सकारात्मक सोच से बढ़ें अपने करियर में आगे

Aug 30, 2018, 14:01 IST

प्रोफेशनल वल्र्ड में हमारी सोच बहुत मायने रखती है। यदि सोच सकारात्मक है, तो यह नए-नए आइडियाज लेकर आती है और हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में योगदान करती है। दरअसल, सोच हमारी दृष्टि से ही विकसित होती है कि हम किसी चीज को किस तरह देखते हैं। किसी भी चीज को देखने के कई एंगल हो सकते हैं, जिसे हम दृष्टिकोण कहते हैं। हमें उनमें से उस एंगल को चुनना होता है, जो हमारे लिए सर्वथा उपयुक्त है। यही हमारी सकारात्मक सोच होती है।

Positivity: The Driving Force of your Professional Life
Positivity: The Driving Force of your Professional Life

प्रोफेशनल वल्र्ड में हमारी सोच बहुत मायने रखती है। यदि सोच सकारात्मक है, तो यह नए-नए आइडियाज लेकर आती है और हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में योगदान करती है। दरअसल, सोच हमारी दृष्टि से ही विकसित होती है कि हम किसी चीज को किस तरह देखते हैं। किसी भी चीज को देखने के कई एंगल हो सकते हैं, जिसे हम दृष्टिकोण कहते हैं। हमें उनमें से उस एंगल को चुनना होता है, जो हमारे लिए सर्वथा उपयुक्त है। यही हमारी सकारात्मक सोच होती है।

कैसे आती है सकारात्मक सोच

बहुत पुराना उदाहरण है कि ‘आधा खाली गिलास’ कहने वाला नकारात्मक सोच वाला होता है और ‘आधा भरा गिलास’ कहने वाला सकारात्मक सोच वाला। लेकिन ‘आधा’ कहना ही सकारात्मकता में कुछ संशय पैदा कर देता है। एक तीसरा दृष्टिकोण भी हो सकता है। हम क्यों न उस गिलास को ‘पूरा ही भरा’ हुआ देखें। आखिरकार सृष्टि में कुछ भी आधा नहीं होता है, यही सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। इसी विषय पर एक दोहा देखिए -

आधा खाली क्यों रहे, आधा भरा गिलास।

आधे में पानी भरा, आधे में आकास।।

जब हम यह सोचने लगते हैं कि सृष्टि में सब कुछ पूर्ण है और हमें सृष्टि का अंग होने के नाते उसी पूर्णता को पाना है, तो हमारी क्रिएटिविटी बढ़ जाती है। हमारी सोच व्यापक होती है, हम किसी में कमियां नहीं निकालते। हम सकारात्मक और निष्काम होकर काम को शत-प्रतिशत देने लगते हैं।

सोच का करें विस्तार

आपकी सोच जैसे-जैसे विस्तृत होती जाएगी, आप पॉजिटिविटी की ओर जाएंगे। अपनी सोच का विस्तार करने के लिए अचीवर्स की जीवनियां या इस तरह की अन्य प्रेरक पुस्तकें पढ़ सकते हैं। जब आप के भीतर इस तरह के सवाल आने लगें कि मैं यह काम क्यों नहीं कर सकता? इंसान ही तो यह काम करते हैं? जब अमुक व्यक्ति कर सकता है तो मैं क्यों नहीं? तो समझिए कि आपके सोच का दायरा बढ़ रहा है।

परिणाम नहीं, काम पर फोकस

गीता में कहा गया है कि मनुष्य को फल की चिंता छोड़कर कार्य करना चाहिए। निष्काम कर्म का पाठ पढ़ाते गीता के श्लोक प्रोफेशनल वल्र्ड में बहुत काम के हैं। आम तौर पर हम ‘कल क्या होगा’ की चिंता में अपना आज खराब कर लेते हैं। यह नहीं जानते कि हमारा जो आने वाला कल है, वह आज पर ही तो निर्भर है। इसलिए क्या होगा? जैसे प्रश्न वाले परिणाम की चिंता न करें। इससे आप संयमित और फोकस्ड रहेंगे। आप अपने काम में सौ प्रतिशत देंगे, तो निगेटिविटी से भी दूर रहेंगे और परिणाम भी उम्दा आएगा।

पॉजिटिविटी को साधें

सकारात्मकता को साधना भी एक प्रकार की साधना ही है। इसके लिए मन शांत हो, लक्ष्य के प्रति फोकस हो और तर्कशील विस्तृत दिमाग हो। आप चाहें तो पॉजिटिविटी लाने के लिए पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का कोई शॉर्टटर्म कोर्स भी कर सकते हैं, लेकिन यकीन मानिए पॉजिटिविटी आप अपने प्रयासों से ही ला सकते हैं। यह बहुत आवश्यक है। आपकी पर्सनैलिटी से जुड़ी यह चीज सफलता के लिए बहुत जरूरी है।

Jagran Josh
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Education Desk

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