गोलकुंडा का किला क्यों विशेष है?

यह किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। यह किला 1143 में बनवाया गया था। ऐतिहासिक गोलकोंडा किले का नाम तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' पर रखा गया है| किसी जमाने में गोलकुंडा के इलाके की हीरे की खान से कोहेनूर हीरा निकला था। यह पूरा किला एक बड़े ग्रेनाइट के पहाड़ पर बना है। इसके बगल में मूसी नदी बहती है।

Aug 16, 2016, 15:01 IST

यह किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। ऐतिहासिक गोलकोंडा किले का नाम तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' पर रखा गया है शुरुआत में यह मिट्टी का किला था। मुहम्मद शाह और कुतुब शाह के जमाने में इसे विशाल चट्टानों से बनवाया गया। देश के सबसे बड़े और सुरक्षित किलों में से एक गोलकुंडा बहमनी के शासकों के भी अधीन रहा। किसी जमाने में गोलकुंडा के इलाके की हीरे की खान से ही कोहेनूर हीरा निकला था। इसके बगल में मूसी नदी बहती है।

गोलकोंडा के किले की तस्वीर:

Image Source:www.youtube.com

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गोलकोंडा के किले के बारे में–

1. आरंभ में यह मिट्टी से बना किला था लेकिन कुतुब शाही वंश के शासनकाल में इसे ग्रेनाइट से बनवाया गया।
2. दक्कन के पठार में बना यह सबसे बड़े किलों में से एक था, इसे 400 फुट उंची पहाड़ी पर बनवाया गया था।
3. इसमें सात किलोमीटर की बाहरी चाहरदीवारी के साथ चार अलग– अलग किले हैं। चाहरदीवारी पर  87 अर्द्ध बुर्ज, आठ द्वार और चार सीढ़ियां हैं।
4. इसमें दुर्ग की दीवारों की तीन कतार बनी हुई है। ये एक दूसरे के भीतर है और 12 मीटर से भी अधिक उंचे हैं।

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5. सबसे बाहरी दीवार के पार एक गहरी खाई बनाई गई है जो 7 किलोमीटर की परिधि में शहर के विशाल क्षेत्र को कवर करती है।
6. इसमें 8 भव्य प्रवेश द्वार हैं जिन पर 15 से 18 मीटर की उंचाई वाले 87 बुर्ज बने हैं।
7. इनमें से प्रत्येक बुर्ज पर अलग– अलग क्षमता वाले तोप लगे थे जो किले की अभेद्य और मध्ययुगीन दक्कन के किलों में इसे सबसे मजबूत किला कहा जाता था।
8. माना जाता है कि गोलकोंडा के किले में एक गुप्त भूमिगत सुरंग थी जो 'दरबार हॉल' से पहाड़ी की तलहटी तक जाती थी।
9. यह इलाके के सबसे शक्तिशाली मुस्लिम सुल्तनतों और फलते– फूलते हीरे के व्यापार की जगह थी।
10. किला खुद में एक पूरा शहर था, जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
11. किले में बनी अन्य इमारतें हैं– हथियार घर, हब्शी कमान्स (अबीस्सियन मेहराब), ऊंट अस्तबल, तारामती मस्जिद, निजी कक्ष (किलवत), नगीना बाग, रामसासा का कोठा, मुर्दा स्नानघर, अंबर खाना और दरबार कक्ष आदि।
12. किले में स्वदेशी जल आपूर्ति प्रणाली थी। रहट से इक्ट्ठा किए गए पानी को अलग– अलग स्थानों पर उपर बनी टंकियों में जमा किया जाता था और फिर बाद में उसे अलग– अलग महलों, विभागों, छत पर बने बागीचों और फव्वारों में वितरित किया जाता था।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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