तितलियों के रंग का रहस्य
विशिष्ट ज्यामितिय संरचना इसका कारण:
तितलियों को देख कर कौन खुश नहीं होता है। रंग-बिरंगी तितलियां सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। हाल में अमेरिका की येल यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस तथ्य का पता लगाया है कि कुछ तितलियों के पंखों के शानदार चमकते हुए रंग रंजकों यानि पिगमेंट की वजह से नहीं होते हैं बल्कि उनकी कोशिकाओं की विशिष्ट ज्यामितिय संरचना के कारण होते हैं। इस शोधकर्ता दल का नेतृत्व भारतीय मूल के वैज्ञानिक विनोद कुमार सारनाथन ने किया।
शोधकर्ता दल ने तितलियों के पंखों के शल्कों की त्रि-आयामी आंतरिक संरचना को जानने के लिए एक्स-रे विवर्तन तकनीक का प्रयोग किया। उन्होंने पाया कि पंखों पर काफी सूक्ष्म संरचनाएं होती हैं जिन्हें गायरॉयड कहा जाता है जो एक सामान्य क्रिस्टल की तरह ही प्रकाश का विवर्तन करती हैं।
गायरॉयड की सबसे खास बात यह होती है कि इससे बने रंग स्थायी होते हैं, रंजकों के रंग की तरह फीके नहीं पड़ते हैं। अपनी इसी गुण की वजह से, गायरॉयड प्रकाशिकी यानि ऑप्टिक्स में ही नहीं बल्कि सौर-ऊर्जा तकनीकी में भी महत्वपूर्ण बन गए हैं। इसका उपयोग अब अधिक सक्षम सौर सेलों के निर्माण में किया जा रहा है।
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