सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य (Millenium Development Goal) सम्मेलन 20-22 सितंबर, 2010 को न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया। तीन दिन के इस सम्मेलन का आयोजन इस बात का आकलन करने के लिए किया गया था कि आठ सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य जिन्हें 2015 तक प्राप्त किया जाना है, के क्रियान्वयन में कहां तक प्रगति हुई है। साथ ही इन लक्ष्यों को किस तरह से उपर्युक्त समय तक प्राप्त किया जा सकता है।
क्या हैं सहस्त्राब्दि लक्ष्य?
ग्लोबलाइजेशन की प्रक्रिया ने पूरी दुनिया को समेट लिया है। आज ग्लोबल विलेज जैसे शब्द आम हो गए हैं। ग्लोबलाइजेशन की प्रक्रिया तीव्र होने के साथ ही अब सामाजिक व आर्थिक विकास केवल किसी एक देश तक सीमित नहीं रह गया है। बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्य बन चुका है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2000 में आयोजित सहस्त्राब्दि शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें विश्व समुदाय के आर्थिक व सामाजिक विकास से संबंधित आठ लक्ष्यों को निर्धारित किया गया था। इन लक्ष्यों को 2015 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया था। आठ सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य हैं- बेहद गरीबी व भुखमरी का उन्मूलन, सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना, बाल मृत्यु दर में कमी लाना, विकास हेतु वैश्विक साझेदारी विकसित करना, पर्यावरण स्थायित्व कायम करना, स्त्री-पुरुष के बीच असमानता समाप्त करना, मां के स्वास्थ्य की देखभाल तथा एचआईवी व एड्स को समाप्त करना।
भारत व सम्मेलन
सम्मेलन में भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने शिरकत की। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में देश को अभी काफी लंबा सफर तय करना है। भारत इस दिशा में कई योजनाएं चला रहा है। उन्होंने यह आशा भी व्यक्त की कि 2015 तक देश में लगभग 18.8 करोड़ लोग गरीबी के कुचक्र से बाहर आ जाएंगे। केद्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का जिक्र करने हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
अधिक फंड की मांग
सम्मेलन में शामिल विकासशील देशों ने विकसित देशों से इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अधिक फंड की मांग की। फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने संसाधनों के लिए ग्लोबल फाइनेंशियल टैक्स लगाने की मांग की। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना था कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 2015 तक कम-से-कम 120 अरब डॉलर की जरूरत है।
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