Find chapter notes for UP Board class 10th mathematics notes on chapter 1 (Rational Expressions) from here. These notes are based on chapter 1 (Rational Expressions) of class 10th maths subject. Read this article to get the notes, here we are providing each and every notes in a very simple and systematic way.The main topic cover in this article is given below :
हम देखते है कि ऊपर दिये गये गुधाधर्मों में पूर्णांकों के गुणधर्म तथा बहुपदों के संगत गुणधर्म बिल्कुल समान हैं। अत: हम यह कह सकते है कि बहुपद भी 'पूर्णांकों की तरह व्यवहार' करते हैं। अत: अब हम संख्याओं की बीजगणित से सम्बन्धित संकल्पनाओं को बहुपदों की बीजगणित से सम्बन्धित संकल्पनाओं में लागू करने का प्रयास कर सकते हैं।
यदि m और n नही है समान 0 पूर्णांक हों, तो यह आवश्यक नहीं है कि m/n भी पूर्णाक को। अत: हमें अपनी संख्या प्रणाली को विस्तृत करना पड़ा था और उसमें परिमेय संख्याओं की संकल्पना का समावेश करना पड़ा था। हम परिमेय संख्या की परिभाषा दो पूर्णाकों m और n जहाँ n0 के भागफल m/n के रूप देते हैं। इसी प्रकार यदि p(x) और q(x) दो बहुपद हों [q(x) शून्येतर बहुपद है ] तो यह आवश्यक नहीं है कि p(x)/q(x) भी एक बहुपद हो। अत: हमें परिमेय व्यंजक (rational expression) की संकल्पना का समावेश करना होता है।
परिमेय व्यंजक को परिभाषा : हम परिमेय व्यंजक की परिभाषा दो बहुपदों p(x) और q(x), जहाँ q(x) शून्य बहुपद नहीं है, के भागफल p(x)/q(x) रूप में देते हैं।
परिमेय व्यंजक p(x)/q(x) p(x) को अंश और q(x) को हर कहते है।
हम जानते हैं कि प्रत्येक पूर्णांक m को भी एक परिमेय संख्या माना जा सकता है, क्योंकि हम m को m/1 के रूप में लिख सकते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक बहुपद p(x) को एक परिमेय व्यंजक माना जा सकता है, क्योंकि हम p(x) को p(x)/1 के रूप में लिख सकते है। उदाहरणार्थ,
UP Board Class 10 Mathematics Notes : Quadratic Equations (Chapter Third)
2. निम्नलिखित व्यंजकों में से कौन-कौन से व्यंजक परिमेय व्यंजक हैं ?
4. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश एक रैखिक बहुपद हो और हर एक द्विघात बहुपद हो ।
5. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश एक एकपदीय हो और हर एक द्विपदीय (Binomial) हो ।
6. एक ऐसा परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश 3 तथा 1/2 द्धगूव्यों वाला द्विधात यगुपद है तथा जिसका हर – 3 / 4 तथा 4 मूलों वाला द्विघात बहुपद है ।
7. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसमें अंश एक द्विघात बहुपद जिसके शून्य 1 और … 1 हैं तथा हर एक त्रिघात बहुपद है, जिसके शून्य 2, 3 तथा 4 हैं ।
UP Board Class 10 Science Notes : Sulphur dioxide and Ammonia gases
पूर्णांकों (Integers) | बहुपद (Polynomails) |
(i) योग का संवृत गुण (Closure Porperty of Addition) : दो पूर्णांकों का योग एक पूर्णांक होता है| अर्थात् (ii) योग का क्रमविनिमेय नियम (Commutative Law of Addition):
(iii) योग साहचर्य नियम (Associative Law of Addition):
(iv) योग का तत्समक अवयव (Additive Identity): पूर्णांक शून्य ‘0’ ऐसा पूर्णांक है कि किसी भी पूर्णांक ‘a’ के लिए a + 0 = a = 0 + a पूर्णांकों ‘0’ के योग को तत्समक अवयव कहते हैं| (v) योज्य प्रतिलोम (Additive Inverse): किसी भी पूर्णांक ‘a’ के संगत एक ऐसा पूर्णांक ‘- a’ होता है जिससे कि a + (- a) = 0 = (- a) + a पूर्णांक (-a) को पूर्णांक ‘a’ का योज्य प्रतिलोम कहते हैं| (vi) गुणा का संवृत गुणा (Closure Porperty of Multiplication) : किन्हीं भी दो पूर्णांकों का गुणनफल एक पूर्णांक होता हैं| (vii) गुणा का क्रमविनिमेय नियम (Commutative Law of Multiplication): (viii) गुणा का साहचर्य नियम (Associative Law of Multiplication): (ix) वितरणात्मक गुण (Distributive Law) :
या (a + b).c = (a.c) + (b.c). (x) गुणा का तत्समक अवयव (Multiplicative Identity): पूर्णांक ‘1’ ऐसा होता है कि किसी पूर्णांक ‘a’ के लिए a X 1 = a 1 X a पूर्णांक ‘1’ को गुणा का तत्समक अवयव कहते हैं| | (i) योग का संवृत गुण (Closure Property ऑफ Addition) : दो बहुपदों का योग एक बहुपद होता है| अर्थात्
ii) योग का क्रमविनिमेय नियम (Commutative Law of Addition):
(iii) योग साहचर्य नियम (Associative Law of Addition):
(iv) योग का तत्समक अवयव (Additive Identity): शून्य बहुपद ‘0’ ऐसा होता है कि किसी भी बहुपद p(x) के लिए p(x) + 0 = p(x) = 0 + p(x) शून्य बहुपद ‘0’ के योग को तत्समक अवयव कहते हैं| (v) योज्य प्रतिलोम (Additive Inverse): किसी भी बहुपद p(x) के संगत एक ऐसा बहुपद [-p(x)] होता है जिससे कि p(x) + [-p(x)] = 0 = [ -p(x)] + p(x) बहुपद [-p(x)] को p(x) का योज्य प्रतिलोम कहते हैं| (vi) गुणा का संवृत गुणा (Closure Porperty of Multiplication) : किन्हीं भी दो बहुपदों का गुणनफल एक बहुपद होता हैं|
(vii) गुणा का क्रमविनिमेय नियम (Commutative Law of Multiplication): (viii) गुणा का साहचर्य नियम (Associative Law of Multiplication):
(ix) वितरणात्मक गुण (Distributive Law) :
या [p(x)+q(x)]. r(x)] = p(x).r(x) + q(x).r(x). (x) गुणा का तत्समक अवयव (Multiplicative Identity): अचर बहुपद ‘1’ ऐसा होता है कि किसी बहुपद p(x) के लिए p(x).1 = p(x) = 1.p(x) बहुपद ‘1’ को गुणा का तत्समक अवयव कहते हैं| |
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