क्या मच्छर मनुष्य के रक्त का स्वाद ले सकते हैं?

अमेरिका में हावर्ड ह्यूजेस (Howard Hughes) मेडिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने हाल ही में पाया कि मादा मच्छर (Female Mosquito) मनुष्य के रक्त के स्वाद को महसूस करने में सक्षम हैं. आइये इसके बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन करते हैं.

Oct 26, 2020, 20:50 IST
Can mosquitoes taste human blood?
Can mosquitoes taste human blood?

जैसा की हम जानते हैं कि मच्छर मलेरिया, डेंगू, और पीले बुखार जैसी बीमारियों को फैलाते हैं जो हर साल कम से कम डेढ़ लाख लोगों को मारते हैं. शोधकर्ता रिसर्च कर रहे हैं कि मच्छरों को लोगों के खून में क्या पसंद है जिसमें वे एक विशिष्ट, स्वादिष्ट स्वाद का एहसास करते हैं.

मादा मच्छर (Female Mosquitoes)  स्वाद को महसूस करने में सक्षम होती है, जिनमें विशेष रूप से रक्त में कम से कम चार अलग-अलग पदार्थों के संयोजन का पता लगाने की पॉवर होती है, द रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में हॉवर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट इंवेस्टिगेटर (Howard Hughes Medical Institute Investigator Leslie B. Vosshall's team at The Rockefeller University) लेस्ली बी. वॉशहॉल (Leslie Vosshall’s) की टीम और सहयोगियों ने 12 अक्टूबर, 2020 को न्यूरॉन जर्नल में बताया.

मादा मच्छर में अपनी सिरिंज जैसी (Syringe-Like)"जीभ" का उपयोग करके रक्त का पता लगाने की अद्भुत क्षमता होती है. अब वैज्ञानिकों ने उन न्यूरॉन्स की पहचान की है जो उसे रक्त चूसने वाली शक्तियां देते हैं.

शोधकर्ताओं ने इसके बारे में कैसे पता लगाया?

टीम ने आनुवंशिक रूप से मच्छरों को संशोधित किया ताकि शोधकर्ता यह देख सकें कि जब मच्छर रक्त का स्वाद लेते हैं तो कौन से न्यूरॉन सक्रिय होते हैं या चमकते हैं.

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोसाइंटिस्ट क्रिस पॉटर (Chris Potter) के अनुसार, "यह निश्चित रूप से एक तकनीकी टूर डे फोर्स है (Tour De Force), जो मच्छरों के रिपेलेंट्स का अध्ययन करता है.

आनुवंशिक रूप से संशोधित कीड़ों में एक फ्लोरोसेंट टैग चमकता है जब एक तंत्रिका कोशिका सक्रिय होती है और इससे शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद मिली कि कौन सी तंत्रिका कोशिकाएं अलग-अलग भोजन पेश किए जाने पर चमकती हैं. 

यानि मानव रक्त में मच्छरों के आकर्षण को बेहतर ढंग से समझने के लिए, वैज्ञानिकों ने सक्रिय रूप से कीटों के स्वाद से संबंधित न्यूरॉन्स को फ्लोरोसेंट रोशनी का उत्सर्जन करने के लिए एडीज एजिप्टी मच्छरों को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया.

वास्तविक रक्त और शोधकर्ताओं के सिंथेटिक मिश्रण सहित रक्त द्वारा न्यूरॉन्स के केवल एक सबसेट को सक्रिय किया गया था.

अध्ययन में प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक वेरोनिका जोव (Veronica Jove) ने कहा: "यदि मच्छर रक्त के स्वाद का पता लगाने में सक्षम नहीं थे, तो सिद्धांत रूप में वे बीमारी प्रसारित नहीं कर सकते".

जर्नल न्यूरॉन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने मच्छरों की शैली में न्यूरॉन्स की फायरिंग का पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंट माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया.

मच्छरों का अध्ययन करने वाले जीवविज्ञानी अक्सर अपनी त्वचा की कीमत पर ऐसा करते हैं, जो कि कीड़ों से खुद को कटवाते हैं ताकि रिसर्च के दौरान रक्त से मच्छरों के व्यवहार का पता लगाया जा सके. नए अध्ययन के लिए, वैज्ञानिकों ने एक उपकरण का रुख किया, जिसे बाइटओस्कोप (BiteOscope) कहा जाता है. 

अगर दुनिया की सारी मधुमक्खियां मर गईं तो क्या होगा?

बाइटओस्कोप (BiteOscope) क्या है?

बाइटओस्कोप (BiteOscope) एक छोटा सा खुला प्लेटफ़ॉर्म है जिसमें पॉकेट पर एक झिल्ली होती है जो कि लिक्विड को होल्ड रखती है. यह मच्छरों को एक ऐसे वातावरण में पीने का मौका देती है जो त्वचा को ढंकने वाले मेजबान की नकल करता है, जबकि वैज्ञानिकों को मच्छरों के खून को चूसने के व्यवहार का निरीक्षण करने और अपनी त्वचा को बिना नुक्सान पहुंचाए डेटा एकत्र करने की अनुमति देता है या मदद करता है. बाइटओस्कोप के क्रीयेटर ने जर्नल ईलाइफ (eLife) में ऐसा लिखा है.

शोधकर्ताओं को क्या ज्ञात हुआ? 

स्टडी के अनुसार, मच्छरों के शोधकर्ताओं ने मच्छर शैली में न्यूरॉन गतिविधि का अवलोकन किया और देखा कि  वे नेक्टर, रक्त, और एक आर्टिफीशियल "रक्त" मिश्रण ग्लूकोज, सोडियम क्लोराइड और सोडियम बाइकार्बोनेट से बना, सांद्रता में "कशेरुक प्रजातियों के मानक जीवन मूल्यों की सीमा के भीतर थे" स्टडी के अनुसार. अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने बताया कि आर्टिफीशियल रक्त में एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) भी होता है, जो रक्त में एक यौगिक होता है जो ऊर्जा को कोशिकाओं तक पहुंचाता है और जो पूर्व के अध्ययनों में मच्छरों के लिए आकर्षक भी होता है.
"अध्ययन के प्रति संवेदनशील न्यूरॉन्स के गुणों को समझने के लिए, हमें एक ज्ञात रचना के साथ एक स्थिर मिश्रण की आवश्यकता थी जिसे हम stylet में रक्त-संवेदनशील न्यूरॉन्स को मज़बूती से सक्रिय करने के लिए उपयोग कर सकते हैं," प्रमुख अध्ययन लेखक वेरोनिका जोवे (Veronica Jove) के अनुसार.

मादा मच्छर रक्त पर फीड क्यों करती है साथ ही Secial Mystery Stuff के बारे में 

वॉशहेल  (Vosshall) और उनकी टीम को पहले से ही कीट या इंसेक्ट्स की इंद्रियों के बारे में बहुत कुछ पता था. उदाहरण के लिए, पिछली स्टडी में, उन्होंने पाया कि मच्छर अपने पैरों के साथ  repellent DEET का पता लगा सकते हैं और एक गंधक रिसेप्टर की पहचान की है जो मच्छर मनुष्यों और गैर-मनुष्यों के बीच अंतर करने के लिए उपयोग करते हैं. लेकिन बीमारी फैलने के बावजूद मच्छरों के स्वाद के बारे में बहुत कम जानकारी है. 

वेरोनिका जोवे (Veronica Jove) कहती हैं, ''अगर मच्छर खून के स्वाद का पता लगाने में सक्षम नहीं होते हैं, तो सिद्धांत रूप में वे बीमारी प्रसारित नहीं कर सकते".

केवल मादा मच्छर ही रक्त पर फीड करती हैं, ताकि वह अपने अंडे को विकसित कर सके. इसलिए मादा मच्छरों की एक अनोखी पोजीशन होती है. उन्हें अपने भोजन में से अधिकांश के लिए खाए जाने वाले मीठे नेक्टर और अंडे देने से पहले उस रक्त के बीच अंतर करने की आवश्यकता होती है.

जोवे का अनुमान था कि मादा एडीज एजिप्टी मच्छर (Female Aedes Aegypti), पुरुष मच्छरों के विपरीत, स्वाद के आधार पर दोनों पदार्थों के बीच अंतर करने में सक्षम होंगे. वास्तव में, व्यवहारिक प्रयोगों में उन्होंने पाया कि मादा मच्छरों में दो फीडिंग मोड होते हैं जो अलग-अलग mouthparts का उपयोग करते हैं और विभिन्न स्वादों का पता लगाते हैं.

नेक्टर-फीडिंग मोड शुगर का पता लगाता है और रक्त-फीडिंग मोड त्वचा को छेदने और रक्त का स्वाद लेने के लिए एक सीरिंज-जैसे "Stylet" का उपयोग करता है. जोवे ने मच्छरों को चार यौगिकों: ग्लूकोज (एक चीनी), सोडियम क्लोराइड (नमक), सोडियम बाइकार्बोनेट (रक्त और बेकिंग सोडा दोनों में पाया जाता है), और एडिसिन ट्राइफॉस्फेट, या ATP को मिश्रित करके रक्त-फीडिंग मोड में डाल दिया. एक ऐसा यौगिक जो कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है.

वह कहती हैं कि “एटीपी यह विशेष रहस्य स्टफ है जिसका स्वाद मनुष्यों के लिए कुछ भी नहीं है. लेकिन यह मच्छर के लिए अविश्वसनीय रूप से रोमांचक और फायदेमंद है". 

जिस प्रकार एक इंसान के पास taste buds होती हैं, जो नमकीन, मीठी, कड़वी, और खट्टी जैसे स्वादों के बीच अंतर करती हैं ठीक उसी प्रकार से एक मच्छर के stylet में न्यूरॉन्स होते हैं जो एक विशेष स्वाद पर रेस्पोंड करते हैं.

इन न्यूरॉन्स के टेस्ट को देखने के लिए, शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक रूप से मच्छरों को एक फ्लोरोसेंट टैग के साथ संशोधित किया, जो तब चमकता था जब एक तंत्रिका कोशिका सक्रिय हो जाती थी.

फिर उन्होंने देखा कि अलग-अलग भोजन के जवाब में Stylet में कौन से सेल चमकें  हैं. केवल एक Subset रक्त द्वारा सक्रिय किया गया था, जिसमें वास्तविक रक्त और शोधकर्ताओं के आर्टिफीशियल मिश्रण दोनों शामिल थे.

निष्कर्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रक्त को खोजने के लिए मादा मच्छर को कैसे विशेष रूप से अनुकूलित किया गया है. जोवे और वॉशहेल कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि मच्छरों की इंद्रियों की बेहतर समझ अंततः उन्हें हमें काटने और बीमारी फैलाने से रोकने के लिए नए तरीके पैदा करेगी.
Source: hhmi.org

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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