अगर आप भारत के किसी टॉप बी-स्कूल अर्थात भारत के टॉप आईआईएम्स में एमबीए कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो एमबीए एडमिशन सीजन शुरू होने के साथ ही, अधिकतर एमबीए कैंडिडेट्स किसी टॉप बी-स्कूल में एडमिशन लेने के लिए कैट एग्जाम की तैयारी करने लगते हैं. हमारे देश में कैट एग्जाम सभी एमबीए एंट्रेंस टेस्ट्स में से सबसे लोकप्रिय है. लेकिन, कैट में काफी अच्छे मार्क्स लेकर सफलता प्राप्त करना ही भारत के टॉप आईआईएम्स में आपको एडमिशन दिलवाने के लिए काफी नहीं है. आजकल भारत के टॉप आईआईएम्स और अन्य टॉप बिजनेस स्कूल्स अपनी एडमिशन पॉलिसी के माध्यम से अपने एमबीए कोर्सेज के लिए बेहतरीन कैंडिडेट्स का चयन करना चाहते हैं. कैट में मेरिट लिस्ट में शामिल स्टूडेंट्स के अलावा, भारत के प्रमुख एमबीए कॉलेज और टॉप आईआईएम्स अपने कैंपस में स्टूडेंट्स को एडमिशन देते समय कई अन्य क्वालिटीज भी देखते हैं.
अगर आप भी एक ऐसे स्टूडेंट हैं जो कैट एग्जाम पास करके किसी टॉप आईआईएम या बी-स्कूल में एडमिशन लेना चाहते हैं तो आप अपनी एग्जाम प्रिपरेशन स्ट्रेटेजी में जरुरी बदलाव कर लें और भारत के किसी टॉप आईआईएम में एडमिशन लेने के लिए निम्नलिखित पर्सनैलिटी ट्रेट्स और क्वालिटीज को अपने में विकसित करने पर पूरा ध्यान दें. कैसे?.....आइये इस आर्टिकल को पढ़कर जानते हैं:
· एंटरप्रिन्योरियल एबिलिटी
भारत के टॉप बी- स्कूल्स की एडमिशन कमिटी के सामने आपको काफी बढ़िया प्वाइंट्स दिलवाने वाली एक अन्य क्वालिटी आपकी एंटरप्रेन्योरियल एबिलिटी है. विभिन्न आईआईएम्स की तरह भारत के टॉप मैनेजमेंट कॉलेज ऐसे स्टूडेंट्स को एडमिशन देना चाहते हैं जो भावी बिजनेस लीडर्स होने के साथ ही बेहतरीन एंटरप्रेन्योर्स भी हों. इसलिए, अगर आप अपनी एमबीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपना कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको निश्चित तौर पर लाभ होगा. यद्यपि आपके ग्रेट आईडिया और बेहतर पिच के अलावा भी, आपके बिजनेस मॉडल है और आप अपने इस बिजनेस की मदद से सामान्य लोगों के जीवन को पॉजिटिव तौर पर प्रभावित करने की योजना कैसे बनाते हैं?..... एडमिशन कमिटी उक्त प्वाइंट्स के बारे में भी अधिक जानना चाहती है.
· इम्प्रेसिव लीडरशिप
किसी शक की गुंजाइश के बिना, लीडरशिप क्वालिटीज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण पर्सनैलिटी ट्रेट्स में से एक हैं और जब एमबीए प्रोग्राम्स की बात चलती है तो उक्त पर जरुर ध्यान देना चाहिए. भारत के टॉप बिजनेस स्कूल्स जैसेकि आईआईएम्स, आईएमटी या एफएमएस अपने स्टूडेंट्स को बिजनेस, कॉर्पोरेट और सामाजिक दुनिया में भावी लीडर्स के तौर पर तैयार करते हैं. लीडरशिप स्किल्स ऐसे स्किल्स नहीं है जो किसी किताब से सीखे जा सकें या किसी क्लास में पढ़ाये जा सकें, ये स्किल्स किसी कैंडिडेट द्वारा कई वर्षों के प्रयास से आत्मसात और विकसित किये जा सकते हैं. भारत के टॉप बी-स्कूल्स भावी बिजनेस लीडर्स की तलाश करते हैं और अगर आपके पास किसी बी-स्कूल के कैंपस में कदम रखने से पहले ही अपनी लीडरशिप स्किल्स का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद है तो इससे आपको अपने पीआई (पर्सनल इंटरव्यू) राउंड्स/ जीडी (ग्रुप डिस्कशन) के दौरान वास्तव में फायदा मिलेगा.
