सहकारी विपणन, विपणन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते है, इसलिए यह कई रूपों में उभर सकता हैं. पूरक कंपनियां, और प्रत्यक्ष प्रतियोगी वर्ग समान रूप से लाभप्रद सहायक विपणन अभियानों को संपन्न कर सकते हैं.
किसानों के लिए सहकारी विपणन का लाभ विविध रूप में हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. किसानों की सौदेबाजी करने की ताकत में वृद्धि करना
2. अंतिम खरीदारों के साथ अडिग व्यवहार का सम्पदन
3. क्रेडिट का प्रावधान
सहकारी विपणन समितियों किसानों को ऋण प्रदान करती हैं ताकि किसान कटाई के तुरंत बाद अपनी उपज को बेचने की जल्दबाजी न करें.की शर्त से उन्हें दूर रखने के लिए. यह किसानों को अन्य चीजों की भी गारंटी देता है.
4. आसान और सस्ता परिवहन
5. भंडारण सुविधाएं
6. ग्रेडिंग और मानकीकरण
7. बाज़ार के बारे में जानकारी
8. बाजार की कीमतों को प्रभावित करने वाले तथ्य
पूर्व में बाजार की कीमतों को निर्धारित करने में व्यापारियों और बिचौलियों की भूमिका प्रमुख होती थी और इस सन्दर्भ में किसान सिर्फ मूक दर्शक रहता था एवं जो भी कार्य व्यापारियों और बिचौलियों के द्वारा किया जाता था वह उनके(किसानो) के लिए सही माना जाता था. लेकिन सहकारी समितियों ने इस पूरे खेल को ही बदल कर रख दिया.
9. और उपभोक्ता वस्तुओं की जानकारी के सन्दर्भ में प्रावधान
सहकारी विपणन समितियां आसानी से अपेक्षाकृत कम कीमत पर खाद, बीज, कीटनाशक, उर्वरक एवं उपभोक्ता वस्तुओं का बड़े पैमाने पर खरीद कर सकती है और उन्हें सदस्यों को आवंटित कर सकती हैं.
10. कृषि उपज का प्रसंस्करण
उपरोक्त कार्यों के अलावा सहकारी समितियां तिलहन की पेराई, कपास का ओटना और प्रसंस्करण गतिविधियों को सम्पादित करने में सक्षम होती हैं
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