हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक है।1800 ई० पू० के आस-पास हड़प्पा सभ्यता के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अब भी मतभेद बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण हडप्पा सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है।
ज्यादातर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से हुआ, हालाकि इस सभ्यता का विकास नदी के घाटी में ही हुयी थी तो बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है। वही कुछ और विद्वानो का कहना है की केवल बाढ़ इतनी विशाल सभ्यता का पतन का कारण नहीं हो सकती। इसलिए बाढ़ के अलावा और भी कारणों जैसे - आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण आदि का समर्थन कुछ विद्वान करते हैं।
फिर भी तर्कसंगत लगता है कि पहले तो यहाँ बाढ़ का प्रकोप हुआ होगा, जिसमें भारी जान-माल की हानि हुई होगी, उसके बाद मृतको के शवों के सड़ने व अन्य कारणों से महामारी फैली गयी होगी तथा खाद्य सामग्री का अभाव हो गया होगा जिससे बचे हुए अधिकांश लोग भी मर गये होंगे तथा कुछ लोग सुदूर स्थानों पर चले गये होंगे।
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची
हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में विभिन्न विद्वानों का विभिन्न राय
विचारक (विद्वान) | विचार (मान्यता) |
स्टुअर्ट, पिगॉट और गॉर्डन-चाइल्ड | बाहरी आक्रमण (आर्यन आक्रमण) |
एम.आर साहनी | जलप्लावन (बाढ़) |
के.वी.आर केनेडी | महामारी |
मार्शल और रायक्स | भू-तात्विक परिवर्तन (Tectonic Disturbances) |
ऑरेल स्ट्रेन और ए.एन घोष | जलवायु परिवर्तन |
वाल्टर फेयरसर्विस | वनों की कटाई, संसाधनों की कमी, पारिस्थितिकीय असंतुलन |
मार्शल, एस.आर राव और मैकी | बाढ़ |
जी.एफ हेल्स | घाघगर नदी के बहाव में परिवर्तन के कारण विनाश। |
व्हीलर | अपनी किताब प्राचीन भारत में उन्होंने उल्लेख किया है कि सभ्यता का पतन वास्तव में बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक और राजनीतिक पतन ही मुख्य कारण था। |
जॉर्ज डेल्स | 'द मिथिकल नरसंहार ऐट मोहन जोदड़ो' में व्हीलर की घुसपैठ के सिद्धांत को नकारते हुए उन्होंने तर्क दिया है कि पाए गए कंकाल हड़प्पा काल से संबंधित नहीं थे और समाधी या दफ़न करने का तरीका हड़प्पा काल से मिलता नहीं है। |
हड़प्पा सभ्यता के पतन में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तनों से प्रमाणित की जा सकती है:
1. मुहरों, लिपि, विशिष्ट मोती और मिट्टी के बर्तनों की अनुपस्थिति।
2. स्थानीय वजन के उपयोग के लिए मानकीकृत वजन प्रणाली में बदलाव।
3. घर निर्माण तकनीक में बदलाव और बड़े सार्वजनिक ढांचे निर्माण में गिरावट।
4. पक्की ईंटों के बदले पुनः कच्चे ईंटों का प्रयोग प्रारम्भ हो गया था। कुल मिलाकर केन्द्रीकृत ढांचे का पतन होना।
खुदार्इ के दौरान मिले तथ्यों से ही विद्वानों ने इसके पतन के कुछ कारण अनुमानों के आधार पर निकाले है और इसके इलावा कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है की कैसे वैभवशाली हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ था।
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