बिहार की जलवायु और मिट्टी के प्रकार, जानें

बिहार देश के पूर्वी भाग में स्थित है। यहां की मिट्टी के वितरण पर जलवायु, मूल सामग्री और स्थलाकृति का प्रभाव पड़ता है। इस लेख के माध्यम से हमने उन उम्मीदवारों के लिए 'बिहार की जलवायु और मिट्टी प्रोफ़ाइल' से संबंधित संपूर्ण अध्ययन सामग्री दी है, जो बीपीएससी और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

Mar 1, 2024, 16:32 IST
बिहार की जलवायु और मिट्टी के प्रकार
बिहार की जलवायु और मिट्टी के प्रकार

बिहार देश के पूर्वी भाग में स्थित है। राज्य में महाद्वीपीय मानसून प्रकार की जलवायु पाई जाती है। समुद्र से अत्यधिक दूरी, हिमालय पर्वत से सटा हुआ तथा ऊपरी वायु परिसंचरण में परिवर्तन इसकी जलवायु को प्रभावित करता है। यहां की मिट्टी के वितरण पर जलवायु, मूल सामग्री और स्थलाकृति का प्रभाव पड़ता है।

 

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                                                                                                भौतिक विशेषताएं

अक्षांश

  24°-20'-10" ~ 27°-31'-15" उत्तर

देशान्तर

  83°-19'-50" ~ 88°-17'-40" पूर्व

ग्रामीण क्षेत्र

  92,257.51 वर्ग कि.मी

शहरी इलाका

  1,095.49 वर्ग कि.मी

कुल क्षेत्रफल

  94,163.00 वर्ग कि.मी

समुद्र तल से ऊंचाई

  173 फीट

सामान्य वर्षा

  1,205 मिमी

औसत बरसात के दिनों की संख्या

  साल में 52.5 दिन

स्रोत: gov.bih.nic.in 

यह उत्तर में नेपाल , पश्चिम में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश , दक्षिण में झारखंड और पूर्व में पश्चिम बंगाल से घिरा है। बिहार का मैदान गंगा नदी द्वारा दो असमान हिस्सों में विभाजित है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर मध्य में बहती है।

बिहार की जलवायु

बिहार में चार अलग-अलग मौसमों वाली महाद्वीपीय जलवायु है। हिमालय के निकट होने के कारण राज्य का उत्तरी भाग दक्षिणी भाग की तुलना में अधिक ठंडा रहता है। पूर्वी भाग में आर्द्र जलवायु का अनुभव होता है, जबकि महाद्वीपीय प्रभाव के कारण पश्चिमी भाग में शुष्क मौसम होता है। इसलिए, बिहार की जलवायु को 'संशोधित मानसूनी जलवायु' भी कहा जाता है

बिहार की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक

-स्थान: इसका स्थान उष्णकटिबंधीय से उपोष्णकटिबंधीय है। अर्थात 22 डिग्री उत्तर से 27 डिग्री अक्षांश तक।

-हिमालय से दूरी: यह राज्य के उत्तरी किनारे पर स्थित है, जो मानसून वर्षा के वितरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।

-समुद्र से दूरी: यह पूरी तरह से भूमि से घिरा राज्य है, हालांकि कोलकाता के बंदरगाह के माध्यम से समुद्र का निकास अधिक दूर नहीं है।

बिहार में ऋतुएं

-शीत ऋतु का मौसम (दिसंबर से फरवरी): इसकी विशेषता कम तापमान, हल्की उत्तरी हवाएं, साफ आसमान और कम आर्द्रता है।  

-गर्म मौसम का मौसम (मार्च से मई): पूर्व में तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से पश्चिम में 40 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। नॉरवेस्टर शॉवर के प्रभाव के कारण पूर्व में तापमान में गिरावट आती है।

-दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर): बिहार में मानसून का आगमन आम तौर पर गरज, बिजली और मूसलाधार बारिश के साथ तीव्र चक्रवाती तूफानों के अचानक आगमन से जुड़ा होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मैदान पर निम्न दबाव विकसित होता है, जबकि उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर उच्च दबाव विकसित होता है।

-दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी (अक्टूबर से नवंबर): इस मानसून को स्थानीय रूप से 'हथिया नक्षत्र' कहा जाता है, क्योंकि इसमें लगातार बारिश होती है, जिससे बाढ़ आती है।

 

बिहार की मृदा प्रोफाइल

बिहार विश्व के उपजाऊ जलोढ़ मैदान गंगा घाटी पर स्थित है, जो उत्तर में हिमालय की तलहटी से लेकर पश्चिम से पूर्व की ओर राज्य में बहने वाली गंगा नदी के कुछ मील दक्षिण तक फैली हुई है। क्षेत्र की राहत विशेषताओं के कारण वर्षा, वनस्पति और मूल चट्टानों में भिन्नता के कारण मिट्टी की विभिन्न किस्में पैदा हुई हैं।

उत्तरी मैदान की मिट्टी

गंडक, बूढ़ी गंडक, महानंदा, कोसी और सरयू नदियों द्वारा लाये गये निक्षेपण से हुआ है । इसलिए, मिट्टी को तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है:

-पीडमोंट दलदली मिट्टी: यह चट्टानों और कंकड़ को लेकर गहराई तक है। यह अधिकतर चिकनी मिट्टी, कार्बनिक पदार्थ से भरपूर और तटस्थ प्रतिक्रिया वाला होता है। इस प्रकार की मिट्टी उत्तर-पश्चिमी चम्पारण जिले में पाई जाती है।

-तराई मिट्टी: यह भूरे से पीले रंग की होती है और प्रतिक्रिया में तटस्थ से मध्यम अम्लीय होती है। तराई की मिट्टी ऊपरी तराई की तुलना में अधिक उपजाऊ है। इस प्रकार की मिट्टी बिहार के उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास और हिमालय की तलहटी में पाई जाती है।

-गंगा जलोढ़ मिट्टी: यह मिट्टी आम तौर पर बिहार के मैदानी इलाकों में उपजाऊ होती है, लेकिन खाद के प्रयोग के बिना नियमित जुताई करने पर जैविक सामग्री की लागत कम होती है। यह अधिकतर अलग-अलग मोटाई की दोमट होती है। 

-दक्षिणी मैदान की मिट्टी

सोन, पुनपुन और फल्गु नदियों द्वारा जमा किए गए जलोढ़ के कारण हुआ है।

-करैल-केवल मिट्टी: यह भारी मिट्टी (क्षारीय विशेषता) है, जो गीली धान की भूमि या ढांढर की विशेषता हैयह रोहतास से लेकर गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, मुंगेर और भागलपुर तक पाई जाती है। यह चावल और गेहूं, अलसी, दालें और चना जैसी रबी फसलों के लिए सबसे उपयुक्त है।

-ताल मिट्टी: यह गंगा के बैकवाटर बेल्ट में पाई जाती है, जो बक्सर से बांका जिले तक फैली हुई है। मिट्टी का रंग हल्के भूरे से गहरे भूरे और बनावट में मध्यम से भारी मिट्टी तक भिन्न होता है। रबी या वसंत की फसलें जैसे गेहूं, खेसारी, चना, मटर, मसूर और मसूर की कटाई पानी सूखने के बाद की जाती है और उनकी उपज काफी अधिक होती है।

-बल्थर मिट्टी: यह कम उपजाऊ होती है और इसकी जल अवशोषण क्षमता कम होती है। मक्का, ज्वार, बाजरा और चना प्रमुख फसलें हैं। यह कैमूर पठार से राजमहल पहाड़ियों तक संकरी बेल्ट में पाई जाती है।

दक्षिणी पठार की मिट्टी

बिहार के दक्षिणी पठार में दो प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।

-लाल और पीली मिट्टी: ये मिट्टी आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों के विघटन से बनती है। वे कम उपजाऊ होती हैं और इसलिए मोटी फसलों और दालों के लिए उपयुक्त हैं। यह बांका, गया, औरंगाबाद, जमुई और मुंगेर में पाई जाती है।

-लाल रेतीली मिट्टी: इस मिट्टी में रेत का प्रतिशत अधिक होता है, जो इसे कम उपजाऊ और बाजरा और ज्वार की फसलों के लिए उपयुक्त बनाता है।

 

बिहार में मिट्टी की सूची

 

 

मिट्टी के प्रकार

क्षेत्र

मिट्टी के गुण

बलथर

कैमूर

रेतीला, चूनायुक्त, पीला

ताल

पटना और मुंगेर

भारी मिट्टी

तराई

चंपारण और किशनगंज

रेतीला, चूनेदार, भूरा और हल्का पीला

भांगर

पटना, गया और रोहतास

अम्लीय और चूने से भरपूर

खादर

मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा और भागलपुर

पिया भूरा और उपजाऊ

बाल सुंदरी

सहरसा, पूर्वी एवं पश्चिमी चम्पारण

अम्लीय और क्षारीय

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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