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देश की ऐसी जगह जहां Google और Coffee होते हैं इंसानों के नाम

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भारत की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के लोग हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि खुद को एक विशेष जनजाति हक्की-पिक्की से मानते हैं। ऐसे में यहां पर बच्चों के नाम गूगल और कॉफी है। 

भारत की विचित्र जगह में लोगों के अद्भुत नाम
भारत की विचित्र जगह में लोगों के अद्भुत नाम

भारत विविधताओं का देश है, जहां आपको कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही भाषा व संस्कृति का बदलाव देखने को मिल जाएगा। यही वजह है कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग जातियां रहती हैं, जो कि अलग-अलग धर्म से जुड़ी हुई हैं। हालांकि, एक जाति ऐसी भी है, जो खुद को हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि वह हक्की-पिक्की समुदाय से जोड़ती है। वहीं, यहां रहने वाले लोग अपने बच्चों को गूगल और कॉफी जैसे नामों से बुलाते हैं। 

 

कर्नाटक में रहती है यह जनजाति 

कर्नाटक में हक्की-बिक्की जनजाति रहती है, जो कि अपनी अलग संस्कृति के लिए पहचानी जाती है। हक्की-पिक्की की अर्थ पक्षी शिकारी होता है, जो कि एक घुमंतू जनजाति है। यह लोग शिकार के लिए पूरे देश में भ्रमण करते हैं। 

 

1960 के दशक में वनों से बाहर हो गए थे हक्की-पिक्की

हक्की-पिक्की जनजाति को 1960 के दशक में उनके वनों से बाहर कर दिया गया था। तब इस जनजाति के लोगों को मैसूर और बंगलुरू में रहने के लिए भेज दिया गया था। 

 

शिकार के सहारे चलती है जीविका

इस समुदाय के लोग अपनी जीविका चलाने के लिए शिकार करते हैं। यह जनजाति विशेष रूप से मछलियों को पकड़ने के लिए जानी जाती है। ऐसे में इनकी कमाई का प्रमुख साधन यही है। हक्की-पिक्की जनजाति के लोग उन मछलियों को शहरों में बेचती है। मछलियां बेचकर ही इस जनजाति की जीविका चलती है। 



इतने तरह की भाषाएं बोलते हैं जनजाति के लोग

हक्की-पिक्की जनजाति के लोग कई तरह की भाषाएं बोलते हैं, जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम व गुजराती शामिल है। इस जनजाति के लोग आपस में इन्हीं भाषाओं के माध्यम से संवाद स्थापित करते हैं। वहीं, यदि हिंदी की बात करें, तो इस जनजाति के बहुत ही कम लोग हिंदी बोल पाते हैं। हालांकि, जो बोलते हैं, उन्हें भी पूरी तरह से हिंदी नहीं आती है। 

 

एक साथ सुख-दुख में होते हैं शामिल 

इस जनजाति के लोग आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। यही वजह है कि चाहे कोई भी परेशानी हो या फिर कोई भी खुशी की बात हो, इस जनजाति के लोग आपस में एक-दूसरे का साथ देते हैं।

 

गूगल से लेकर कॉफी और अमिताभ होते हैं इंसानों के नाम

इस जनजाति के लोग अपने बच्चों का नाम भी कुछ अलग रखते हैं। यही वजह है कि यहां बच्चों के नाम गूगल, कॉफी, एलिजाबेथ, मैसूर, अमिताभ और शाहरूख रखे जाते हैं। जब भी कोई बाहरी व्यक्ति यहां पहुंचता है, तो वह अक्सर बच्चों के नाम सुनकर हैरान हो जाता है। हालांकि, अपने इन नामों से बच्चों में खुशी रहती है।  

 

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