उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। साथ ही, यह सबसे अधिक आबादी वाला राज्य भी है। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक, राज्य की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा 24 करोड़ को पार कर गया है। राज्य की सांस्कृतिक विरासत, अनूठी परंपराएं और समृद्ध इतिहास इसे अन्य राज्यों से अलग बनाते हैं।
इस कड़ी में यहां के प्रत्येक शहर की अपनी विशेषता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि यूपी के किस जिले को ‘गजरे का शहर’ भी कहा जाता है और क्यों, यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम यूपी के बारे में इस दिलचस्प फैक्ट को जानेंगे।
सबसे अधिक जिले वाला राज्य
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये सभी मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामलि है। कुछ किताबों में हमें रोहिलखंड और बघेलखंड का भी जिक्र मिलता है। प्रदेश में कुल 351 तहसील, 17 नगर निगम, 826 सामुदायिक विकास खंड, 75 नगर पंचायत और 1 लाख से अधिक ग्राम है।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो कि 7246 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। आपको बता दें कि हापुड़ को स्टील के साथ-साथ ट्यूब का शहर भी कहा जाता है।
किस शहर को कहा जाता है ‘गजरे का शहर’
अब सवाल है कि यूपी के किस शहर को ‘गजरे का शहर’ का भी कहा जाता है, तो आपको बता दें कि यूपी के मेरठ शहर को ‘गजरे का शहर’ भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है ‘गजरे का शहर’
उत्तर भारत में शादी-ब्याह, तीज और त्योहार पर गजरे का प्रयोग होता है। वहीं, मेरठ और आसपास के ग्रामीण इलाकों में चमोली और मोगरे के फूलों की अधिक खेती होती है। इन फूलों से यहां गजरे, मालाएं और इत्र बनाए जाते हैं। वहीं, मेरठ के स्थानीय कारीगर फूलों को गजरे, वेणी और खास तरह की सजावट की शैली में पिरोते हैं। यही वजह है कि इस शहर को ‘गजरे का शहर’ भी कहा जाता है।
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