एक सरकारी दस्तावेज में यह कहा गया है कि, “कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू ने अनुकरणीय नेतृत्व और पेशेवर दक्षता का परिचय दिया. उन्होंने दुश्मन के सामने विलक्षण बहादुरी दिखाई और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.”
गलवान नायक कर्नल संतोष बाबू के बलिदान के बारे में जानकारी
कर्नल संतोष बाबू, जिन्होंने पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा एक शातिर हमले का विरोध करते हुए अपने चौकसी पॉइंट पर अपना जीवन बलिदान कर दिया था, को आज मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. एक आधिकारिक बयान में, केंद्र सरकार ने यह बताया है कि, कैसे कर्नल बाबू ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सामने से रक्षा का नेतृत्व किया, जिसकी मान्यता में उन्हें मरणोपरांत यह सैन्य अलंकरण दिया जा रहा है, जोकि परमवीर चक्र के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा सैन्य-सम्मान है.
महावीर चक्र दुश्मन की उपस्थिति में दिखाए गए साहस पूर्ण कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है, चाहे वह जमीन पर, समुद्र में या हवा में हो. अपने आधिकारिक बयान में, सरकार ने यह भी कहा है कि, कर्नल संतोष बाबू ने चीनी सेना के हमले का विरोध किया था, जब वह 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' के दौरान गलवान घाटी में एक अवलोकन पोस्ट की स्थापना कर रहे थे.
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इस सरकारी दस्तावेज में यह भी बताया गया है कि, कैसे भारतीय सेना के जवान चीनी हमले से बुरी तरह से घायल होने के बावजूद पीछे नहीं हटे.
भारतीय सेना के अन्य कर्मियों को भी मिला मरणोपरांत सैन्य सम्मान
भारत सरकार भारतीय सेना के उन अन्य कर्मियों - नायब सूबेदार नुदुरम सोरेन, हवलदार के. पलानी, नायक दीपक सिंह, सिपाही गुरतेज सिंह - को भी मरणोपरांत सम्मान दे रही है जिन्होंने गलवान घाटी में चीनी हमले का विरोध करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. इन सभी को ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के दौरान इनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए पहचाना गया है - और इन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा.
04 पैरा स्पेशल फोर्स के सूबेदार संजीव कुमार को भी आज जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में एक ऑपरेशन के लिए कीर्ति चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा. इस ऑपरेशन में उन्होंने एक आतंकवादी को मार गिराया और दो अन्य को घायल कर दिया था.
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