500 रूपये और 1000 रूपये के नोट प्रतिबंधित: क्या ऐसा भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ है?

Nov 10, 2016, 17:39 IST

500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा ने हम सबकों को चौंका दिया है।लेकिन यह पहली बार नहीं है कि भारत सरकार ने काले धन की समस्या से निपटने के लिए इस तरह का साहसिक कदम उठाया है। यहाँ हम अतीत में भारत सरकार द्वारा उच्च मूल्य वाले नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घटना का विवरण दे रहे हैं।

500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा ने हम सबकों को चौंका दिया है। सरकार के इस कदम से आम जनता, आर्थिक पंडितों और यहाँ  तक ​​कि राजनीतिक हलकों सहित सभी को आश्चर्य में डाल दिया है| लेकिन यह पहली बार नहीं है कि भारत सरकार ने काले धन की समस्या से निपटने के लिए इस तरह का साहसिक कदम उठाया है। यहाँ हम अतीत में भारत सरकार द्वारा उच्च मूल्य वाले नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घटना का विवरण दे रहे हैं:

500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध - ऐतिहासिक सिंहावलोकन

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भारत में पहली बार नोटों का विमुद्रीकरण स्वतंत्रता से पहले किया गया था| 1936 में ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार उच्च मूल्य वाले 1000 रूपये और 10,000 रूपये के नोटों को छापा था| आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि 10,000 रूपये का नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रित किया गया अब तक का सबसे उच्चतम मूल्य वर्ग का नोट है। भारत की आजादी से पहले ही जनवरी 1946 में देश में काले धन के प्रचलन को समाप्त करने के उद्देश्य से इन नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था|

कुछ समय पश्चात् तत्कालीन आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने पुनः 1,000 रूपये, 5,000 रूपये और 10,000 रूपये के नोट को जारी करने के संबंध में विचार किया और जनवरी 1954 में 1,000 रूपये, 5,000 रूपये और 10,000 रूपये के नोट को पुनः जारी किया गया| लेकिन कुछ वर्षों के पश्चात् काले धन की उगाही के कारण समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण होने जनवरी 1978 में 1,000 रूपये, 5,000 रूपये और 10,000 रूपये के नोट पर प्रतिबंध लगा दिया गया|

जानें 500/1000 के नोट बंद होने पर आम जनता को होने वाले सीधे फायदे और नुकसान

यह प्रतिबंध नए कानून उच्च मूल्य बैंक नोट (विमुद्रण) अधिनियम 1978 के तहत लगाया गया था जो 16 जनवरी 1978 को अस्तित्व में आया था| इस नये कानून के तहत 1,000 रूपये, 5,000 रूपये और 10,000 रूपये के नोट को 16 जनवरी 1978 के बाद वैध मुद्रा के रूप में मान्यता समाप्त कर दी गई और इसके हस्तांतरण और वितरण पर पाबंदी लगा दी गई थी| नागरिकों को बैंकों से उच्च मूल्य वर्ग के इन नोटों के विनिमय के लिए 24 जनवरी 1978 तक का समय दिया गया था। हालांकि 1978 में नोटों के विमुद्रीकरण का आम जनता पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उस समय बहुत कम लोगों के पास उच्च मूल्य वाले नोट थे|

क्यों मौजूदा 500 रूपये और 1000 रूपये को जारी किया गया था?

जैसा कि पहले बताया जा चूका है कि किसी भी अर्थव्यवस्था में काले धन का विस्तार होने का प्रमुख कारण उच्च मूल्य के नोटों का प्रचलन है। अतः यह सवाल उठना वाजिब है कि बार-बार 500 रूपये और 1000 रूपये को क्यों जारी किया जाता है? आइये इसका उत्तर हम यहाँ दे रहे है:

वर्तमान में 500 रूपये का जो नोट चलन में है उसे अक्टूबर 1987 में जारी किया गया था, जबकि वर्तमान 1000 रूपये के नोट को नवंबर 2000 में जारी किया गया था| इन दोनों उदाह्रानो को सरकार ने अर्थव्यवस्था में पैसों की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए एक साधन के रूप में उठाये गए कदम के रूप में परिभाषित किया था| 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों की शुरूआत मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और वस्तुओं की कीमतों को कम करने के उद्देश्य से किया गया था। इसके अलावा हाल में शुरू किये गये नोटों के बारे में यह दावा किया गया था कि ये नोट कुछ अतिरिक्त / नई सुरक्षा सुविधाओं से सुसज्जित हैं, जिससे देश में नकली नोटों का ट्रैक करने में सुविधा होगी|

हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों के विमुद्रीकरण से निश्चित रूप से कुछ समय के लिए सभी नागरिकों को परेशानी होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया एक कदम है| भ्रष्टाचार मुक्त भारत की प्रतिबद्धता के साथ हम सबों को बदलाव के इस दौर में सहयोग करना चाहिए और निश्चित रूप से इसके परिणाम हम सबके लिए फायदेमंद होंगे|

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Gaurav Macwan is a content industry professional with 10+ years of experience in education and career development in digital and print media. He's a graduate in Political Science and has previously worked with organizations like Times Internet. Currently, he writes and manages content development for College and Careers sections of Jagranjosh.com. He can be reached at gaurav.macwan@jagrannewmedia.com.
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