आईएएस प्रारंभिक परीक्षा 2014 आगामी 24 अगस्त को होने जा रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था आईएएस प्रारंभिक परीक्षा सिलेबस का एक सामान्य अंग है और उसकी तैयारी करनी है, चाहे सिलेबस में उसका उल्लेख हो या नहीं. सिलेबस में आर्थिक और सामाजिक विकास का उल्लेख किया गया है. इसका कारण यह है कि आर्थिक और सामाजिक विकास अंतर्ग्रथित हैं और दोनों एक-साथ घटित होते हैं. आईएएस सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र I में अर्थव्यवस्था पर अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं और उसमें कई ऐसी अंत:संबंधित संकल्पनाएँ हैं, जो अन्य विषयों पर अपनी छाया डालती हैं.
इन सब कारणों से परीक्षा में सफलता के लिए अर्थव्यवस्था की तैयारी अपरिहार्य हो जाती है. इतना ही नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था की अच्छी समझ आईएएस मुख्य परीक्षा के लिए भी बहुत सहायक है.
शुरुआत कैसे करें
अर्थव्यवस्था की तैयारी शुरू करने के लिए अभ्यर्थी को मूल सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए और वर्तमान घटनाओं तथा उनके निहितार्थों की ओर जाना चाहिए.
• अभ्यर्थियों को अर्थशास्त्र की मूलभूत पुस्तकों से शुरुआत करनी चाहिए, जैसे कि एनसीईआरटी की कक्षा VIII, IX, X, XI, XII की पुस्तकें. यह उनके लिए परीक्षा के प्रत्येक चरण में मददगार होगा.
• अगला कदम है विभिन्न संस्थाओं और उनकी समन्वित कार्यप्रणाली के बारे में जानना, क्योंकि विभिन्न संस्थाओं की कार्यप्रणाली और उनके क्षेत्राधिकार के दायरे को जानना अनिवार्य है. इससे उन्हें वर्तमान घटनाओं को समझने में मदद मिलती है.
• संस्थाओं की जानकारी प्राप्त करने के बाद अभ्यर्थियों को संस्थाओं की कार्यप्रणाली का विश्लेषण करना चाहिए, ताकि वे वर्तमान संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता समझ सकें.
• उपर्युक्त कार्य करने के बाद अभ्यर्थियों को हमारे देश की सूक्ष्म आर्थिक नीतियों से संबंधित सरकारी निर्णयों का अध्ययन शुरू करना चाहिए. सूक्ष्म आर्थिक नीतियाँ वे नीतियाँ हैं, जो पूरे देश को समग्र रूप से प्रभावित करती हैं.
• समाचारपत्र अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों की अद्यतन जानकारी देते हैं. संपादकीय और आर्थिक नीतियों से संबंधित मत अभ्यर्थियों को विश्व के संबंध में अपना मत निर्मित करने में मार्गदर्शन करते हैं.
• बजट और आर्थिक सर्वेक्षण तथा ‘भारत’ इयरबुक अभ्यर्थियों को भारतीय अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली के संबंध में वास्तविक अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायता करते हैं.
• अर्थव्यवस्था की वास्तविक कार्यप्रणाली कई गुना बढ़ गई है और वैश्वीकरण ने कार्यरत अर्थव्यवस्थाओं का एक वैश्विक नेटवर्क निर्मित कर दिया है. विश्वभर की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं.
• विश्व की कुछ संस्थाएँ, जैसे कि विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन तथा कुछ क्षेत्रीय आर्थिक संस्थाएँ जैसे कि सार्क बैंक, एशियाई विकास बैंक आदि विश्व के साथ भारत की आर्थिक अंत:क्रिया को प्रभावित कर रही हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation