मुंशी प्रेमचंद: जीवनी, कहानियां, उपन्यास

हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश हुआ था.उन्होंने अपने साहित्य जीवन में लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं थी. आइये इस लेख में मुंशी प्रेमचंद की जीवनी, कहानियों और उपन्यासों के बारे में कुछ जानते हैं.

Jul 31, 2020, 16:33 IST
Munshi Premchand: Real Picture
Munshi Premchand: Real Picture

अगर ऐसा कहा जाए कि जब तक देश और विश्व में हिंदी साहित्य बना रहेगा, मुंशी प्रेमचंद का नाम सदा अमर रहेगा तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. 

मुंशी जी की सहाबहार प्रसिद्धि का कारण उनकी कहानियों और उपन्यासों में ‘समय को मात’ देने का हुनर है. उनकी कई कहानियां जैसे बड़े भाई साहब 1910 में, ईदगाह 1933, कफ़न 1936 में लिखीं गयीं थीं, लेकिन ये सब आज भी जीवंत हैं. इन सब कहानियों को आज भी पढ़कर लगता ही नहीं है कि ये कहानियां 80 से 90 साल पहले लिखी गयीं थीं.

मुंशी प्रेमचंद के बारे में व्यक्तिगत जानकारी:-

वास्तविक नाम : धनपत राय श्रीवास्तव 

पेन नाम:       नवाब राय, मुंशी प्रेमचंद 

जन्म: 31 जुलाई, 1880

जन्म स्थान: लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

पिता का नाम: अजायब राय (पोस्ट ऑफिस क्लर्क)

माता का नाम: आनंदी देवी 

मृत्यु: 8 अक्टूबर, 1936, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यवसाय:   लेखक, अध्यापक, पत्रकार

राष्ट्रीयता: भारतीय

काल   : आधुनिक काल

विधा  : कहानी और उपन्यास

प्रमुख कहानियां: पूस की रात, कफन, बूढ़ी काकी, पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा और बड़े घर की बेटी

प्रमुख उपन्यास: गबन, गोदान, रंगभूमि, कर्मभूमि, निर्मला सेवासदन, और मानसरोवर

मुंशी प्रेमचंद का शुरूआती जीवन:

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में एक कायस्थ परिवार में हुआ था. मुंशी जी के पिता मुंशी अजायबराय डाकखाने में क्लर्क थे और माता का नाम आनन्दी देवी था. प्रेमचंद को मानशिक झटके बचपन से ही मिलने शुरू हो गये थे, उनकी 6 वर्ष की अवस्था में माता जी का स्वर्गवास हो गया, उनका विवाह मात्र पंद्रह वर्ष की उम्र में कर दिया गया और सोलह वर्ष के होने पर उनके पिता का भी देहांत हो गया था.

मुंशी प्रेमचंद का साहित्य उनके बचपन पर आधारित था क्योंकि उन्होंने "सौतेली माँ का व्यवहार, बाल विवाह, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन, और धार्मिक कर्मकांड के साथ साथ पंडे-पुरोहितों का कर्मकांड अपनी किशोरावस्था में ही देख लिया था. यही अनुभव आगे चलकर उनके लेखन का विषय बन गया.

उनके लेखन में किसानों की आर्थिक बदहाली, धार्मिक शोषण (गोदान), बाल विवाह (निर्मला), छूआछूत, जाति भेद (ठाकुर का कुआँ),विधवा विवाह, आधुनिकता, दहेज प्रथा, स्त्री-पुरुष समानता सब कुछ देखने को मिलता है.

मुंशी प्रेमचंद का दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ जो बाल-विधवा थीं. इस विवाह से उनके तीन संतानें हुईं जिनके नाम हैं; श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी श्रीवास्तव.

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सन 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए थे. इसके बाद उन्होंने पढाई जारी रखते हुए 1910 में दर्शन, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, और इतिहास लेकर इंटरमीडिएट पास की और 1919 में फ़ारसी, इतिहास और अंग्रेज़ी विषयों से बी. ए. किया और बाद में शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए थे.

उन्होंने गाँधी जी के आवाहन पर 1921 ई. में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए इंस्पेक्टर के पद से त्याग पत्र दे दिया था इसके बाद लेखन को अपना फुल टाइम व्यवसाय बना लिया था.

प्रेमचंद, 1933 में फिल्म नगरी मुंबई भी गये थे जहाँ मोहनलाल भवनानी के ‘सिनेटोन’ कंपनी में कहानी लेखक के रूप में काम करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन यह काम रास नहीं आया और दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस लौट आए. उनका स्वास्थ्य निरंतर बिगड़ता गया और लम्बी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को हिंदी साहित्य का यह सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो गया.

मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन:

मुंशी प्रेमचंद का पहला 'पेन नाम' उनके चाचा महावीर ने 'नवाब राय' रखा था. इसके बाद ‘सोजे वतन’ कहानी संग्रह पर अंग्रेजी सरकार द्वारा रोक लगाने के बाद मुंशी जी ने प्रेमचंद के नाम से लिखना शुरू किया और बहुत प्रसिद्धि पायी.

प्रेमचंद ने जी कुछ लिखा वो हिंदी साहित्य में स्वर्ण अक्षरों में हमेशा के लिए अंकित हो गया है.

मुंशी प्रेमचंद की प्रमुख कहानियों की सूची:-

1. आत्माराम

2. दो बैलों की कथा

3. आल्हा

4. इज्जत का खून

5. इस्तीफा

6. ईदगाह

7. कप्तान साहब

8. कर्मों का फल

9. क्रिकेट मैच

10. कवच

11. क़ातिल

12. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला

13. गैरत की कटार

14. गुल्‍ली डण्डा

15. घमण्ड का पुतला

16. ज्‍योति

17. जेल

18. जुलूस

19. झांकी

20. ठाकुर का कुआं

21. त्रिया-चरित्र

22. तांगेवाले की बड़

23. दण्ड

24. दुर्गा का मन्दिर

25.पूस की रात

26. बड़े घर की बेटी

27. बड़े बाबू

28. बड़े भाई साहब

29. बन्द दरवाजा

30. बोहनी

31. मैकू

32. मन्त्र

33.सौत

34. नमक का दरोगा

35.सवा सेर गेहुँ 

36.कफ़न

37.पंच परमेश्वर

मुंशी प्रेमचंद के प्रमुख उपन्यासों की सूची:-

1.रूठी रानी

2.वरदान 

3. सेवा सदन

4. प्रेमाश्रम 

5. रंगभूमि 

6. निर्मला

7. प्रतिज्ञा

8. कर्मभूमि

9. गबन 

10. गोदान

11. मंगलसूत्र (अधूरा) जो कि बाद में उनके पुत्र ने पूरा किया था.

इस प्रकार हिंदी साहित्य का यह कांतिमय लेखक 1880 से लेकर 1936 तक हमारे बीच रहकर साहित्य रुपी कई मोती इस पीढ़ी को भेंट करके सदा के लिए अस्त हो गया है. उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आपको मुंशी प्रेमचन्द के बारे में बहुत सी नयी जानकारियां मिली होंगी.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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