भारत-बांग्लादेश :नरम गरम रिश्ते
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 10-13 जनवरी, 2010 तक भारत की यात्रा की। उनकी यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। शेख हसीना 6 जनवरी, 2010 को ही देश की प्रधानमंत्री बनी थीं। दिसंबर 2009 में ही उनकी पार्टी ने संसदीय चुनावों में भारी बहुमत से सफलता प्राप्त की थी। हाल के वर्र्षों में दोनों देशों के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद रहे थे। प्रधानमंत्री बनते ही शेख हसीना ने भारत यात्रा करके अपने देश के भारत विरोधियों को सीधा संदेश दे दिया कि आने वाले वक्त में वे भारत के साथ कैसे संबंध बनाने की इच्छुक हैं। वैसे भी शेख हसीना बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों की वाहक मानी जाती हैं जो भारतीय हितों के अनुकूल है।
5 समझौतों पर हस्ताक्षर
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य 5 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गये जो निम्नलिखित हैं-
1. आपराधिक मामलों में एक-दूसरे को कानूनी मदद देने के लिए समझौता।
2. दोनों देशों द्वारा सजा पाए हुए व्यक्तियों का प्रत्यार्पण।
3. आतंकवादी गतिविधियों, संगठित अपराध और नशीले पदार्र्थों की तस्करी के खिलाफ समझौता।
4. ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए मैमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग के लिए समझौता।
5. सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रमों के लिए समझौता।
इसके अतिरिक्त भारत ने बांग्लादेश में रेल पटरियां बिछाने के लिए ऋण देने का आश्वासन दिया। इस कार्य के लिए भारत भविष्य में 1 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण बांग्लादेश को प्रदान करेगा। भारत ने बांग्लादेश के औद्योगिक विकास के लिए अपनी ओर से आसान निवेश वातावरण बनाने का भी आश्वासन दिया। साथ ही दोनों देशों के मध्य इस बात पर भी सहमति बन गई कि बॉर्डर पर बेहतर आवागमन के साधन उपलब्ध कराए जाए जिससे सीमा व्यापार में वृद्धि हो सके।
ऊर्जा सेक्टर में हुआ समझौता काफी महत्वपूर्ण है। इस समझौते के तहत भारत बांग्लादेश को 250 मेगावाट बिजली की सप्लाई करेगा। साथ ही भारत बांग्लादेश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 200 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की भी सप्लाई कर सकता है।
आतंकवाद के मुद्दे पर बांग्लादेश भारत के साथ
शेख हसीना ने अपने भारत दौरे के दौरान कई भारतीय नेताओं से बातचीत की जिसमें उन्होंने भारत को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार बांग्लादेश की धरती को किसी भी भारत विरोधी समूह द्वारा प्रयोग करने की इजाजत नहीं देगी। सन 2009 में भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध काफी हद तक खराब हो गए थे। लेकिन दिसंबर 2009 में ही बांग्लादेशी सरकार ने उल्फा के मुखिया अरबिंद राजखोवा को पकड़ कर भारत को सौंपा था जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक बार फिर से गर्माहट आ गई थी।
बांग्लादेश बना धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर दिया है। शीर्ष अदालत के इस फैसले से 1972 का संविधान खुद ही बहाल हो गया है। अब इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता है और किसी भी पुरुष, महिला या बच्चे को बुर्का, टोपी और धोती जैसे धार्मिक परिधान पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
भारत-बांग्लादेश: नर्म-गर्म रिश्ते
भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश को पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। 1971 में काफी लंबे स्वतंत्रता युद्ध के पश्चात बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली, जिसमें भारत ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी। 1972 में बांग्लादेश के संस्थापक मुजीब-उर-रहमान ने भारत के साथ मित्रता और शांति की संधि पर हस्ताक्षर किए जिसे दोनों देशों के बीचसंबंधों में मील का पत्थर माना जाता है।
मुजीब-उर-रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है जिनकी 1975 में एक सैन्य विद्रोह में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद लंबे समय तक इस देश में सैन्य शासन रहा जिसका 1991 में लोकतंत्र की स्थापना के साथ अंत हुआ।
भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध काफी हद तक दोनों देशों की आंतरिक राजनीति पर निर्भर करते हैं। राजनीति के एक ध्रुव का नेतृत्व मुजीब-उर-रहमान द्वारा स्थापित अवामी लीग करती है जिसकी राजनीति धर्मनिरपेक्षता व लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। यह पार्टी अपने जन्म से ही भारत के प्रति मित्रतापूर्वक संबंध रखने की इच्छुक रही है। राजनीति के दूसरे ध्रुव पर स्थित है बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी जिसमें कट्टरपंथी व भारत विरोधी तत्वों का वर्चस्व है। यह पार्टी अक्सर भारत पर दक्षिण एशिया में दादागिरी करने का आरोप लगाती रही है। इसी पार्टी की वजह से पिछले एक दशक में बांग्लादेश की चीन के साथ मित्रता बढ़ी है।
दोनों देशों के बीच विवाद के कारण: भारत-बांग्लादेश के बीच कई विवाद के विषय हैं जिनमें मुख्य रूप से गंगा जल विवाद, चकमा विस्थापितों की समस्या, बांग्लादेश को तीन बीघा कॉरिडोर का हस्तांतरण, असम व अन्य उत्तरी-पूर्वी राज्यों के उग्रवादियों को बांग्लादेश में शरण देने का मसला और हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी जैसे आंतकवादी संगठनों को बांग्लादेश में प्रश्रय मिलना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
भारत ने 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया था, जिसपर बांग्लादेश ने सख्त आपत्ति उठाई थी। लंबे समय के विवाद के बाद दोनों देशों ने 1996 में गंगा जल विभाजन संधि पर हस्ताक्षर किए थे। यह संधि अगले 30 वर्षों के लिए थी। इस संधि के बावजूद दोनों देशों के मध्य गंगा की सहायक नदियों के जल को लेकर अभी भी विवाद बरकरार है।
दोनों देशों के मध्य है सांस्कृतिक एकता: तमाम विवादों के बावजूद दोनों देशों के बीच कुछ ऐसे बिंदु हैं जो दोनों देशों के बीच दोस्ती का सेतु साबित हो सकते हैं। भारत व बांग्लादेश के बीच न केवल सामाजिक-सांस्कृतिक एकता है बल्कि भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में भी निर्णायक भूमिका निभाई थी। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों में मुख्य बाधा बांग्लादेश में सक्रिय कट्टरपंथी संगठन हैं जिन्हें अपरोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन हासिल है। हालांकि शेख हसीना के सत्ता में आ जाने से निश्चित रूप से दोनों देशों के संबंध कम से कम अगले चुनाव होने तक मित्रतापूर्वक ही रहेंगे।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation