Defence Services Staff College: भारत में रक्षा क्षेत्र में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी की कड़ी में, पहली बार, छह महिला अधिकारियों को प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC) के लिए चुना गया है. रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज भारतीय सेना में एकमात्र प्रतिस्पर्धी कोर्स प्रोग्राम है. जो उच्च पदों पर नियुक्तियों का मार्ग है.
अब ये महिला अधिकारी प्रतिष्ठित वॉर कॉलेज वेलिंगटन में प्रवेश करेंगी. गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन का निर्णय लिया था. इनका इनका शैक्षणिक सत्र अगले साल अप्रैल से शुरू होगा.
इस प्रतिष्टित परीक्षा में 15 महिला अधिकारी शामिल हुई थी, जिनमे से छः महिलायों ने यह परीक्षा पास की. जिनमे से एक महिला ने अपने पति के साथ यह परीक्षा पास की है. पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत सहित कई अन्य प्रमुखों ने डीएसएससी कोर्स किया है.
For the first time, six women officers have cleared the Defence Services Staff College exams. One lady officer has cleared the exam with her husband who is also an Army officer. Two of these lady officers are from the Corps of Military Intelligence: Indian Army officials pic.twitter.com/GJJ09NK8v0
— ANI (@ANI) November 15, 2022
लेफ्टिनेंट कर्नल सहित अन्य रैंक के लिए चलाया जाता है प्रोग्राम:
रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज से महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन का मौका मिलता है, साथ ही सेना के भीतर रैंक में प्रमोशन के लिए पुरुष समकक्षों के समान अवसर प्राप्त होंगे. डीएसएससी कोर्स तीनों सेनाओं के मेजर और लेफ्टिनेंट कर्नल के समकक्ष रैंक के लिए चलाया जाता है.
इस वॉर कॉलेज के कोर्स के बाद, कर्नल रैंक तक, सभी प्रोन्नति का आयोजन समय समय पर किया जाता है. जिसमे सात साल की सेवा के बाद मेजर और 13 साल के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचा जा सकता है.
सेना के अन्य सेलेक्शन प्रोसेस से अलग है डीएसएससी प्रक्रिया:
सेना में चलाये जाने वाले अन्य सेलेक्शन प्रोसेस से डीएसएससी की प्रक्रिया अलग है जिसमे सेलेक्शन प्रतियोगी परीक्षा पर आधारित होती है जिसे पास करना जरुरी होता है. यह प्रक्रिया नेशनल डिफेंस कॉलेज, हाई कमांड और हायर डिफेंस मैनेजमेंट जैसे अन्य सेलेक्शन प्रोसेस से अलग है. इससे सेना कर्मियों को लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक तक के पदों पर नियुक्त किया जाता है.
रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी:
वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सेना की नॉन कॉम्बैट सपोर्ट यूनिट्स में महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर परमानेंट कमीशन (PC) देने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने "लैंगिक रूढ़िवादिता" और "महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव" के आधार पर महिला अधिकारियों की शारीरिक सीमाओं पर सरकार के पक्ष को न मानते हुए ऐतिहासिक फैसला लिया था.
इंडियन नेवी ने 2021 की शुरुआत में करीब 25 साल के अंतराल के बाद चार महिला अधिकारियों को युद्धपोतों पर तैनात किया था जो एक शानदार पहल थी.
रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का महत्व:
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद से सेना में महिला अधिकारियों के उच्च पदों पर पहुचने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है. जिससे सेना में लैंगिक भेदभाव को भी बढ़ावा नहीं मिलेगा साथ ही सेना में होनहार महिला अधिकारियों को सेवा का अवसर प्राप्त होगा.
ग्लोबल लेवल पर महिलाओं को फ्रंट-लाइन कॉम्बैट पोजीशन में, यूएस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इज़राइल, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, उत्तर कोरिया जैसे देशों ने नियुक्ति की है.
डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC):
रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC) रक्षा मंत्रालय के अधीन एक रक्षा सेवा प्रशिक्षण संस्थान है. यहाँ तीनों भारतीय सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और सिविल सेवाओं के चयनित अधिकारियों प्रशिक्षित किया जाता है. डीएसएससी भारत में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है. इसकी स्थापना वर्ष 1905 में की गयी थी जो तमिलनाडु के निलगिरी डिस्ट्रिक्ट में स्थित है.
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