ईश्वर चंद विद्द्यासागर, राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, मेधा पाटकर, अन्ना हजारे, अरुणा रॉय, अरुंधती रॉय, विनोबा भावे, बाबा आमटे, ज्योतिबा फुले और किरण बेदी हमारे देश के काफी लोकप्रिय समाज सुधारक हैं जिन्होंने अपनी सोशल सर्विस के कारण देश-विदेश में काफी ख्याति प्राप्त की है. दरअसल, सोशल सर्विस में आपको अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ अपने देश, समाज और मानवता की सेवा करने के कारण आत्म संतोष भी मिलता है.
इंडियन सोशल सर्विस में आपके लिए करियर के कई शानदार अवसर उपलब्ध हैं. इसलिए आप अपनी दिलचस्पी के मुताबिक इंडियन सोशल सर्विस की विभिन्न फ़ील्ड्स में अपना करियर शुरू कर सकते हैं. यकीनन, इंडियन सोशल सर्विस में करियर शुरु करने पर, आपके पास लाखों-करोड़ों रुपये का बैंक-बैलेंस तो नहीं होगा लेकिन अपने आस-पास के लोगों के जीवन को संवारने का आनंद जरुर आप सारी जिंदगी महसूस करते रहेंगे. आजकल इंडियन सोशल सर्विस में आपके लिए अनेक शानदार करियर्स उपलब्ध हैं. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:
सोशल सर्विस का परिचय
वैसे तो जब हम अपनी फैमिली, फ्रेंड्स और रिश्तेदारों के किसी काम आने के अलावा भी, जब अपने आस-पास के लोगों के जीवन को संवारने के साथ उनकी भलाई के लिए कोई काम करते हैं तो वे सभी काम सोशल सर्विस के कार्यक्षेत्र में आते हैं जैसेकि अनाथ बच्चों को फ्री में पढ़ाना, बेसहारा और ओल्ड एज्ड लोगों की देखभाल करना या उन्हें कोई रोज़गार दिलवाना, समाज में नशा-मुक्ति का प्रयास करना, बेसहारा बीमार लोगों के इलाज की व्यवस्था करने में मदद करना, गरीब लोगों की 3 बेसिक नीड्स – रोटी, कपड़ा और मकान - को पूरा करने के लिए अपना संभव योगदान देना आदि.
इंडियन सोशल सर्विस में करियर शुरू करने के महत्त्वपूर्ण टिप्स
अब अगर आप भारत में सोशल सर्विस की फील्ड में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं तो आपके मन में यह सवाल जरुर आ रहा होगा कि इस फील्ड में अपना करियर शुरू करने के लिए आखिर क्या करें? जी हां! इस फील्ड में वैसे तो किसी खास एजुकेशनल क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं है और आपमें बस सोशल सर्विस का जज्बा होना चाहिए. आप अपने आस-पास की किसी भी सोशल प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए काम शुरू कर सकते हैं जैसेकि आजकल भारत के अनेक लोग ‘स्वच्छ भारत मिशन’ में अपना योगदान दे रहे हैं. लेकिन अगर आप सोशल सर्विस की फील्ड में अपना करियर किसी पेशे की तरह शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए सोशल वर्क की फील्ड में फॉर्मल एजुकेशनल क्वालिफिकेशन हासिल करना बहुत जरुरी है.
इंडियन सोशल सर्विस में उपलब्ध हैं ये विशेष करियर्स
यूं तो आप अपने देश और समाज में गरीबी, भुखमरी, नशाखोरी, बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध, मानव तस्करी जैसी किसी भी सामाजिक समस्या को सॉल्व करके सोशल सर्विस कर सकते हैं लेकिन समाज के विभिन्न वर्गों के लिए और/ या विभिन्न सोशल प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए सोशल वर्क/ सर्विस को निम्नलिखित हेड्स में बांटा जा सकता है जैसेकि:
- क्लिनिकल सोशल वर्कर –ये पेशेवर प्रोफेशनली ट्रेंड मेंटल हेल्थ काउंसलर्स होते हैं.
- साइकियाट्रिक सोशल वर्कर –ये पेशेवर हॉस्पिटल्स में पेशेंट्स की मेंटल हेल्थ से जुड़े इश्यूज सॉल्व करते हैं.
- हेल्थ केयर एंड मेडिकल सोशल वर्कर –ये पेशेवर समाज में फैली बीमारियों की रोकथाम में अपना सहयोग देते हैं.
- चाइल्ड एंड फैमिली सोशल वर्कर –ये लोग स्लम एरियाज़ में बच्चों और गरीब परिवारों के कल्याण के लिए काम करते हैं.
- कम्युनिटी सोशल वर्कर –ये पेशेवर अपने आस-पास के समाज में फैली बुराइयों और प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में जुटे रहते हैं. समाज के लोगों को शिक्षित करना भी इनका काम होता है.
- लेबर वेलफेयर सोशल वर्कर –गैर-संगठित कार्यालयों और कंपनियों के मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना इन पेशेवरों का प्रमुख काम होता है और ये लोग लोकल, राज्य या देश की विभिन्न ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर मजदूरों की भलाई के लिए लगातार काम करते रहते हैं.
