क्या तीन महीने EMI टालना वाकई फ़ायदेमंद है?एक विश्लेष्ण

Apr 9, 2020, 13:48 IST

कोरोना वायरस के कारण लोगों को वित्तीय राहत देने के लिए रिज़र्व बैंक ने सभी कमर्शियल बैंकों से पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड आदि की मासिक क़िस्त को 3 महीने तक टालने का आग्रह किया है.आइये इस लेख में जानते हैं क्या यह निर्णय वाकई लोगों को राहत देने वाला है या नहीं?

Personal and Home loan
Personal and Home loan

ऐसे समय में जब देश में एक तरफ प्राइवेट और निजी दोनों प्रकार के बैंकों में नॉन परफोर्मिंग एसेट्स ((NPAs) बहुत ज्यादा हो और दूसरी तरफ कोरोना वायरस के कारण लोग वित्तीय समस्याओं में फंसे हों, उस समय लोगों की सहूलियत के लिए पर्सनल लोन, होम लोन और अन्य लोन की क़िस्त को 3 महीने के लिए टालना एक राहत भरी खबर लगती है. 

ज्ञातव्य है कि 30 सितम्बर 2019 तक देश के सरकारी बैंकों का NPA 7.27 लाख करोड़ रुपये था.

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मार्च के आखिरी सप्ताह में घोषणा की थी कि 1 मार्च, 2020 से लेकर 31 मई, 2020 तक लगने वाले टर्म लोन की किस्तें और कैश क्रेडिट फैसिलिटी पर लगने वाले ब्याज को 3 माह के लिए टाला गया है. 

दरअसल यह फैसला देश में कोविड 19 महामारी के कारण लोगों की वित्तीय परेशानियाँ कम करने के लिए लिया गया है क्योंकि ऐसे माहौल में कई लोग पर्सनल लोन, होम लोन जैसे अन्य लोन की किस्तें चुकाने में असमर्थ हो सकते हैं.

हालाँकि यहाँ पर यह स्पष्ट करना ठीक है कि क़िस्त टालने का यह निर्णय, आरबीआई का बैंकों को सुझाव है ना कि आदेश. अर्थात बैंकों को विकल्प दिया गया है कि उन्हें ख़ुद तय करना होगा कि वो ग्राहकों को इसका फ़ायदा कैसे देंगे. 

अर्थात रिज़र्व बैंक ने ये भी कहा कि कैसे करना है, ये बैंकों को अपने स्तर पर तय करना है?

चूंकि सरकारी बैंक, सरकार के डायरेक्ट नियंत्रण में रहते हैं इसलिए सरकारी बैंकों ने इस सुझाव को लागू करने की घोषणा भी कर दी है. इन बैंकों ने लोन की किश्त पर मैरिटोरियम की पेशकश की है;

1. भारतीय स्टेट बैंक

2. केनरा बैंक

3. पंजाब नेशनल बैंक 

4. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 

5. बैंक ऑफ बड़ौदा 

6. इंडियन बैंक

7. यूको बैंक

8. इंडियन ओवरसीज बैंक  

9. आईडीबीआई बैंक

10. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 

इन सरकारी बैंकों के अलावा निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और कोटक महिंद्रा बैंक भी इसकी घोषणा कर चुके हैं.

क्या EMI टालना फ़ायदे का सौदा है: बिन्दुबार विश्लेष्ण 

1. लोगों को इससे सिर्फ 2 किस्तों (अप्रैल और मई) की राहत मिलेगी क्योंकि EMI टालने का फैसला मार्च महीने के आखिरी सप्ताह में आया है इसका मतलब है कि सभी बैंक, मार्च महीने की क़िस्त पहले ही ले चुके थे. हालाँकि कुछ बैंकों ने मार्च की क़िस्त को ग्राहकों को वापस लौटाने का फैसला किया है.

2. बैंक भले ही आपकी क़िस्त को दो या तीन महीने के लिए आगे बढ़ा देंगे लेकिन आपके लोन पर ब्याज लगना जारी रहेगा और इस ब्याज की भरपाई ग्राहकों को बाद में करनी ही पड़ेगी. ब्याज माफ़ी की कोई घोषणा नहीं हुई है.

3. ग्राहकों के लोन ख़त्म होने की अवधि भी 3 महीने आगे बढ़ जाएगी और कर्ज़ की राशि में भी बढ़ोतरी होगी जो कि आगे चलकर आपकी फाइनेंसियल प्लानिंग को प्रभावित कर सकता है.

4. फाइनेंसियल एक्सपर्ट बताते हैं कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को आगे टालना ज्यादा घाटे का सौदा है क्योंकि इन दोनों पर ब्याज की दर अन्य लोनों जैसे होम लोन और कार लोन की तुलना में अधिक होती है अर्थात इन लोगों को ज्यादा ब्याज चुकाना होगा.

5. क्रेडिट कार्ड के मामले में तो ईएमआई टालना बेहद नुकसान का सौदा है क्योंकि क्रेडिट कार्ड के ड्यू पेमेंट पर सालाना 36 से 42 फ़ीसदी के चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज के ऊपर फिर ब्याज) वसूला जाता है. इसलिए लोगों को क्रेडिट कार्ड के भुगतान अपनी तय डेट कर ही कर देना चाहिए.

इस प्रकार ऊपर के विश्लेक्षण से यह स्पष्ट है कि अगर लोगों के पास वास्तव में पैसों की तंगी है (नौकरी जाने के कारण, बीमारी के कारण) तभी क़िस्त टालने का विकल्प चुनना समझदारी होगा, वर्ना इसका असर बाद में आपकी जेब पर ही पड़ेगा और वो भी ज्यादा मात्रा में.

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