रीजनिंग में अगर आपका कॉन्सेप्ट क्लियर है, तो आप धड़ल्ले से क्वैश्चंस सॉल्व करते जाएंगे। अगर ऐसा नहीं है, तो आप आसान सवालों में भी उलझकर रह जाएंगे।
ऑब्जर्व ऐंड एनालाइज
पिछले कुछ वर्षो के क्वैश्चन पेपर्स सॉल्व करने की प्रैक्टिस करें। हर क्वैश्चन को अच्छी तरह एनालाइज और ऑब्जर्व करें। हर क्वैश्चन का अपना एक पैटर्न होता है। किसी न किसी बेसिक स्ट्रक्चर पर पूरा क्वैश्चन बनाया गया होता है। इस स्ट्रक्चर को समझें।
यूज योर कॉमनसेंस
रीजनिंग बेस्ड सभी क्वैश्चंस मेंटल लेवल चेक करने के लिए होते हैं। चाहे जितनी भी टेक्निक्स यूज कर लें, आखिरकार कॉमनसेंस ही काम आता है। जरा-सी लापरवाही या चूक से पूरा सवाल ही गलत हो सकता है।
क्वैश्चन ध्यान से पढ़ें
कई बार आसान सवाल को भी इतना घुमाकर पूछा जाता है कि अगर आपने उसे पढ़ने में जरा भी असावधानी दिखाई, तो आप मार्क्स और टाइम दोनों वेस्ट कर देंगे।
रिलेट ऑल लेटर्स
कोडिंग के पार्ट में मुख्य रूप से अक्षर, कॉमन लेटर, लेटर नंबर आदि के मुताबिक कोडिंग-डिकोडिंग के कुछ क्वैश्चंस होते हैं। इसमें ऑब्जर्वेशन और एनालिसिस पावर होना जरूरी है।
डायग्राम और ग्राफ की मैपिंग
इन पर बेस्ड 4-5 क्वैश्चंस पूछे जाते हैं। इनका आंसर ऑप्शंस में से तलाशना होता है। पहले इनको अच्छी तरह समझें। उनके संबंधों
पर नजर दौड़ाएं। इसके बाद ऑप्शंस में से आंसर ढूंढें।
डाटा में रिलेशंस ढूंढें
उम्र और रिलेशंस बेस्ड क्वैश्चंस में डाटा का खेल होता है।?डाटा एनालाइज करें, कन्क्लूजन निकालें, फिर आंसर दें। इसका एक ही तरीका है, रेगुलर प्रैक्टिस।
कन्फ्यूजंस पहले ही दूर कर लें
जहां भी प्रॉब्लम हो, अपने सीनियर्स या टीचर से एडवाइस लें। कन्फ्यूजन जितनी जल्द हो, दूर कर लें, क्योंकि एग्जाम टाइम में टेंशन से पेपर खराब हो सकता है।
समय पहले ही तय कर लें
परीक्षा में शामिल होने जा रहे विद्यार्थियों को रीजनिंग के लिए आवश्यक समय अपनी तैयारी के अनुसार पहले ही निर्धारित कर लेना चाहिए। अगर इसमें तैयारी अच्छी है तो एक सवाल पर आधा मिनट देना ही ठीक रहेगा। तैयारी अगर सामान्य है तो एक सवाल पर एक मिनट तक लगा सकते हैं और अगर तैयारी है ही नहीं तो फिर रीजनिंग को सबसे बाद में ही हल करने की रणनीति बनाकर चलें नहीं तो सवालों में फंसकर आप इतना समय व्यर्थ कर देंगे कि बाकी के आते हुए सवालों को हल करने के लिए शायद समय ही नहीं बचेगा।
सवाल सही पढें
रीजनिंग के प्रश्न आपकी तर्कशक्ति और संचेतना को जांचने के लिए होते हैं इसलिए कई बार आसान सवाल को भी इतना धुमाकर पूछा जाता है कि अगर आपने उसे पढऩे में जरा भी गंभीरता कम की तो आप अपना अंक और समय दोनों व्यर्थ कर देंगे। रक्त संबंध और उम्र संबंधी सवालों में कई बार ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता है जो बड़ों-बड़ों को उलझा कर रख देती है।
लॉजिक से रीजनिंग में करें स्कोर
अभी तक के रुझान के मुताबिक इस तरह के क्वैश्चंस ज्यादा पूछे जाते हैं :
-स्टेटमेंट बेस्ड
-डिसीजन मेकिंग
-नंबर सीरीज
-अल्फाबेट सीरीज
-टेस्ट ऑफ डायरेक्शन
-कोडिंग ऐंड डिकोडिंग
-नंबर रैंकिंग
-अर्थमेटिक रीजनिंग
-एज बेस्ड
-ब्लड रिलेशन बेस्ड
-डिसीजन लॉजिक बेस्ड
-नॉन-वर्बल सीरीज
-पिक्चर बेस्ड रीजनिंग
-ग्रुपिंग आइडेंटिकल फिगर
सक्सेस टिप्स
-हर चैप्टर का कॉन्सेप्ट क्लियर करें।
-अच्छी तरह ऑब्जर्व और एनालाइज करें।
-मुश्किल चैप्टर्स की ज्यादा प्रैक्टिस करें।
-स्पीड और एक्यूरेसी पर ध्यान दें।
-क्वैश्चंस को पढ़कर इमेजिन करें।
-कॉमन सेंस का ज्यादा यूज करें।
-फॉर्मूले को माइंड मैप बनाकर याद करें।
माइंड में करें कैलकुलेशन
इस एग्जाम में टाइम बहुत कम होता है, इसलिए लंबे-लंबे कैलकुलेशन की बजाय क्विकर मेथड सीखना चाहिए। कागज-कलम की बजाय माइंड में ही कैलकुलेशन करने की हैबिट डालें। इसके लिए किसी अच्छे टीचर या कोचिंग की मदद लें। आपने स्पीड बना ली, फिर सक्सेस मिलनी तय है।
रीजनिंग में करें कॉन्सेप्ट क्लियर
रीजनिंग में अगर आपका कॉन्सेप्ट क्लियर है, तो आप धड़ल्ले से क्वैश्चंस सॉल्व करते जाएंगे। अगर ऐसा नहीं है, तो आप आसान सवालों में भी उलझकर रह जाएंगे.
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