उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है ताकि उन्हें समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और समकालीन चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके.
यहां से आभासी तौर पर 13वें ASEM शिखर सम्मेलन के पहले पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने यह कहा कि, दुनिया आज तीव्र आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रही है और इससे जूझ रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि, अभी सुधारों की जरूरत है क्योंकि मौजूदा बहुपक्षीय प्रणाली इन चुनौतियों का प्रभावी जवाब देने में विफल रही है.
IQAir टैली: दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत, चीन और पाकिस्तान के 94 शहर
इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी कंबोडिया द्वारा आभासी मोड में की जा रही है और इसका थीम "साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना" है.
ASEM-13 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उपराष्ट्रपति कर रहे हैं, उन्होंने शिखर सम्मेलन के रिट्रीट सत्र को भी संबोधित किया.
ASEM-13 में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का संबोधन: प्रमुख बातें
- यह देखते हुए कि शांति के बिना, विकास प्रभावित होता है, नायडू ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि, विकास की कमी और अवरुद्ध आर्थिक प्रगति हिंसा और अस्थिरता के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान करती है.
- इसलिए, उन्होंने आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने और आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों का आह्वान किया और यह सुझाव दिया कि, यह कोविड -19 महामारी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित देशों के पुनरुत्थान में एक लंबा रास्ता तय करेगा.
- वैश्विक स्तर पर लगातार असुरक्षा के कारणों को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार अंतर्राष्ट्रीय संरचना में सुधार की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.
- यह मानते हुए कि आज की गतिशील और अन्योन्याश्रित दुनिया की चुनौतियों का समाधान ऐसी पुरानी प्रणालियों से नहीं किया जा सकता है, जिन्हें अतीत की चुनौतियों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया था, नायडू ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की पुनर्कल्पना करने और अपनी महत्वाकांक्षा को और विस्तारित करने की तत्काल आवश्यकता व्यक्त की.
- "यह एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की कमी है जिसने बहुपक्षीय प्रणाली की कमियों और कमजोरियों को उजागर किया है, जैसाकि आज दिख रहा है." उन्होंने आगे कहा.
- उपराष्ट्रपति ने फिर कहा कि, महामारी ने अविश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से लेकर असमान वैक्सीन वितरण तक की खामियों को उजागर कर दिया है, जो वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता को रेखांकित करता है और बहुपक्षवाद को मजबूत करता है.
- उपराष्ट्रपति ने सभी भाग लेने वाले सदस्यों को वर्ष, 1996 में स्थापित ASEM प्रक्रिया की 25 वीं वर्षगांठ पर भी बधाई दी. वैश्विक चिंता के मुद्दों को हल करने के लिए दोनों महाद्वीपों के नेताओं और लोगों को एक साथ लाने के लिए ASEM की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने सहकारी बहुपक्षवाद की ताकतों को मजबूत करने की दिशा में काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation