यदि आप कुछ उन गीने चुने लोगों में से हैं जो बहुत कम मेहनत करके ज्यादा सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं,तो आप जैसे लोगों के लिए एक बहुत अच्छी जानकारी है. यदि आप कुछ महीनें का कोर्स करके ही अच्छे पैकेज वाली नौकरी की तलाश में हैं,तो आपके लिए साइन लैंग्वेज कोर्स करना एक बेहतर विकल्प सिद्ध हो सकता है. साइन लैंग्वेज का पर्याप्त ज्ञान से आपको भिन्न भिन्न दूतावासों के अतिरिक्त कई कार्यालयों में नौकरी के अवसर आसानी से मिल सकते हैं. इतना ही नहीं एजुकेशन, सोशल सेक्टर, गवर्नमेंट और बिजनेस के अतिरिक्त परफॉर्मिंग आर्ट और मेंटल हेल्थ जैसे क्षेत्रों में भी कई सुनहरे अवसर मिल सकते हैं. विशेष बात तो यह है कि साइन लैंग्वेज सीखने से आपको विदेशों में भी काम करने का अवसर प्राप्त हो सकता है.
साइन लैंग्वेज के अंतर्गत किये जाने वाले मुख्य कार्य
साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर का मुख्य कार्य अपने सामने बोलने वाले व्यक्ति के शब्दों को तय संकेतों में ढालकर दूसरे को इशारे में समझाना होता है. इस तरह के भाषा संकेत अंग्रेजी में सबसे ज्यादा मिलते हैं. आजकल स्कूल-कॉलेजों में भी मूक-बधिर छात्रों के साथ ही सामान्य छात्रों को भी सांकेतिक भाषा सिखाने पर जोर दिया जा रहा है.इस विषय में स्नातक करने वाले छात्रों के लिए शिक्षा जगत के साथ-साथ कई अन्य क्षेत्रों में बेहतर अवसर मौजूद हैं.
रोजगार की नई संभावनाएं
साइन लैंग्वेज को सीखने के बाद एजुकेशन, सोशल सर्विस सेक्टर,सरकारी संस्थानों तथा बिजनेस फील्ड से लेकर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मेंटल हेल्थ, मेडिकल और कानून सहित बहुत सारे अन्य क्षेत्रों में काम करने के कई अन्य अच्छे विकल्प मौजूद हैं. स्वयंसेवी संस्थाओं में भी काम करने के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं. साइन लैंग्वेज को सीखने वाले अभ्यर्थियों की तो कई बार पढ़ाई करते हुए ही कुछ प्रतिष्ठित संस्थाओं में बड़ी आसानी से नौकरी लग जाती है.
साइन लैंग्वेज पढ़ाने के तरीके
वस्तुतः साइन लैंग्वेज के जरिये सामन्यतः मूक-बधिर छात्रों को ही पढ़ाने या समझाने का प्रयास किया जाता है. मूक-बधिर छात्रों को पढ़ाने के दो अहम तरीके होते हैं. पहला मौखिक संवाद और दूसरा इंडियन साइन लैंग्वेज. देश के लगभग 500 से ज्यादा स्कूलों में साइन लैंग्वेज के माध्यम से ही इन छात्रों को पढ़ाया जाता है. साइन लैंग्वेज में तीन से चार महीने के कोर्स के अलावा शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के शिक्षण के लिए कई अन्य कोर्स भी कराये जाते हैं, जिन्हें एक बार कम्प्लीट कर लेने के बाद अच्छे रोजगार की संभावना बढ़ जाती है.
प्रतीकों की सही जानकारी बहुत जरुरी
करियर में सफलता और बेहतर तथा कामयाब प्रोफेशनल बनने के लिए अभ्यर्थियों को प्रतीकों को सही तरीके से समझना आना चाहिए. इसके लिए उनके इस्तेमाल की सही विधि बताई जाती है. साइन लैंग्वेज के सभी कोर्स दो से चार महीने के लिए ही कराए जाते हैं. कोर्स के तहत बेसिक से लेकर एडवांस लेवल की सभी जानकारी अलग-अलग चरणों में व्यवस्थित रूप से दी जाती है.
साइन लैंग्वेज कोर्स के बढ़ते डिमांड की मुख्य वजह
आप सभी को यह जानकर हैरानी होगी कि बीते कुछ वर्षों में साइन लैंग्वेज की तरफ लोगों का रुझान बहुत बढ़ा है. इसकी मुख्य वजह यह है कि भारत में मूक-बधिर लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है और गौर करने योग्य बात यह है कि साइन लैंग्वेज ही उनकी प्राकृतिक भाषा है. ऐसे में इन छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए साइन लैंग्वेज शिक्षकों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.
संभावित सैलरी पैकेज
इस फील्ड में करियर बनाने वाले लोगों को अच्छे पैकेज मिलने की संभावना रहती है. अगर आप किसी विदेशी गैर सरकारी संस्थाओं में काम करते हैं,तो आपको प्रारंभ में बीस से पच्चीस हजार रुपये तक महीने की सैलरी आसानी से मिल सकती है. इसके अतिरिक्त जैसे जैसे आप अनुभव प्राप्त करते जाते हैं वैसे वैसे आपको मिलने वाला पैकेज बढ़ता जाता है.
इसलिए अगर दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की मदद करने में एक सुकून का एहसास होता है,तो अपनी इस क्वालिटी को अपने करियर से जोड़ते हुए साइन लैंग्वेज का कोर्स कर आप पैसों के साथ साथ आत्म संतुष्टि भी प्राप्त कर सकते हैं.
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