इसलिए, इस प्वाइंट को ध्यान में रखें कि आप अपने एमबीए एप्लीकेशन फॉर्म में अपनी एकेडेमिक या प्रोफेशनल जिम्मेदारियों/ कार्यों के एक हिस्से के तौर पर सफलतापूर्वक पूरे किये हुए प्रोजेक्ट्स को अवश्य शामिल करेंगे. एडमिशन कमिटी के लिए आपके प्रोजेक्ट का आकार वास्तव में कोई खास महत्व नहीं रखता है. लेकिन आपने अपनी लीडरशिप स्किल्स की मदद से अंतिम रिजल्ट को जिस तरह प्रभावित किया है, वह प्वाइंट आपको एक्स्ट्रा मार्क्स/ प्वाइंट्स दिलवायेगा.
· रियल करियर प्लान
आजकल एमबीए डिग्री, खासकर भारत के किसी टॉप बिजनेस स्कूल से प्राप्त डिग्री को सफलता का शॉर्टकट माना जाता है. लेकिन किसी भी अन्य एकेडेमिक डिग्री की तरह ही, एमबीए भी केवल एक लर्निंग प्रोग्राम ही है जो आपको एक अच्छा और कुशल मैनेजर बनने के लिए तैयार करता है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं देता है. इसलिए, ऐसे एमबीए कैंडिडेट्स, जो यह मानते हैं कि उनकी एमबीए की डिग्री उन्हें एक आकर्षक करियर प्लान उपलब्ध करवा सकती है, आईआईएम्स की एडमिशन कमिटीज ऐसे कैंडिडेट्स को रिजेक्ट कर देती हैं. वास्तव में, कोई भी एडमिशन कमिटी यह जानना चाहती है कि आपने अपने भविष्य के बारे में क्या सोच रखा है और आप अपने ‘ड्रीम-करियर’ को प्राप्त करने के लिए एक सक्षम कारक के तौर पर अपनी एमबीए की डिग्री का इस्तेमाल कैसे करना चाहेंगे? एडमिशन कमिटी ऐसे कैंडिडेट्स को प्रेफर करती है जिनके अपने करियर प्लान्स होते हैं, लेकिन वे लोग ऐसे कैंडिडेट्स को भी पसंद करते हैं जो अपने भविष्य को लेकर प्रैक्टिकल और रियलिस्टिक अप्रोच रखते हैं. इसलिए, आईआईएम्स में अपने पर्सनल इंटरव्यू में शामिल होने से पहले ही आप अपने लिए एक बेहतरीन करियर प्लान तैयार कर लें जो पेपर पर अच्छा लगने के साथ ही अमल में लाने के योग्य हो.
· इनोवेटिव थिंकिंग
‘बिजनेस में केवल दो काम होते हैं – मार्केटिंग और इनोवेशन.’ चेकोस्लोवाकिया में जन्मे लेखक मिलन कुंदेरा की यह मशहूर लाइन संक्षेप में बताती है कि, किसी आईआईएम में एमबीए प्रोग्राम के लिए चुने जाने के लिए ‘इनोवेशन’ क्यों इतना अधिक महत्वपूर्ण है? भारत के बढ़िया एमबीए कॉलेज ऐसे कैंडिडेट्स को प्रेफरेंस देते हैं जो क्रिएटिव थिंकिंग के साथ ही विभिन्न प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए इनोवेटिव सजेशन्स भी दे सकें और अपने प्रोजेक्ट्स में वास्तविक विकास योजनाओं को शामिल करें. विभिन्न बी-स्कूल्स में जीडी/ पीआई राउंड्स के माध्यम से कैंडिडेट्स के अंतिम चयन के समय इनोवेटिव थिंकिंग कैंडिडेट को अन्य सभी कैंडिडेट्स की भीड़ से खुद को अलग करने में भी मदद करती है. इसलिए, अगर आप वास्तव में भारत के किसी टॉप एमबीए कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं तो इसकी कुंजी इनोवेशन के पास है.
