Vishwa Hindi Diwas 2025 Par Kavita​: विश्व हिंदी दिवस पर सुंदर और मधुर कविताएं यहाँ पढ़ें

Vishwa Hindi Diwas par Kavita: विश्व हिंदी दिवस पर कविताएं छात्रों और लेखकों को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का एक मंच प्रदान करती हैं। यहां पढ़ें बच्चों और बड़ों के लिए 10 बेहतरीन और प्रेरक कविताएं, जो हिंदी भाषा की सुंदरता और महत्व को उजागर करती हैं।

Jan 10, 2025, 10:56 IST
Vishwa Hindi Diwas par Kavita
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World Hindi Day 2025: हर वर्ष 10 जनवरी को पूरे विश्व में 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा की वैश्विक पहचान और उसके प्रचार-प्रसार को समर्पित होता है। हिंदी न केवल हमारी मातृभाषा है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस दिन को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेज, और सांस्कृतिक संगठनों में इस दिन विशेष कविताएं, निबंध, और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

विश्व हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल 10 जनवरी को मनाया जाने वाला विश्व हिंदी दिवस हिंदी भाषा को एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा देता है और इसके वैश्विक महत्व को मान्यता दिलाता है। यह दिन हिंदी के प्रचार-प्रसार और उसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को भारत के नागपुर में आयोजित किया गया था, और इसी को ध्यान में रखते हुए इस दिन को चुना गया।

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विश्व हिंदी दिवस पर कविताओं का महत्व

कविताएं हमेशा से ही किसी भाषा की गहराई और सौंदर्य को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम रही हैं। हिंदी में लिखी कविताएं न केवल भाषा की सरलता और भावनाओं को उजागर करती हैं, बल्कि समाज और संस्कृति को भी जोड़ने का कार्य करती हैं। विश्व हिंदी दिवस पर कविताएं छात्रों और लेखकों को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का एक मंच प्रदान करती हैं।

World Hindi Day Poems: विश्व हिंदी दिवस पर सुंदर कविताएं

नीचे पढ़ें बच्चों और छात्रों के लिए प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित भावपूर्ण और प्रेरक कविताएं:

1. हिन्दी जनता की भाषा है (कविता - देवमणि पांडेय)

हिन्दी इस देश का गौरव है,

हिन्दी भविष्य की आशा है।

हिन्दी हर दिल की धड़कन है,

हिन्दी जनता की भाषा है।

इसको कबीर ने अपनाया,

मीराबाई ने मान दिया।

आज़ादी के दीवानों ने,

इस हिन्दी को सम्मान दिया।

जन जन ने अपनी वाणी से हिन्दी का रूप तराशा है।

2. तोते भी राम-राम कहते हैं (कविता - मैथिलीशरण गुप्त)

मेरी भाषा में तोते भी राम-राम जब कहते हैं।

मेरे रोम-रोम से मानो सुधा स्रोत तब बहते हैं।

सब कुछ छूट जाय मैं अपनी भाषा कभी न छोडूँगा।

वह मेरी माता है उससे नाता कैसे तोडूंगा।

कभी अकेला भी हूँगा मैं तो भी सोच न लाऊंगा।

अपनी भाषा में हिन्दी के गीत वहां पर गाऊँगा।

मुझे एक संगिनी वहां पर अनायास मिल जायेगी।

भाल की शृंगार, कविता - डॉ जगदीश व्योम

3. शृंगार है हिंदी (कविता - डॉ जगदीश व्योम)

माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी

हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी

घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी

स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी

तुलसी, कबीर, सूर औ' रसखान के लिए

ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी

4. अर्चन अपनी भाषा का (कविता - सोम ठाकुर)

 करते हैं तन-मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का,

अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का।

यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली,

माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली।

यह अपनी बँधी हुई अंजुरी ये अपने गंधित शब्द सुमन,

यह पूजन अपनी संस्कृति का यह अर्चन अपनी भाषा का।

5. हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी (कविता - डॉ जगदीश व्योम)

घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी

स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी

तुलसी, कबीर, सूर औ' रसखान के लिए

ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी

सिद्धांतों की बात से न होयगा भला

अपनाएँगे न रोज़ के व्यवहार में हिंदी

कश्ती फँसेगी जब कभी तूफ़ानी भँवर में

उस दिन करेगी पार, वो पतवार है हिंदी

माना कि रख दिया है संविधान में मगर

पन्नों के बीच आज तार-तार है हिंदी

सुन कर के तेरी आह 'व्योम' थरथरा रहा

वक्त आने पर बन जाएगी तलवार ये हिंदी

6. मेरी हिन्दी वाणी (कविता - आदित्य शुक्ल)

सरस, सुहावन मीठी ऐसी, ज्यों कोयल की वाणी।

भाषाओं में शिरोमणि है मेरी हिन्दी वाणी।

लिपि वैज्ञानिक देवनागरी महिमा अमित अपार।

शब्दों और भावों के जिसमें भरे हुए भंडार।

अलंकार के संग-संग करते स्वर व्यंजन अगवानी।

भाषाओं में शिरोमणि है मेरी हिन्दी वाणी।

संस्कृत वाणी इसकी जननी तमिल-तेलुगु बहनें।

बंगाली, उड़िया, मलयालम, कन्नड़ के क्या कहने।

सबको आदर, सबको ममता तेरी यही कहानी।

भाषाओं में शिरोमणि है मेरी हिन्दी वाणी।

तुलसी का मानस है, सूर की सूरसागर, सुरसिरता।

सूर्यकांत, जयशंकर, पंत के मन की सुमधुर कविता।

मीरा की यह गिरधर नागर, गुरूनानक की वाणी।

भाषाओं में शिरोमणी है मेरी हिन्दी वाणी।

7. हिंदी जन की बोली है (कविता - गिरिजा कुमार माथुर) 

उच्चवर्ग की प्रिय अंग्रेजी, हिंदी जन की बोली है,

वर्ग भेद को खत्म करेगी, हिंदी वह हमजोली है।

सागर में मिलती धाराएँ, हिंदी सबकी संगम है,

शब्द, नाद, लिपि से भी आगे, एक भरोसा अनुपम है।

गंगा कावेरी की धारा, साथ मिलाती हिंदी है।।

8. निज भाषा उन्नति अहै (कविता - भारतेंदु हरिश्चंद्र)

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन

पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।

 उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय

निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय।

9.भाषा पर प्यार (कविता - मैथिलीशरण गुप्त)

करो अपनी भाषा पर प्यार,

जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार

जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,

और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार

बढ़ायो बस उसका विस्तार,

करो अपनी भाषा पर प्यार

भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,

सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान

असंख्यक हैं इसके उपकार

करो अपनी भाषा पर प्यार

यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,

और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद

बनाओ इसे गले का हार

करो अपनी भाषा पर प्यार

10.अभिनंदन अपनी भाषा का (कविता - सोम ठाकुर)

करते हैं तन-मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का

अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का।

यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली

माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली

यह अपनी बँधी हुई अंजुरी ये अपने गंधित शब्द सुमन

यह पूजन अपनी संस्कृति का यह अर्चन अपनी भाषा का।

अपने रत्नाकर के रहते किसकी धारा के बीच बहें

हम इतने निर्धन नहीं कि वाणी से औरों के ऋणी रहें

इसमें प्रतिबिंबित है अतीत आकार ले रहा वर्तमान

यह दर्शन अपनी संस्कृति का यह दर्पण अपनी भाषा का।

यह ऊँचाई है तुलसी की यह सूर-सिंधु की गहराई

टंकार चंद वरदाई की यह विद्यापति की पुरवाई

जयशंकर की जयकार निराला का यह अपराजेय ओज

यह गर्जन अपनी संस्कृति का यह गुंजन अपनी भाषा का।

कविताएं क्यों महत्वपूर्ण हैं?

  • सांस्कृतिकजुड़ाव का प्रतीक: हिंदी दिवस पर लिखी गई कविताएं भारत की विविधता और उसकी एकता को दर्शाती हैं।
  • प्रेरणाका स्रोत: ये कविताएं युवाओं को हिंदी भाषा को सम्मान देने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित करती हैं।
  • भाषाकी गहराई का अनुभव: स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी दिवस पर कविताएं विद्यार्थियों को भाषा की गहराई समझने और उसकी सुंदरता का अनुभव करने में मदद करती हैं। 

विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में अंतर

विश्व हिंदी दिवस: यह हर साल 10 जनवरी को हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने और अंतरराष्ट्रीय उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इसे भारत सरकार ने 10 जनवरी, 2006 में आधिकारिक रूप से मनाना शुरू किया।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस: यह हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व और उसके आधिकारिक उपयोग को बढ़ावा देना है।

कैसे मनाएं विश्व हिंदी दिवस?

  • कविताप्रतियोगिता: स्कूल और कॉलेजों में कविता लेखन और पाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन करें।
  • सोशलमीडिया पर साझा करें: हिंदी कविताओं को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उनके महत्व को बढ़ावा दें।
  • हिंदीभाषा के बारे में जागरूकता: इस दिन पर हिंदी भाषा के इतिहास और महत्व को समझने के लिए सेमिनार और चर्चा का आयोजन करें।

विश्व हिंदी दिवस पर कविताओं के माध्यम से हम हिंदी भाषा के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त कर सकते हैं। यह दिन हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक सुंदर अवसर है प्रदान करता है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व और पहचान का अभिन्न हिस्सा है। आइए, इस हिंदी दिवस पर कविताओं के माध्यम से हिंदी को और भी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लें।

World Hindi Diwas Speech in English For Students

Gurmeet Kaur
Gurmeet Kaur

Assistant Manager

Gurmeet Kaur is an Education Industry Professional with 10 years of experience in teaching and creating digital content. She is a Science graduate and has a PG diploma in Computer Applications. At jagranjosh.com, she creates content on Science and Mathematics for school students. She creates explainer and analytical articles aimed at providing academic guidance to students. She can be reached at gurmeet.kaur@jagrannewmedia.com

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