साइमन कमीशन

Dec 8, 2015, 14:59 IST

साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में संवैधानिक प्रणाली की कार्यप्रणाली की जांच करने और उसमे बदलाव हेतु सुझाव देने के लिए किया गया था|इसका औपचारिक नाम ‘भारतीय संविधायी आयोग’ था और इसमें ब्रिटिश संसद के दो कंजरवेटिव,दो लेबर और एक लिबरल सदस्य शामिल थे|आयोग का कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था|इसीलिए उनके भारत आगमन का स्वागत ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे के साथ किया गया था|विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत को ‘डोमिनियन’ का दर्जा देने की घोषणा की|

भारत में 1922 के बाद से जो शांति छाई हुई थी वह 1927 में आकर टूटी|इस साल ब्रिटिश सरकार ने साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में भारतीय शासन अधिनियम -1919 की कार्यप्रणाली की जांच करने और प्रशासन में  सुधार हेतु सुझाव देने के लिए किया|इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर इस आयोग को साइमन आयोग के नाम से जाना गया|इसकी नियुक्ति भारतीय लोगों के लिए एक झटके जैसी थी क्योकि इसके सारे सदस्य अंग्रेज थे और एक भी भारतीय सदस्य को इसमें शामिल नहीं किया गया था|सरकार ने स्वराज की मांग के प्रति कोई झुकाव प्रदर्शित नहीं किया|आयोग की संरचना ने भारतियों की शंका को सच साबित कर दिया|आयोग की नियुक्ति से पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों की लहर सी दौड़ गयी|

1927 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मद्रास में आयोजित किया गया जिसमे आयोग के बहिष्कार का निर्णय लिया गया|मुस्लिम लीग ने भी इसका बहिष्कार किया|आयोग 3 फरवरी 1928 को भारत पहुंचा और इस दिन विरोधस्वरूप पुरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया|उस दिन दोपहर के बाद,आयोग के गठन की निंदा करने के लिए,पूरे भारत में सभाएं की गयीं और यह घोषित किया कि भारत के लोगों का इस आयोग से कोई लेना-देना नहीं है|मद्रास में इन प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलायीं गयीं और अनेक अन्य जगहों पर लाठी-चार्ज की गयीं|आयोग जहाँ भी गया उसे विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों का सामना करना पड़ा|केंद्रीय विधायिका ने बहुमत से यह निर्णय लिया कि उसे इस आयोग से कुछ लेना-देना नहीं है|पूरा भारत ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे से गूँज रहा था|

पुलिस ने दमनात्मक उपायों का सहारा लिया और हजारों लोगों की पिटायी की गयी |इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के दौरान शेर-ए-पंजाब नाम से प्रसिद्ध महान नेता लाला लाजपत राय की पुलिस द्वारा बर्बरता से पिटाई की गयी| पुलिस द्वारा की पिटायी से लगीं चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गयी|लखनऊ में नेहरु और गोविन्द बल्लभ पन्त को भी पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं| इन लाठियों की मार ने गोविन्द बल्लभ पन्त को जीवन भर के लिए अपंग बना दिया था|
साइमन आयोग के विरोध के दौरान भारतियों ने एक बार फिर प्रदर्शित कर दिया कि वे स्वतंत्रता के एकजुट और द्रढ़प्रतिज्ञ हैं|उन्होंने स्वयं को अब एक बड़े संघर्ष के लिए तैयार कर लिया|डॉ. एम.ए.अंसारी की अध्यक्षता में मद्रास में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया और पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति को भारत के लोगों का लक्ष्य घोषित किया गया|यह प्रस्ताव नेहरु द्वारा प्रस्तुत किया गया था और एस.सत्यमूर्ति ने इसका समर्थन किया था|इसी दौरान पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को मजबूती से प्रस्तुत करने के लिए इन्डियन इंडिपेंडेंस लीग नाम के एक संगठन की स्थापना की गयी|लीग का नेतृत्व जवाहर लाल नेहरु,सुभाष चन्द्र बोस व उनके बड़े भाई शरत चन्द्र बोस,श्रीनिवास अयंगर,सत्यमूर्ति जैसे महत्वपूर्ण नेताओं ने किया|

दिसंबर 1928 में मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में कलकत्ता में कांग्रेस का सम्मलेन आयोजित हुआ|इस सम्मलेन में जवाहर लाल नेहरु,सुभाष चन्द्र बोस और कई एनी नेताओं ने कांग्रेस पर पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने के लिए दबाव डाला|लेकिन कांग्रेस ने डोमिनियन दर्जे की मांग से सम्बंधित प्रस्ताव पारित किया जोकि पूर्ण स्वतंत्रता की तुलना में कमतर थी| लेकिन यह घोषित किया गया कि अगर एक साल के भीतर डोमिनियन का दर्जा भारत को प्रदान नहीं किया गया तो कांग्रेस पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करेगी और उसकी प्राप्ति के लिए एक जन-आन्दोलन भी चलाएगी|1929 के पूरे साल के दौरान इन्डियन इंडिपेंडेंस लीग पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को लेकर लोगों को रैलियों के माध्यम से तैयार करती रही|जब तक कांग्रेस का अगला वार्षिक अधिवेशन आयोजित होता तब तक लोगों की सोच में परिवर्तन आ चुका था|

निष्कर्ष

साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में संवैधानिक प्रणाली की कार्यप्रणाली की जांच करने और उसमे बदलाव हेतु सुझाव देने के लिए किया गया था|इसका औपचारिक नाम ‘भारतीय संविधायी आयोग’ था और इसमें ब्रिटिश संसद के दो कंजरवेटिव,दो लेबर और एक लिबरल सदस्य शामिल थे|आयोग का कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था|इसीलिए उनके भारत आगमन का स्वागत ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे के साथ किया गया था|विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत को ‘डोमिनियन’ का दर्जा देने की घोषणा की और भविष्य के संविधान पर विचार-विमर्श करने के लिए गोलमेज सम्मेलनों को आयोजित करने की भी घोषणा की गयी|

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

    Trending

    Latest Education News