Criminal Procedure (Identification) Act, 2022: केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के तहत नियमों को अधिसूचित कर दिया है. जो पुलिस को, दोषियों और आरोपियों के शारीरिक और जैविक नमूने प्राप्त करने का अधिकार देता है. इस अधिनियम के तहत एक पुलिस अधिकारी या केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के जेल अधिकारी को दोषियों के शारीरिक और जैविक नमूने लेने का अधिकार होगा.
यह अधिनियम कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 से प्रेरित है. इसके तहत पुलिस अधिकारी गिरफ्तार किये गए, दोषी ठहराए गए या मुकदमे का सामना करने वाले लोगों का शारीरिक और जैविक रिकार्ड ले सकता है. जिसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और उसके नियंत्रण की इकाइयों के पास सुरक्षित रखा जायेगा.
Those who are citing human rights should also think about human rights of rape victims. They (Opposition) only worry about rapists, looters...But the Centre does worry about human rights of law-abiding citizens: Home Min Amit Shah on Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022 https://t.co/KZoArFmWda pic.twitter.com/KQM2kmqE4J
— ANI (@ANI) April 4, 2022
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022
28 मार्च, 2022 को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 बिल लोकसभा में पेश किया गया था. यह बिल संसद से पास होने के बाद एक अधिनियम का रूप ले लिया. जिसके तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में नियमों को अधिसूचित किया है.
किस तरह के डेटा जमा किये जायेंगे?
भारत की दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 के सेक्शन 53 या 53A के तहत पुलिस को डेटा एकत्र करने का अधिकार होगा. पुलिस दोषियों या अपराधियों के फिंगर-इंप्रेशन, फुटप्रिंट इंप्रेशन,आईरिस, फोटोग्राफ, हथेली का प्रिंट-इंप्रेशन,आंख का रेटिना स्कैन आदि क रिकार्ड लिया जा सकता है. साथ ही उनके सिग्नेचर, हैंडराइटिंग, वॉयस सैंपल सहित व्यवहारिक गुण के कोई और नमूने लिए जा सकते है.
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 से जुड़ी 10 प्रमुख बातें:
- उद्देश्य: इस अधिनियम का उद्देश्य अपराध में शामिल व्यक्तियों की विशिष्ट पहचान को सुनिश्चित करना, मामलों की जाँच तेज करना साथ ही जाँच एजेंसियों को केश को सुलझाने में मदद करना है.
- डेटा लेने का अधिकार: इसके तहत डेटा लेने का अधिकार पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी/ हेड कांस्टेबल के साथ साथ उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी और जेल के हेड प्रभारी को होगा. डेटा लेने का निर्देश मेट्रोपॉलिटन मेजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी का ज्यूडीशियल मेजिस्ट्रेट या एग्जीक्यूटिव मेजिस्ट्रेट दे सकता है.
- दंड प्रक्रिया संहिता सेक्शन 53A: सेक्शन 53A के तहत बाल का सैंपल, खून का सैंपल, सीमन, स्वैब और डीएनए प्रोफाइलिंग आदि का सैंपल लिया जा सकता है.
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB): इन डेटा का रिकार्ड राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में सुरक्षित रखा जायेगा.
- आधुनिक तकनीक: इस नियम के तहत आधुनिक तकनीक का उपयोग करके अपराधियों का सही रिकार्ड कलेक्ट करने में आसानी होगी.
- डेटा प्रबंधन: कलेक्ट किये गए डेटा को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास 75 वर्ष तक सुरक्षित रखा जायेगा. जिसका उपयोग आपराधिक मामलों की जाँच में किया जायेगा.
- जाँच एजेन्सियों को मिलेगी मदद: इससे तहत आपराधिक मामलों की जाँच कर रही एजेंसियों को अपराध में शामिल लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी.
- अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (CCTNS): कलेक्ट किये गए डेटा का उपयोग, अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली के डेटाबेस में उपयोग किया जा सकता है.
- इसके तहत एक या एक से अधिक साल की कठोर कारावास काट दोषियों का या गिरफ्तार व्यक्ति का रिकार्ड रखा जा सकता है.
- सेक्शन 8: दंड प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के सेक्शन 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार इसके द्वारा नियम, अर्थात् आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 को बनाया है.
आगे की राह:
कलेक्ट डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा पर सवाल उठाया जा सकता है. साथ ही सरकार को इसके लिए एक बेहतर योजना प्रस्तुत करनी चाहिए.यह अधिनियम कहीं न कहीं निजता के अधिकार को कमज़ोर करता है. साथ ही सामान्य नागरिक के निजता और मौलिक अधिकारों को भी कमजोर करता है. यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मानवाधिकार प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है.
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