· सोल्यूशन ओरिएंटेड अप्रोच
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेटर्स को प्रॉब्लम्स सॉल्वर्स के तौर पर देखा जाता है और जब हम भारत के बढ़िया मैनेजमेंट कॉलेजों की चर्चा करते हैं तो यही नियम एमबीए कैंडिडेट्स पर भी लागू होता है. एक खास क्वालिटी जो एमबीए कैंडिडेट्स के पास जरुर होनी चाहिए वह यह है कि, वे किसी भी प्रॉब्लम के सोल्यूशन पर शांतिपूर्ण तरीके से विचार करें और प्रेशर के तहत वास्तविक और लागू किये जा सकने वाले सोल्यूशन्स पेश करें. यह सुनने में काफी आसान लगता है, लेकिन मुश्किल प्रॉब्लम्स को हैंडल करते समय यह काफी कठिन काम हो जाता है. इसलिए, वे कैंडिडेट्स जो प्रेशर से घबरा जाते हैं या वे लोग जो किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करते समय काफी आदर्शवादी होते हैं, उन्हें अक्सर भारत के टॉप बी-स्कूल्स में एडमिशन कमेटी द्वारा दरकिनार कर दिया जाता है.
· एनालिटिकल स्किल्स
बिजनेस लीडर्स, खासकर किसी टॉप बी-स्कूल से पासउट कैंडिडेट्स की जरुरत कठिन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए होती है. आजकल कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काफी कॉम्पीटीशन है और इसलिए किसी गलती या गड़बड़ की तो कोई गुंजाइश ही नहीं रहती. ऐसी प्रॉब्लम्स को सफलतापूर्वक सॉल्व करने का एकमात्र तरीका आपकी एनालिटिकल एबिलिटी है. इसलिए, आईआईएम्स जैसे बिजनेस स्कूल्स ऐसे कैंडिडेट्स को महत्व देते हैं जिनके पास बेहतरीन एनालिटिकल स्किल्स होती हैं. एक एमबीए कैंडिडेट के तौर पर, आपको प्रॉब्लम्स और उनसे संबद्ध पहलुओं को जरुर समझना चाहिए, उपलब्ध डाटा सेट्स को एनालाइज करें और सभी उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन करें तथा उन विकल्पों को चुनें और लागू करें जिनसे अधिकतम फायदा मिले. इसके अलावा, एमबीए कैंडिडेट्स के पास इस बात का एक उपयुक्त कारण होना चाहिए कि उन्होंने एमबीए के अलावा कोई अन्य विकल्प क्यों नहीं चुना?
अगर आप किसी टॉप बी-स्कूल के इंटरव्यू में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कुछ मुश्किल केस स्टडीज भी अच्छी तरह पढ़नी चाहिए ताकि आपकी एनालिटिकल स्किल्स निखर सकें.
· ग्लोबल अवेयरनेस
आजकल के ग्लोबल परिवेश में सभी बिजनेस और यहां तक की लोकल बिजनेसेज पर भी घरेलू आर्थिक नीतियों या छोटी-मोटी आर्थिक अनियमितताओं का असर वैश्विक स्तर तक देखा जा सकता है जिसका एक उदाहरण ‘वर्ष 2007 का सब-प्राइम क्राइसिस/ संकट’ है. इसलिए, भारत के बिजनेस स्कूल्स एमबीए कैंडिडेट्स से इकनोमिक, पोलिटिकल लेवल के साथ-साथ सोशल और कल्चरल लेवल पर भी विश्व के लेटेस्ट अपडेट्स के बारे में अवेयर होने की उम्मीद रखते हैं. एमबीए ग्रेजुएट्स से उम्मीद की जाती है कि पूरे संसार की सामाजिक-आर्थिक और पोलिटिकल पॉलिसीज के इकनोमिक असर का अनुमान लगा सकें, जोखिम का मुल्यांकन करें और नुकसान नियंत्रण के उपायों को लागू करें.
