड़ों-लाखों साल पहले (डायनासोर के समय से पहले) जीवित थे। ये कार्बोनिफेरस काल के दौरान बने थे। उन पौधों ने जो करोड़ों वर्ष पहले जीवित थे, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल दिया गया|  यह 'सौर ऊर्जा'  (और अभी भी है) खाद्य श्रृंखला अर्थात जीवों में स्थानांतरित हो गई,  और जब ये जीव मर गए,तो रासायनिक ऊर्जा उनमें ही संचित रह गयी|

किसी जीवाश्म ईंधन के बनने में तीन महत्वपूर्ण चरण जरूरी हैं: कार्बनिक पदार्थ (जानवर या पौधों के अवशेष) का संचय, कार्बनिक पदार्थ के संरक्षण अर्थात उसे ऑक्सीकरण से बचाने के लिए हवा का बहिष्कार (उदाहरण के लिए, समुद्र या दलदल में होना) और जीवाश्म ईंधन-जैसे तेल ओर प्राकृतिक गैस को कार्बनिक पदार्थ में रूपांतरित होना|  यह आमतौर पर कार्बनिक पदार्थों का तलछट की परतों से ढकने के कारण होता है,जिसके कारण दबाव व गर्मी बढ़ जाती है (50–150°C)| जीवाश्म ईंधन को गैर नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में वर्णित किया जाता है,क्योंकि इस प्रक्रिया को घटित होने में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं |
जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन होता है,जो एक ग्रीन हाउस गैस है ।कोयले अर्थात एक प्रकार के जीवाश्म ईंधन के जलने से सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड ही पैदा नहीं होता है,बल्कि यह सल्फर भी वायुमंडल में छोड़ता है,जिससे वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है|

कोयला

कोयला एक ठोस जीवाश्म ईंधन है जिसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है : लिग्नाइट, बिटुमिनस और एन्थ्रेसाइट । लिग्नाइट कोयला पृथ्वी की सतह के करीब पाया जाता है और इसका खनन आसान है परंतु इसमें सल्फर की मात्रा काफी अधिक होती है | बिटुमिनस कोयला सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाला कोयला है जिसे हम जलाते हैं, और यह लिग्नाइट की तुलना में कम प्रदूषण फैलाने वाला होता है। एन्थ्रेसाइट उच्चतम गुणवत्ता का कोयला है, यह काला और चमकदार होता है और पृथ्वी की गहराई में पाया जाता है। कोयले के जलने से होने वाले प्रदूषण के अलावा, कोयला का खनन भी पर्यावरण में समस्याएँ पैदा करता है क्योंकि कोयले के खनन के लिए हमें जमीन को खोदना पड़ता है|

तेल

तेल एक तरल जीवाश्म ईंधन है जोकि गहरा भूरा, पीला या हरे रंग का हो सकता है |एक बार इसके भण्डार का पता लग  जाने पर इसका खनन आसान है क्योंकि तरल होने के कारण यह आसानी से पाइप के माध्यम से प्रवाहित हो सकता है जिसके कारण इसका परिवहन आसान होता है | हालांकि इसका पता लगाना कठिन  होता है|तेल के संग्रहों को पहचानने और  इन संग्रहों का पता लगाने  के लिए तथा संभावित ड्रिलिंग साइटों को खोजने के लिए वैज्ञानिकों  को चट्टानों और भू आकृतियों का अध्ययन करना चाहिए । एक बार छेद किया जाता  है और यदि वहाँ  तेल पाया जाता है, तो इसे फिर उपरी सतह को लाया जाता है, इसे 'कच्चा तेल' कहा जाता है। कच्चे तेल को रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है जो इसे अलग अलग तापमान पर गरम करते हैं और  आंशिक आसवन नामक प्रक्रिया के माध्यम से अलग अलग प्रकार के ईंधन ( जैसे कि पेट्रोल, जेट ईंधन और डीजल आदि  ) अलग करते हैं | तेल को केवल परिवहन के लिए ही नहीं इस्तेमाल किया जाता है  बल्कि इसे अलग-अलग उत्पादों जैसे प्लास्टिक, टायर और सिंथेटिक सामाग्री (जैसे -पॉलिएस्टर) के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाता है |

प्राकृतिक गैस

जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये जीवाश्म ईंधन गैस(उदहारण के लिए, मीथेन और रसोई गैस ) के रूप में है | यह अक्सर महासागरों के नीचे और तेल भंडार के पास पाई जाती है। प्राकृतिक गैस संग्रहों का सर्वेक्षण करना तेल की खोज करने के समान ही है। एक बार  प्राकृतिक गैस क्षेत्र के बारे में पता चल जाता है तो इसके ड्रिलिंग प्रक्रिया भी तेल की प्रक्रिया के समान होती है| गैस को उसके स्रोतों से पाइप के माध्यम से निकाला जाता है व बाद में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा कर लिया जाता है । प्राकृतिक गैस का उपयोग खाना पकाने और तपन के रूप में किया जाता है  और साथ ही साथ कई प्रकार के उत्पादों को बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है,जैसे प्लास्टिक, उर्वरक और दवाइयाँ |

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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