किन विशेषताओं ने पश्चिमी घाटों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में स्थान दिलाया?

Jul 7, 2016, 12:04 IST

पश्चिमी घाट तापी नदी के पहाड़ से लेकर कन्याकुमारी अंतरीप तक, 1600 किमी में फैला हुआ है। इसकी औसत उंचाई 1200 मीटर है। यह एक वास्तविक पहाड़ी श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह प्राद्वीपीय पठार का दरार स्थान है। पश्चिमी घाटों की ऊंचाई उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ने पर बढ़ती जाती है जबकि पूर्वी घाटों की उंचाई दक्षिण से उत्तर की तरफ बढ़ने पर बढ़ती है।

पश्चिमी घाट तापी नदी के पहाड़ से लेकर कन्याकुमारी अंतरीप तक, 1600 किमी में फैला हुआ है। इसकी औसत उंचाई 1200 मीटर है। यह एक वास्तविक पहाड़ी श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह प्राद्वीपीय पठार का दरार स्थान है। पश्चिमी घाटों की ऊंचाई उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ने पर बढ़ती जाती है जबकि पूर्वी घाटों की उंचाई दक्षिण से उत्तर की तरफ बढ़ने पर बढ़ती है। पूर्वी घाटों की तुलना में पश्चिमी घाट अधिक अविच्छिन्न हैं।

पश्चिमी घाट का स्थान (Location of Western Ghat):

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पश्चिमी घाट के बारे में तथ्यः

1. पश्चिमी घाट तापी नदी के पहाड़ से लेकर कन्याकुमारी अंतरीप तक, 1600 किमी में फैला हुआ है।

2.  इसकी औसत उंचाई 1200 मीटर है।

3. पश्चिमी घाटों की ऊंचाई उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ने पर बढ़ती जाती है जबकि पूर्वी घाटों की उंचाई दक्षिण से उत्तर की तरफ बढ़ने पर बढ़ती है।

4. पूर्वी घाटों की तुलना में पश्चिमी घाट अधिक अविच्छिन्न हैं।

5. पश्चिमी घाट का तटीय मैदान सूरत से कन्याकुमारी तक फैला है जिसे चार हिस्सों में बांटा जाता है–

  • गुजरात का मैदान– गुजरात का तटीय क्षेत्र
  • कोंकण मैदानदमन और गोवा के बीच
  • कन्नड मैदान– गोवा और मैंगलोर के बीच
  • मालाबार मैदान– मैंगलोर और कन्याकुमारी के बीच

6. पश्चिमी घाटों को सहयाद्री के नाम से भी जाना जाता है।

7. यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल (2012 में शामिल किया गया) है और विश्व में जैव विविधता वाले आठ "सबसे आकर्षक केंद्रों" में गिना जाता है।
8. दक्कन के पठार के पश्चिमी छोर के साथ यह श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती है और घाट को संकरे तटीय मैदान, जिसे कोंकण कहते हैं, को अरब सागर के साथ विभाजित करती है।

9. पश्चिमी घाटों के क्षेत्रों में करीब 7,402 प्रजातियों के फूलों वाले पौधे, स्तनपायियों की 139 प्रजातियां, पक्षियों की 508 प्रजातियां, गैर– फूलदार पौधों की 1814 प्रजातियां, 179 उभचर प्रजातियां, कीड़े– मकौड़ों की 6000 प्रजातियां और मीठे पानी वाली मछलियों की 290 प्रजातियां पाई जाती हैं।

10. पश्चिमी घाट हजारों पशु प्रजातियों का निवास स्थान है जिसमें कम– से–कम 325 प्रजातियां ऐसी हैं जिनके अस्तित्व पर विश्व में खतरा पैदा हो चुका है। इनमें से कई, विशेष तौर पर उभयचर और सरीसृप श्रेणियों में, स्थानिक प्रजातियां हैं।

11. पश्चिमी घाट दक्कन के पठार का अपूर्ण और घिसा हुआ किनारा है।

12. पश्चिमी घाट मुख्य रूप से बेसाल्ट चट्टानों से बना है जिसकी मोटाई करीब 3 किमी (2 मील) है I

13. ग्रनेनाइट शैल, खोनडालाइट्स, लेपटिनाइट्स, रुपांतरिक शैल, अवशिष्ट लैटराइट और बॉक्साइट अयस्क चट्टानों के प्रकार है और इस इलाके में भी पाए जाते हैं।

14. दक्षिण भारत (तमिलनाडु) में इस श्रृंखला को नीलगिरीमलाई के नाम से जाना जाता है।

15. निम्नलिखित पहाड़ पश्चिमी घाटों पर स्थित हैं–

क. नीलगिरी हिल्स– भारत का नीलगिरी हिल्स अवरुद्ध पहाड़ी है जिसे ब्लू माउंटेन के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के इलाके में पड़ता है और इसकी सबसे उंची चोटी "डोडा बेटा" है।

ख. प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उदगमंडलम (उटी) है जो नीलगिरी इलाके में स्थित है।

ग. अन्नामलाई हिल्सः यह नीलगिरी हिल्स के दक्षिण में स्थित है। इसकी सबसे उंची चोटी अनाईमुडी (2695 मी) है। यह पश्चिमी घाट की भी (या पूरे दक्षिण भारत में) सबसे उंची चोटी है।

घ. कार्डेमम हिल्सः यह भारत का सबसे दक्षिणी पहाड़ी श्रृंखला है। इसमें स्नेहकोट्टा की खाई स्थित है।

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