सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को विश्व भर में विकास के इंजन के रूप में जाना जाता है। दुनिया के कई देशों ने इस क्षेत्र के विकास के संबंध और सभी सरकारी कार्यों में समन्वय की देखरेख के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में एसएमई विकास एजेंसी की स्थापना की है। भारत के मामले में भी मध्यम उद्योग स्थापना को एक अलग नियम के अंतर्गत परिभाषित किया है जो कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विकास अधिनियम, 2006 (जो 02 अक्टूबर, 2016 से लागू हो गया है) है। विकास आयुक्त का कार्यालय (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत एक नोडल विकास एजेंसी (एमएसएमई) के रूप में कार्य करता है।
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उदारीकरण से पहले औद्योगिक विकास और नीति
एसएमई-एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की परिभाषा
एसएमई की परिभाषा | |
विनिर्माण क्षेत्र (कुल संपत्ति) | |
सूक्ष्म उद्यम | 25 लाख रुपये अधिक नहीं। |
लघु उद्यम | 25 लाख रुपये से अधिक और 5 करोड रुपये से कम |
मद्यम उद्यम | 5 करोड़ रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये से कम |
सेवा क्षेत्र (कुल संपत्ति) | |
सूक्ष्म उद्यम | 10 लाख रुपये से अधिक नहीं |
लघु उद्यम | 10 लाख रुपये से अधिक और 2 करोड रुपये से कम |
मद्यम उद्यम | 2 करोड़ रुपये से अधिक और 5 करोड़ रुपये से कम |
वैश्विक स्तर पर, एसएमई को आर्थिक विकास के इंजन के रूप में मान्यता प्राप्त है। सकल घरेलू उत्पाद में औपचारिक और अनौपचारिक रूप से छोटी कंपनियों का समग्र योगदान और मध्य तथा उच्च आय वाले समूह देशों में रोजगार का स्तर निम्न रहता है। जैसे-जैसे आय बढ़ती है तो अनौपचारिक क्षेत्र का हिस्सा कम होने लगता है और इससे औपचारिक एसएमई क्षेत्र में वृद्धि होती है। बांग्लादेश में सभी औद्योगिक इकाइयां 90 फीसदी से अधिक रोजगार उपलब्ध करतीं है। एसएमई का वास्तविक महत्व चीन में देखा जा सकता है जहां एसएमई निर्यात में 68 फीसदी का योगदान देता है।
इकाइयों, रोजगार, निवेश, उत्पादन और निर्यात में एमएसएमई का प्रदर्शन
क्र.सख्या | वर्ष | कुल कार्यरत एमएसएमई (लाखों में) | रोजगार (लाख में) | तय निवेश (करोड़ में) | उत्पादन (वर्तमान लागत, करोड़ में) | निर्यात (करोड) |
1 | 2004-05 | 118 | 287 | 178699 | 429796 | 124417 |
2 | 2005-06 | 123 | 294 | 188113 | 497842 | 150242 |
3 | 2006-07 | 261 | 595 | 500758 | 709398 | 182538 |
4 | 2007-08 | 272 | 626 | 558490 | 790759 | 202017 |
5 | 2008-09 | 285 | 659 | 621753 | 880805 | 224136 |
6 | 2009-10 | 298 | 695 | 693835 | 982919 | 243620 |
7 | 2010-11 | 311 | 732 | 773487 | 1095758 | 256621 |
स्रोत: एमएसएमई मंत्रालय
भारतीय अर्थव्यवस्था में एसएमई की भूमिका और प्रदर्शन
पिछले छह दशकों के दौरान भारतीय लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अत्यंत गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। एसएमई ने न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत में भारी मात्रा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के औद्योगीकरण में भी मदद की है। लघु और मध्यम उद्यम पूरक इकाइयों की तुलना में बड़े उद्योग हैं औऱ यह क्षेत्र देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में काफी योगदान देते हैं। आज इस क्षेत्र में 36 लाख इकाईया हैं जो 80 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। यह क्षेत्र 6,000 से अधिक उत्पादों के माध्यम से कुल विनिर्माण उत्पादन में 45% और देश के निर्यात में 40% के योगदान देने के अलावा सकल घरेलू उत्पादन में भी लगभग 8% का योगदान देता है। एसएमई क्षेत्र के पास देश भर में औद्योगिक विकास का प्रसार करने की क्षमता होने के साथ- साथ देश में समावेशी विकास की प्रक्रिया में एक बड़ा योगदान देने की भी क्षमता है।
घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण निर्यात आय, कम निवेश आवश्यकताएं, परिचालनात्मक लचीलापन, स्थान संबंधी गतिशीलता, कम गहन आयात, उचित घरेलू तकनीक विकसित करने की क्षमता, आयात प्रतिस्थापन, रक्षा उत्पादन, प्रौद्योगिकी की दिशा में योगदान, घरेलू उन्मुख उद्योगों में प्रतिस्पर्धा और ज्ञान तथा प्रशिक्षण प्रदान करके निर्यात बाजार द्वारा नए उद्यमियों के निर्माण के माध्यम से योगदान देकर एसएमई राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
अपने अदम्य उत्साह और विकास की अंतर्निहित क्षमताओं के बावजूद, एसएमई भारत में कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जैसे-
- उत्पादन का छोटा पैमाना
- पुरानी तकनीकी का इस्तेमाल
- आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएं, बढ़ती हुई घरेलू और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
- कार्यरत पूंजी की कमी
- समय पर बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से व्यापार प्राप्त नहीं होना।
- अपर्याप्त कुशल कार्यशक्ति
इस तरह के मुद्दों के साथ बने रहने तथा बड़े और वैश्विक उद्यमों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एसएमई को अपने अभियान में नवीन दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। वो एसएमई जो अपने व्यवसायिक दृष्टिकोण में अंतरराष्ट्रीय, आविष्कारशील, अभिनव वाले हैं, उनके पास एक मजबूत तकनीकी आधार, प्रतिस्पर्धा की भावना और खुद को पुनर्गठित करने की इच्छाशक्ति है। ये एसएमई वर्तमान चुनौतियों का सामना करते हुए आसानी से सकल घरेलू उत्पाद में 22% योगदान दे सकते हैं। भारतीय एसएमई हमेशा औद्योगिक और संबंधित क्षेत्रों में नई प्रौद्योगिकियों, नए व्यापारिक विचारों को स्वीकार करने और स्वचालन प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
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