भारत की उपग्रह प्रक्षेपण प्रणाली का विकास कैसे हुआ है?

विशाल रॉकेट जो उपग्रह, रोबोटिक अंतरिक्ष यान और मानव सहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाते हैं, 'प्रक्षेपण यान' (Launching Vehicle) कहलाते हैं। भारत का प्रथम प्रायोगिक प्रक्षेपण यान (एसएलवी-3) वर्ष 1980 में विकसित किया गया और बाद में इसी के संवर्धित संस्‍करण एएसएलवी (ASLV) का प्रक्षेपण 1992 ई.  में किया गया। वर्तमान में 'ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान' (PSLV) और 'भूतुल्‍यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान' (GSLV) का प्रयोग किया जा रहा है |

Mar 15, 2016, 13:29 IST

विशाल रॉकेट जो उपग्रह, रोबॉटिक अंतरिक्ष यान और मानव सहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाते हैं, प्रक्षेपण यान (Launching Vehicle) के रूप में जाने जाते हैं।प्रक्षेपण यान में तीन या चार चरण होते हैं। पृथ्वी की सतह से प्रक्षेपित होने के बाद प्रक्षेपण यान एक उपग्रह/अंतरिक्ष यान को उसकी अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए दस से तीस मिनट तक का समय लेता है।

भारत का प्रथम प्रायोगिक प्रक्षेपण यान (एसएलवी-3) 1980 में विकसित किया गया और बाद में इसी के संवर्धित संस्‍करण एएसएलवी (ASLV) का प्रक्षेपण 1992 ई.  में किया गया। वर्तमान में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भूतुल्‍यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) का प्रयोग किया जा रहा है | आज भारत न केवल उपग्रहों के प्रक्षेपण के मामले में आत्मनिर्भर है बल्कि कई अन्य देशों के उपग्रहों का वाणिज्यिक आधार पर प्रक्षेपण भी कर रहा है |

उपग्रह प्रमोचन यान-3 (SLV-3)

  • अगस्त 1979 में एसएलवी-3 की पहली प्रयोगात्मक उड़ान आंशिक रूप से ही सफल रही थी।
  • उपग्रह प्रमोचन यान-3 (SLV-3) भारत का पहला सफल प्रायोगिक उपग्रह प्रक्षेपण यान है जिसे 18 जुलाई 1980 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र,श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था | इसके द्वारा रोहिणी उपग्रह आरएस-1 को कक्षा में स्थापित किया गया |
  • उपग्रह प्रमोचन यान-3 ,22 मी. ऊँचा, संपूर्णतः ठोस, 17 टन वजन वाला का चार चरण से युक्त प्रक्षेपण यान है, जो 40 कि.ग्रा. भार तक के नीतभारों (Payloads) को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।
  • अगस्त 1979 में एसएलवी-3 की पहली प्रयोगात्मक उड़ान आंशिक रूप से ही सफल रही थी। जुलाई,1980 के प्रक्षेपण के अलावा मई,1981 और अप्रैल,1983 में भी एसएलवी-3 द्वारा सुदूर संवेदी संवेदकों (Remote Sensing Sensors) से युक्त रोहिणी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया।

संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV)      

  • संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान ( Augmented Satellite Launch Vehicle -ASLV) का विकास 150 कि.ग्रा. अर्थात् एसएलवी से तीन गुने, भार वाले नीतभारों (Payloads) को निम्न कक्षा में स्थापित करने के लिए किया गया था |
  • एएसएलवी कार्यक्रम के अंतर्गत चार विकासात्मक उड़ानें आयोजित की गईं।
  • इसकी पहली विकासात्मक उड़ान 24 मार्च,1987 को और दूसरी उड़ान 13 जुलाई,1988 को संपन्न हुई ।
  • 20 मई, 1992 को एएसएलवी-डी3 को सफलतापूर्वक तब प्रक्षेपण किया गया जब SROSS-C (106 कि.ग्रा.) को 255 x 430 कि.मी. की कक्षा में स्थापित किया गया।
  • 4 मई, 1994 को प्रक्षेपित एएसएलवी-डी4 द्वारा SROSS-C2 (106 कि.ग्रा.) को कक्षा में स्थापित किया गया ।
  • एएसएलवी ने उच्चतर विकास के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।
  • पीएसएलवी अर्थात् ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ( POLAR SATELLITE LAUNCH VEHICLE-PSLV) इसरो का प्रथम प्रचालनात्मक प्रक्षेपण यान है।
  • पीएसएलवी 1600 कि.ग्रा. भार वाले उपग्रहों को सूर्य तुल्‍यकालिक ध्रुवीय कक्षा में 620 कि.मी. पर और 1050 कि.ग्रा. भार के उपग्रहों को भूतुल्‍यकालिक  अंतरण (Transfer) कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है। 
  • पीएसएलवी में बारी-बारी से ठोस और द्रव नोदन प्रणाली (Propulsion System) का उपयोग करते हुए चार चरण हैं। प्रथम चरण विश्‍व में सर्वाधिक बड़े ठोस नोदन बूस्‍टरों में से एक है और 139 टन नोदक वहन करता है।
  • प्रथम चरण मोटर के साथ छह स्‍ट्रेप-ऑन का समूह जुड़ा है, जिनमें से चार भूमि पर प्रज्‍वलित किए जाते हैं और दो हवा में प्रज्‍वलित किए जाते हैं।
  • पीएसएलवी की विशेषताएँ-
  • ऊँचाई : 44 मी.
  • व्यास : 2.8 मी.
  • चरणों की संख्या : 4
  • उत्थापन क्षमता (Lift Off Mass): 320 टन (PSLV-XL)
  • प्रकार : 3 (PSLV-G, PSLV-CA, PSLV-XL)
  • प्रथम प्रक्षेपण :20 सितम्बर,1993

  • चंद्रयान-1, मंगल ऑर्बिटर मिशन, स्पेस कैप्सूल रिकबरी प्रयोग और आईआरएनएसएस  (IRNSS) जैसे ऐतिहासिक मिशनों में पीएसएलवी का ही प्रयोग किया गया है | इसने 19 देशों के 40 उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया है | 2008 में विभिन्न कक्षाओं में एक साथ दस उपग्रहों को स्थापित कर इसने नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया |

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान  (PSLV)

भूतुल्यकालिक  उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV)

  • भूतुल्यकालिक  उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle-GSLV) का विकास प्रारंभ में  इन्सैट श्रेणी के उपग्रहों को भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करने के लिए किया गया था|
  •  इसका प्रयोग जीसैट श्रेणी के उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए किया जा रहा है |
  • यह तीन चरण से युक्त है,प्रथम चरण में ठोस बूस्टर ,द्वितीय चरण में द्रव इंजन और तृतीय चरण में क्रायोजेनिक तकनीक का प्रयोग होता है |
  • जीएसएलवी की प्रथम उड़ान 1540 कि.ग्रा. भार वाले जीसैट-1 के प्रक्षेपण द्वारा 18 अप्रैल, 2001 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ,श्रीहरिकोटा से संपन्न हुई।
  • जीएसएलवी की विशेषताएँ-
  • ऊँचाई : 49.13 मी.
  • व्यास : 3.4 मी.
  • चरणों की संख्या : 3
  • उत्थापन क्षमता (Lift Off Mass): 414.75 टन
  • प्रथम प्रक्षेपण : 18 अप्रैल, 2001

Image source: www.isro.gov.in

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