- स्कूल सोशल वर्कर –विभिन्न स्कूलों में सभी बच्चों की पढ़ाई के साथ बच्चों के स्वास्थ्य और स्कूल के माहौल को अच्छा बनाने की दिशा में काम करते हैं. ये पेशेवर प्रॉब्लम-चाइल्ड की काउंसेलिंग भी करते हैं ताकि बच्चे जिद्दी न बनें और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ये बच्चे अपने व्यक्तित्व के विकास में भी पूरा ध्यान दें.
- रिसर्च सोशल वर्कर –समाज के अनेक मसलों के संबंध में रिसर्च करना इनका प्रमुख काम होता है ताकि समय रहते विभिन्न सामाजिक समस्याओं को समुचित तरीके से सुलझाया जा सके.
- एनवायरनमेंटल हेल्थ सोशल वर्कर –ये पेशेवर एनवायरनमेंट के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं ताकि लोग अपने आस-पास के एनवायरनमेंट की रक्षा करना सीख सके. हमारे देश में आजकल ‘रेन वाटर हार्वेस्टिंग’ को स्थानीय, राज्य और देश के स्तर पर बढ़ावा देना इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है क्योंकि आजकल पूरा भारत जल संकट की समस्या से जूझ रहा है.
- पब्लिक पॉलिसी सोशल वर्कर –ये लोग सोशल रिफॉर्मर भी होते हैं. अन्ना हजारे, मेधा पाटकर, अरुंधती रॉय, किरण बेदी आदि लोग स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट्स द्वारा बनाई जा रही पब्लिक पॉलिसी को सोशल वेलफेयर के लिए प्रभावित करते हैं.
- अपराधियों को सूधारने वाले सोशल वर्कर –ये पेशेवर अपराधियों के व्यवहार में सुधार लाने की लगातार कोशिश करते हैं ताकि समाज से चोरी, हत्या या ठगी आदि जैसे अपराध मिटाए जा सकें. ये पेशेवर जेलों और बाल-सुधार गृहों में अपना सहयोग देते हैं ताकि एंटी-सोशल एक्टिविटीज़ को रोका जा सके.
इंडियन सोशल सर्विस में काम करने का तरीका
आमतौर पर सोशल रिफॉर्मर्स, सोशल वर्कर्स और सोशल एक्टिविटिस्ट्स काउंसेलिंग या एडवाइस देकर विभिन्न सोशल प्रॉब्लम्स और इश्यूज़ को सॉल्व करते हैं. स्टेट और नेशनल लेवल पर रिफॉर्म्स लाने के लिए ये पेशेवर जनमत तैयार करके सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं. इसके अलावा, गरीब और पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए ये पेशेवर समाज के धनी और पभावी लोगों, स्टेट और सेंटर गवर्नमेंट्स और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन्स से निरंतर फंड या धन जुटाते रहते हैं.
इंडियन सोशल सर्विस के लिए विशेष कोर्सेज और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
हमारे देश में सोशल सर्विस की फील्ड में अपना करियर शुरू करने के लिए आप निम्नलिखित कोर्सेज कर सकते हैं:
• बैचलर ऑफ़ सोशल वर्क/ बैचलर ऑफ़ आर्ट्स (सोशल वर्क) – अवधि 3 वर्ष.
स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12वीं क्लास पास की हो.
• मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क/ मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (सोशल वर्क) – अवधि 2 वर्ष.
स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हो.
• एमफिल (सोशल वर्क) – अवधि 2 वर्ष.
स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री हासिल की हो.
• पीएचडी (सोशल वर्क) - अवधि 3 – 5 वर्ष.
स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री हासिल की हो.
भारत में सोशल सर्विस/ वर्क की फील्ड से संबंधित कोर्सेज करवाने वाले प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
• दी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल वेलफेयर एंड बिजनेस मैनेजमेंट (IISWBM), कोलकाता
• टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई
• डॉ. बाबासाहिब अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज, इंदौर, मध्यप्रदेश
• यूनिवर्सिटी ऑफ़ दिल्ली, दिल्ली
• जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
• यूनिवर्सिटी ऑफ़ मुंबई, मुंबई
• गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, पंजाब
भारत में सोशल सर्विस से संबंधित विभिन्न सेक्टर्स
• विभिन्न सरकारी विभाग
• नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन्स
• मेडिकल एंड हेल्थकेयर सेक्टर
• एजुकेशन एंड रिसर्च
• कॉर्पोरेट सेक्टर
इंडियन सोशल सर्विस का सैलरी पैकेज
हमारे देश में सोशल सर्विस की फील्ड में करियर शुरू करने पर कैंडिडेट को शुरू में एवरेज 15 हजार – 25 हजार रुपये मासिक मिलते हैं. कुछ वर्षों के कार्य अनुभव के बाद इस फील्ड में पेशेवर एवरेज 50 हजार रुपये या उससे अधिक मासिक सैलरी कमाते हैं. इस फील्ड की असली कमाई तो आत्म-संतोष है जो आपको इस फील्ड से लगातार जुड़े रहने पर लगातार मिलता रहता है.
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