· इंटरपर्सनल स्किल्स
कम्युनिकेशन अच्छे बिजनेस के लिए बहुत जरुरी होता है. इसलिए, यह किसी एमबीए कैंडिडेट के तरकश में बेहद महत्वपूर्ण तीर होता है. अगर आप भारत के टॉप बी-स्कूल्स द्वारा उपलब्ध करवाए गए प्लेसमेंट डाटा पर एक नजर डालें तो ऐसा प्रतीत होगा कि कई एमबीए ग्रेजुएट्स फाइनेंस, एकाउंटिंग के जनरल प्रिंसिपल्स और बेहतर बिजनेस प्रैक्टिसेज सीखने में सक्षम होते हैं, लेकिन जब इंटरपर्सनल स्किल्स की चर्चा चले तो वे कामयाब नहीं हो पाते हैं. टॉप ब्रांड्स में भावी मैनेजर के तौर पर, किसी एमबीए कैंडिडेट के पास बेहतरीन इंटरपर्सनल स्किल्स होने चाहिए ताकि उनसे एडमिशन कमेटी इम्प्रेस हो सके. बेहतरीन इंटरपर्सनल स्किल्स होने पर आपके काम और टीम के प्रोजेक्ट्स अच्छी तरह पूरे होने के साथ-साथ नेटवर्किंग के लिए भी कई बढ़िया अवसर मिलते हैं. इससे कैंडिडेट्स को भी फायदा होता है जैसेकि वे अपने काम को नया आयाम दे सकते हैं और इंटरपर्सनल स्किल्स के साथ ही बेहतरीन नेगोशिएशन स्किल्स भी विकसित कर सकते हैं. इंटरपर्सनल स्किल्स की सबसे अच्छी बात तो यह है कि केवल कुछ महीने लगातार प्रैक्टिस करके आप इन स्किल्स को आसानी से सीख सकते हैं. इसलिए, अगर पर्सनैलिटी के स्वॉट (SWOT) एनालिसिस में इंटरपर्सनल स्किल्स को ‘डब्ल्यू’ के तहत रखा जाता है, तो यह उचित समय है कि आप इन स्किल्स को बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दें.
· टीमवर्क
टीमवर्क एक बढ़िया और सुस्पष्ट सफलता प्राप्त करने का मंत्र है जो एमबीए कैंडिडेट्स के साथ-साथ सभी स्टूडेंट्स और पेशेवरों के लिए उपयुक्त है. लेकिन जब हम एमबीए कैंडिडेट्स की बात करते हैं तो टीमवर्क के कॉन्सेप्ट को एक अलग नजरिये से देखने की जरुरत होती है. एमबीए ग्रेजुएट्स को बिजनेस वर्ल्ड का भावी लीडर माना जाता है जो अपने संगठन के गोल्स प्राप्त करने के लिए अपनी टीम को प्रेरित कर सकें. इसलिए, कई एमबीए कैंडिडेट्स को टीम प्लेयर्स बनना काफी मुश्किल लगता है. जहां एक तरफ यह साबित करना महत्वपूर्ण होता है कि आप किसी टीम को लीड कर सकते हैं, वहीँ यह साबित करना भी महत्वपूर्ण है कि आप किसी टीम के एक हिस्से के तौर पर काम कर सकते हैं. एक लीडर के तौर पर, आपको अपनी टीम की ताकत और कमजोरियों के बारे में जरुर पता होना चाहिए और एक टीम प्लेयर के तौर पर, आप टीम के कामों में एक तरफ रह कर अन्य लोगों को उन मैटर्स में अपने टीम को लीड करने का अवसर जरुर दें जिन मैटर्स में वे कुशल हैं. आसान शब्दों में, आप अपने लीडरशिप ट्रेट्स और टीमवर्क में अच्छा संतुलन बना कर रखें ताकि आपकी टीम अधिकतम कुशलता से अपने काम और प्रोजेक्ट्स पूरे कर सके.
भारत के टॉप बी-स्कूल्स टीमवर्क पर खास बल देते हैं जैसेकि स्टूडेंट्स को इस 2 वर्ष के प्रोग्राम के दौरान मिलने वाले कई ग्रुप प्रोजेक्ट्स और असाइनमेंट्स के माध्यम से भी देखा जा सकता है.
ये कुछ ऐसी क्वालिटीज हैं जो भारत के टॉप बी-स्कूल्स अपने स्टूडेंट्स में तलाश करते हैं. अगर आपको लगता है कि हमने किसी विशेष पर्सनैलिटी ट्रेट या क्वालिटी का जिक्र नहीं किया है जो आपको अपनी एमबीए की डिग्री सहित एक बेहतरीन मैनेजर बनने में मदद कर सके, तो आप इस बारे में नीचे कमेंट सेक्शन में हमें जरुर लिखें.
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