भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हमेशा चलता रहता है और इसी तनातनी के बीच ये दोनों ही देश किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयारियां करते रहते हैं. इसी दिशा में भारत ने हाल ही में दो नयी सडकों का निर्माण शुरू किया है. ये दो सड़कें इस प्रकार हैं;
1. पहली सडक दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएस-डीबीओ) है जो देश के उत्तरी-सबसे चौकी, दौलत बेग ओल्डी को कनेक्टिविटी प्रदान करती है.
2. दूसरी सड़क जो ससोमा से सेसर ला तक बनाई जा रही है, जो कि एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकती है. ससोमा-ससेर ला सड़क धुरी डीबीओ के दक्षिण-पश्चिम में है.
इन दोनों परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाया जा रहा है. इन सड़कों के निर्माण के लिए लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की सीमा के पास के क्षेत्रों में 11,815 श्रमिकों को काम पर लगाया गया है.
इन सड़कों का निर्माण क्यों किया जा रहा है?
चूंकि भारत और चीन एक दूसरे के साथ जो सीमा साझा करते हैं वह पहाड़ों वाले क्षेत्र में है. इस कारण यदि कोई एक देश अघोषित युद्ध शुरू कर देता है तो जीत उसी के कदम चूमेगी जिसकी सेना और रक्षा सामान आसानी से जल्दी बॉर्डर पर पहुंचेंगे.
पहाड़ी इलाकों में हवाई जहाज से भी सामान और सैनिकों को पहुँचाने में परेशानी होती है इस कारण सड़कों के माध्यम से ही सामान और सैनिकों को पहुँचाने में आसानी होगी. यही कारण है कि भारत इन क्षेत्रों से सड़क निर्माण को बहुत अधिक प्रमुखता दे रहा है.
अर्थात ये दो सड़कें भारतीय सेना को बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में मदद करेंगी. सेना इन्हें सब सेक्टर नॉर्थ (Sub Scetor North-SSN) कहती है.
ससोमा से सेसर ला तक बनाई जा रही सड़क बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के ‘हार्डनेस इंडेक्स-III’ में आता है. इस परियोजना का निर्माण 17,800 की ऊंचाई पर किया जा रहा है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इस सड़क का विस्तार ब्रानग सा, मुर्गो और आखिरकार डीबीओ तक किया जा सकता है.
उम्मीद है कि इन दोनों सडकों के निर्माण से चीन के खिलाफ भारत की रक्षा मजबूती और पुख्ता होगी.
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