UP Board Class 12 Biology First Solved Question Paper Set-1: 2014

Apr 25, 2016, 11:00 IST

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Few questions from the solved papers are here:

प्रश्न: रसांकुर कहाँ पाये जाते है? इनके क्या कार्य है?     

उत्तर: रसांकुर आहारनाल की क्षुद्रांत्र में पाये जाते है| इनके कारण क्षुद्रांत्र की अवशोषण सतह में वृद्धि हो       जाती है | पचे हुए भोज्य पदार्थो के अवशोषण का कार्य करते है|

प्रश्न: हार्मोन्स एवं विटामिन्स में अंतर बताइए|    

उत्तर: हार्मोन्स एवं विटामिन्स में अंतर–

क्र०सं०

विटामिन

हॉर्मोन्स

1.

जन्तुओं में विटामिन्स का संश्लेषण नहीं होता| (विटामिन ‘D’ को छोड़कर)|

हॉर्मोन्स का संश्लेसन अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियों में होता है|

2.

ये कार्बनिक अम्ल, एस्टर, स्त्रएड्स अदि होते है| ये प्रोटीन्स नहीं होते है|

ये प्रोटीन्स, स्त्रएड्स ग्लाइकोप्रोटीन्स, एमीनो अम्ल आदि के व्युत्पन्न होते है|

3.

विटामिन्स एन्जाइम्स के घटक या सहएन्जाइम्स का कार्य करते है| ये जैव रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते है|

हॉर्मोन्स जीन की क्रियाशीलता या कोंशा कला की पाराग्म्यता को प्रभावित करके उपापचय क्रियाओं को प्रभावित करते हैं|

4.

इनकी कमी से अल्पता रोग होते हैं|

इनकी अल्प या अतिस्त्रावण से कार्यात्मक रोग हो जाते हैं|

प्रश्न: वंशागत तथा उपार्जित लक्षणों में अंतर बताइए तथा प्रत्येक का उदहारण दीजिए|

उत्तर: वंशागत लक्षण या भिन्नताएँ (Genetic variariation on characters)–

जिन ढाँचे में परिवर्तन के फलस्वरूप जीवों में उत्पन्न होने वाली विभिन्नताएँ या लक्षण वंशागत होते है| जिन ढांचो में भिन्नता युग्मकजनन या निषेचन के समय युग्मकों के अनियमित रूप से संलयन के फलस्वरूप अथवा उत्परिवर्तन के फलस्वरूप होती है जैसे वर्णांन्धता, हिमोफिलिया आदि व्याधियाँ|

उपार्जित लक्षण या भिन्नताएँ (Acquired characters or variations): ये भिन्नताएँ वातावरण प्रभाव (भोजन,  ताप, प्रकाश, नमी आदि) अंगो के उपयोग व अनुपयोग के फलस्वरूप अथवा अन्तः स्त्रावी हार्मोन्स के अल्प या अतिस्त्रावण के फलस्वरूप उत्पन्न होती है| इनको उपार्जित लक्षण कहते है| ये वंशागत नहीं होते| पहलवान की माँसपेशिया अधिक सुगठित एवं सुदृढ़ होती है| भारतीय बालिकाओं के नाक कान छेदने की पुरानी प्रथा है| लेकिन जन्म के समय नाक व कान छिदे हुए नहीं होते|

प्रश्न: आनुवंशिक अभियांत्रिकी के मानव हित में चार अनुप्रयोग लिखिए|   

उत्तर: आनुवंशिक अभियांत्रिकी अनुप्रयोग:

(i)  आनुवंशिक रोगों की पहचान करना|

(ii)  व्यक्तिगत जिन्स को पृथक् करना|

(iii) आनुवंशिक रोंगों का उपचार|

(iv) व्यावसायिक उत्पाद जैसे फ्लेवर सेवर टमाटर, मानव इन्सुलिन, मानव वृद्धि हार्मोन, विभिन्न रोंगों के टीकों का उत्पादन, कीट प्रतिरोधी, जीवाणु प्रतिरोधी, विषाणु प्रतिरोधी पौधे तैयार करना आदि|

प्रश्न: संवहनीय ऊत्तक से आप क्या समझते है? सामान्य संयोजी उत्तक से यह किस प्रकार भिन्न है? रुधिर की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए|                                     

उत्तर: संवहनीय ऊत्तक (Connective Tissue): इसके अंतर्गत रक्त लसिका आते है| इनका मेट्रिक्स तरल प्लाज्मा होता है| प्लाज्मा में स्वेत कोलैजन तन्तु एवं पीले लचीले तन्तु नहीं होते है| प्लाजमा में स्थित कोशिकाएँ रुधिराणु कहलाती है| रुधिराणु प्लाज्मा का स्त्रावण नहीं करते|

रुधिर की संरचना (Sturcture of blood): रुधिर जल से थोड़ा अधिक गाढ़ा, हल्का क्षारीय (pH 7.4) होता है| एक स्वस्थ मनुष्य में रक्क्त शरीर के कुल भार का 7% से 8% होता है| रुधिर के दो मुख्य घटक होते है–

(1) प्लाज्मा (PPlasmsma),           

यह हल्के पीले रंग का, हल्का क्षारीय एवं निर्जीव तरल है| यह रुधिर का लगभग 55% भाग बनाता है| प्लाज्मा में लगभग 90% जल होता है| 8 से 9% कार्बनिक पदार्थ तथा लगभग 1% अकार्बनिक पदार्थ होते है|

(अ) कार्बनिक पदार्थ (Organic Substance)–

रक्त प्लाज्मा में लगभग 7% प्रोटीन होते है| प्रोटीन्स   मुख्यतः एल्बुमिन, प्रोथ्रोम्बिन तथा फाइब्रिनोजन होती है| इनके अतिरिक्त हॉर्मोन्स, विटामिन्स, स्वसन गैसे, हिपैरिन यूरिया, अमोनिया, ग्लूकोस, एमिनो अम्ल,    वसा अम्ल, गिल्सरॉल, प्रतिरक्षी आदि होते है|

(ब) अकार्बनिक पदार्थ (Inoooyurtydoooorganiooghic Substance)–

कार्बनिक पदार्थों सोडियम, कैल्सियम, मैग्नेशियम तथा पोटैशियम के फॉस्फेट, बाइकर्बोबोनेट, सल्फेट या क्लोराइड्स आदि पाए जाते है|

(2) रुधिर कणिकाएँ या रुधिराणु (Blood Cells or Blood CorpuscalesCor)–

ये रुधिर का 45% भाग बनाते है| रुधिराणु तीन प्रकार के होते है| इनमें लगभग 99% लाल रुधिराणु है| शेष स्वेत रुधिराणु तथा रुधिर प्लेटलेट्स होते है|

(अ) लाल रुधिराणु (Red Blood Corpuscles or Erythrocytes)–

मनुष्य में इनकी संख्या 54 लाख प्रति घन मिमी रक्त होती है| स्तनियों के रुधिराणु केन्द्रकरहित, गोल  तथा उभयावतल (biconcave) होते है| इनमें लौहयुक्त यौगिक हिमोग्लोबिन पाया जाता है| ये ऑक्सीजन परिवहन का कार्य करता है| अन्य कशेरुकियों लाल रुधिराणु अंडाकार तथा केन्द्रयुक्त होते है|

(ब) स्वेत रुधिराणु या ल्यूकोसाइट्स (White blood corpuscles or Leucocytes)–

इनकी संख्या 6000 से 10,000 प्रति घन मिमी होती है| ये केन्द्रयुक्त, अमिबाभ तथा रंगहीन होते है| स्वेत रुधिराणु दो प्रकार के होते है– कणिकामय (granulocytes)  तथा कणिकारहित (agranulocytes)|

स्वेत रुधिराणु शरीर की सुरक्षा से सम्बन्धित होते है

कणिकामय स्वेत रुधिराणु का कोशाद्रव्य कणिकामय होते है| इनका केन्द्रक पालियुक्त (lobed) होता है|  ये तीन प्रकार के होती है – (i) बेसोफिल्स (ii) इओसिनोफिल्स तथा (iii) न्यूट्रोफिल्स| न्यूट्रोफिल्स बाह्य पदार्थों का भक्षण करके शरीर की सुरक्षा करते है|

कणिका रहित स्वेत रुधिराणु  का कोशाद्रव्य कणिका रहित होता है| इनका केन्द्रक अपेक्षाकृत बड़ा होता है|  ये दो प्रकार के होते है - (i) ये लिम्फोसाइट्स तथा (ii) मोनोसाइट्स| लिम्फोसाइट्स प्रतिरक्षी निर्माण करके तथा मोनोसाइट्स भक्षकाणु क्रियान द्वारा शरीर की सुरक्षा करते है|

रुधिर के कार्य (Functions of Blood)

1. ऑक्सीजन का परिवहन – लाल रुधिर कणिकाओ का हिमोग्लोबिन (heomoglobin) ऑक्सीजन से  क्रिया करके ऑक्सीहिमोग्लोबिन बनाता है| ऊतकों में पहुँचने पर ऑक्सीहिमोग्लोबिन ऑक्सीजन तथा हिमोग्लोबिन में टूट जाता है| ऑक्सीजन उत्तको द्वारा ग्रहण कर लि जाती है|

2. पोषक पदार्थों का परिवहन – आंत्र से अवशोषित पचे हुए भोज्य पदार्थ रुधिर प्लाज्मा द्वारा शरीर के विभिन्न उत्तकों में पहुँचाए जाते है|

3. उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन – शरीर में उपापचय क्रीयाओं कजे कारण यूरिया आदि उत्सर्जी पदार्थ बनते है| इन्हें रुधिर उत्सर्जी अंगों (वृक्क) में पहुँचा देता है| CO2 प्लाज्मा के द्वारा श्वसनांग तक पहुंचाई जाती है|

4. अन्य पदार्थों का परिवहन – (Transport of other matters)– रुधिर हॉर्मोन्स, एन्जाइम्स, एंटीबॉडीज आदि का परिवहन होता है|

5  रोंगों से बचाव – स्वेत रुधिर कनिकाएँ रोगाणुओं को नष्ट करती है रुधिर अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों के प्रति प्रतिवर्ष (antitoxins)  बनाकर इनके हानिकारक प्रभावों से शरीर को सुरक्षा करता है|

6. समन्वय करना (Co–ordinations) – रुधिर का प्रमुख कार्य शरीर के विभिन्न अंगों में जल,लवण,  अम्ल-क्षार सन्तुलन को बनाए रखना है|

7. रुधिर शरीर ताप का नियन्त्रण एवं नियमन करता है|

Jagran Josh
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Education Desk

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