भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक अदभुत संस्कृति ने जन्म लिया, जहाँ साहित्यिक धरोहरों का अवतरण हुआ, जहाँ विश्वास की पराकाष्ठा ने पत्थर को भगवान के रूप में मान लिया, जहाँ नदियों को भी माता कहकर पुकारा गया | भारत की इन नदियों का महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है क्योंकि इनकी चर्चा वेदों और पुराणों में होने के साथ-साथ भारत के कई त्योहारों का आधार भी ये नदियाँ ही हैं |
1. गंगा नदी — भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्र प्रयाग के निकट गंगोत्री हिमनद से गोमुख नामक स्थान से अवतरित होने वाली गंगा अपनी 2525 किमी अर्थात 1569 मील की यात्रा को अलकनन्दा के नाम से प्रारंभ करके पद्मा के रूप में पूर्ण करती है। गंगा का चरम महत्व हरिद्वार, प्रयाग और काशी में देखा जा सकता है। भारतीय हिन्दु मान्यताओं के अनुसार गंगा पालनहार भगवान विषणु के चरणों से उत्पन्न और भगवान शिव की जटाओं मे निवास करने वाली है। गंगा की चर्चा ऋग्वेद, महाभारत, रामायण, पुराणों एवं ब्राम्हण ग्रंथों में पुण्य सलिला, पाप नाशिनि, मोक्ष दायिनि आदि नामो से मिलती है। पंचामृत में गंगाजल को भी एक अमृत कहा गया है। गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है जिसकी मुख्य सहायक नदियां यमुना, रामगंगा, कोसी, गंडक, घाघरा, सोन, महानंदा आदि है। 3892 मीटर अर्थात् 12769 फीट की ऊॅचाई से अवतरित गंगा 907000 वर्ग किमी अर्थात् 3,50,195 वर्ग मील की घाटी का निर्माण करती हे।
Image source: www.akshardhool.com
2. यमुना नदी — भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले के बंदरपूंछ चोटी नामक स्थान के यमुनोत्री से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तक की 1376 किमी अर्थात् 855 मील की यात्रा करते हुए गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी सहायक सर्वप्रमुख नदियां हिंडन, शारदा, चम्बल, वेतवा, केन आदि हैं। यमुना नदी 3,66,223 वर्ग् किमी अर्थात् 1,41,399 वर्ग मील की घाटी का निर्माण करती है। पौराणिक धर्मग्रंथों विष्णु पुराण, रामायण आदि में चर्चित यमुना को सूर्य पूत्री एवं यम की बहन के साथ—साथ भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी तक का दर्जा प्राप्त है।
Image source:cleanyamunariver.blogspot.com
रावण के बारे में 10 आश्चर्यजनक तथ्य
3. सरस्वती नदी — वर्तमान युग में लगभग गौण हो चुकी सरस्वती नदी की चर्चा विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद मे भी है। प्राचीन काल में रूपण हिमनद अर्थात् उत्तराखण्ड की शिवालिक पर्वतमाला से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सरस्वती नदी 1600 किमी अर्थात् 994 मील के पश्चात् अरब सागर तक जाती थी। वर्तमान समय में लोगो के विचार में अन्त: सलिला बनकर त्रिवेणी संगम में इसका मिलन गंगा एवं यमुना के साथ होता है।
Image source:aajtak.intoday.in
4. गोदावरी नदी — गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सर्वप्रमुख नदी है। यह अपनी यात्रा पश्चिम घाट की पर्वत श्रेणी के अन्तर्गत त्रिम्बक पर्वत से प्रारंभ करती है तथा 1450 किमी की यात्रा करते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है। इसे गौतमी एवं वृद्ध गंगा के नाम से भी जाना जाता है। गौतमी के नाम से त्रयंबकेश्वर में गोदावरी नदी सर्वाधिक महत्व प्राप्त करती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां इन्द्रावती, प्राणहिता, मंजीरा आदि है।
Image source:m.jagranjosh.com
5. कावेरी नदी — कावेरी नदी पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला कर्नाटक के तलकावेरी कांड़ागु से अवतरित होकर अपनी 765 किमी अर्थात् 475 मील की यात्रा में (कावेरी डेल्टा बनाती हुई) बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है। यह 81155 वर्ग किमी अर्थात् 31334 मील की घाटी का निर्माण करती है। इसे दक्षिण की गंगा के नाम से भी जाना जाता है, तथा ब्रह्मगिरि पर्वत इसका उदगम है। इसकी सहायक नदियां हेमवती, शिम्सा, भवानी, अमरावती आदि हैं।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation