हम सब पेन का इस्तेमाल करते है पर क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि पेन कैप में एक छोटा सा छिद्र होता है, चाहे वो BIC का बॉल प्वाइंट पेन हो या फिर रेनॉल्ड्स का. अधिकतर पेन के कैप में छिद्र होता है. विज्ञान ने काफी तरक्की की है, कई रोमांचक अवधारणाएं भी दी हैं और दिन-प्रतिदिन प्रौद्योगिकी का उपयोग भी हो रहा है. वैसे ही पेन की कैप में छिद्र का होना भी तो एक प्रकार की नई अवधारणा है जिसपर हम लोगों ने कभी ध्यान नहीं दिया. आइये इस लेख के माध्यम से यह अध्ययन करते है कि आखिर पेन की कैप में छिद्र क्यों होता है, इसके पीछे क्या कारण हो सकता है आदि.
बॉल पॉइंट पेन की कैप में छिद्र क्यों होता है
- अगर कोई गलती से पेन कैप को निगल लेता है, तो उसे होने वाली घुटन से बचने हेतु पेन कैप में छेद किया जाता है. लोग अधिकतर पेन को इस्तेमाल करते वक्त उसकी कैप को मु में डाल लेते है और कभी-कभी गलती से निगल भी सकते है. अर्थार्त निगलने के बाद उनके गले में घुटन न हो और वह घातक साबित न हो. इसलिए पेन कैप में छिद्र किया जाता है ताकि उसकी मदद से सांस आसानी से लिया जा सके. यहां तक की BIC कंपनी ने पेन कैप में काफी बड़ा छिद्र किया है ताकि निगलने पर किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना न हो सके.
- पेन की स्याही या इंक तेजी से सूख जाए इसलिए भी पेन कैप में छिद्र किया जाता है. आपने कभी ध्यान दिया होगा की जब आप लिखना शुरू करते है तो इंक को निब तक आने में थोड़ा सा टाइम लग जाता है.
- एक अन्य सिद्धांत के अनुसार, जब कोई पेन को खोलता है या बंद करता है, तो पेन में दबाव बराबर रहे इसलिये भी पेन कैप में छिद्र किया जाता है.
सेल्फी का इतिहास: सेल्फी लेने का प्रचलन कब से शुरू हुआ था?
बॉल पॉइंट पेन का इतिहास
Source: www.gentlemansgazette.com
बालपॉइंट पेन के इतिहास को 1880 के दशक में देखा जा सकता है, जब जॉन लॉड को पहला पेटेंट बॉल पेन जारी किया गया था. इस चमड़े के टेनर ने एक लेखन वस्तु बनाने का प्रयास किया, जिसके साथ वह चमड़े पर लिख सकता था. जिस पेन का उन्होंने आविष्कार किया था, उसके सॉकेट में टिप के रूप में घूर्णन करते हुए इस्पात गेंद के रूप में बनाया था. यह चमड़े पर लिख सकता था जैसा कि जॉन चाहते थे. परन्तु इससे अक्षर सही से लिखे नहीं गए और व्यावसायिक रूप से इसको अस्वीकृत कर दिया गया.
पहला और बहुत प्रसिद्ध फाउंटेन पेन को क्रॉस द्वारा आविष्कृत किया गया था, जिसे सारे पेन का पिता कहा जाता है. बुधापेस्ट के मूल निवासी लास्ज़लो जोज़ेफ बिरो (Laszlo Jozsef Biro) ने ऐसा बालपॉइंट पेन का आविष्कार किया जिसमें उन्होंने फाउंटेन पेन में जल्द सूखने वाले अखबारी स्याही का उपयोग किया. लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ क्योंकि यह स्याही बहुत मोटी थी जिसे निब की नोक तक पहुंचने में बहुत समय लगता था. अतः उन्होंने एक ऐसे बालपॉइंट निब का आविष्कार किया था जिस पर स्याही की एक पतली फिल्म लेपित की गयी थी और जब निब का कागज के साथ संपर्क होता था तो इसकी गेंद (ball of nib) घूमने लगती थी और कार्टेज से स्याही प्राप्त करती थी जिससे लिखने का काम होता था.
इस लेख से यह जानकारी मिलती है कि बाल पेन की कैप में छिद्र क्यों किया जाता है, ऐसे करने के पीछे क्या कारण है और साथ ही पेन का अविष्कार कैसे और कब हुआ था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation