सिंचाई से संबंधित समस्याएं निम्नवत हैं:
1. परियोजना के पूरा होने में विलंब.
2. जल विवाद
3. सिंचाई विकास में क्षेत्रीय विसंगतियां
4. लवणता एवं जल जमाव
5. सिंचाई की लागत में वृद्धि
सिंचाई लागत में बढ़ावा एवं योगदान देने वाले कारक हैं:
(i) पिछले योजनाओं में संरचना के विकास के लिए अपेक्षाकृत बढ़ायी गयी साइटों की अनुपलब्धता.
(ii) अपर्याप्त तैयारी एवं डिजाइन में व्यापक परिवर्तन और आकलन तथा निर्माण के दौरान व्यापक अनचाहा परिवर्तन.
(iii) उद्देशित सिंचाई के लिए उपलब्ध धनराशि को अन्य कई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए व्यय करना.
(iv) लोगों को स्वास्थय के सन्दर्भ में और पर्यावरण के संरक्षण के लिए बडे शर्तों का निर्धारण जिससे सिंचाई से जुड़े संसाधनों का इनके ऊपर व्यय हो जाना.
(v) बाह्य सहायता एजेंसियों की आवश्यकताओं के साथ निर्धारित समय-सीमा में सिंचाई परियोजना के निर्धारण के लिए और अधिक कुशल, लेकिन महंगा मानदंड स्थापित करना.
(vi) क्रियान्वित सिंचाई परियोजनाओं में व्यापक घाटा
(vii) नदियों में गाद में वृद्धि और बुनियादी ढांचे को और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए अन्य खर्च.
(viii) नहर प्रणाली के ठीक अंत में जिन किसानो की भूमि पायी जाती है उन्हें पूंछ-एंडर्स किसान कहते है. इस प्रकार के किसान अपनी फसलो के लिए पर्याप्त और समय पर पानी नहीं प्राप्त कर पाते हैं और उनकी कृषि अत्यधिक प्रभावित रहती है.
(ix) जल स्तर में कमी: विशेष रूप से भारत के पश्चिमी शुष्क क्षेत्र में एवं भारत के विभिन्न भागों में इन दिनों जल स्तर में कमी देखी गयी है. बारिश के पानी से भूजल के स्तर का अपर्याप्त पुनर्भरण इस समस्या का मूल कारण है.
(x) जल की बर्बादी और उनका बेवजह इस्तेमाल भी जल की अनुपलब्धता का प्रमुख कारण है.
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