भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 4 हजार से भी अधिक शहर बसे हुए हैं। वहीं, भारत के सबसे बड़े राज्य की बात करें, तो क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है, जबकि जनसंख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है।
साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक, यहां की जनसंख्या 19 करोड़, 98 लाख, 12 हजार 341 दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में यहां की जनसंख्या करीब 24 करोड़ तक पहुंच गई है। भारत का यह राज्य सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रफल की बात करें, तो यह 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि पूरे भारत का 7.33 फीसदी हिस्सा है। आपने राज्य के अलग-अलग जिलों के बारे में बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला कौन-सा है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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सबसे अधिक जिले वाला राज्य
उत्तर प्रदेश भारत में राजनीतिक, आर्थिक और भौगोलिक रूप से विशेष महत्व रखता है। उत्तर भारत का यह राज्य सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल जिलों की संख्या 75 है, जो कि 18 मंडल के अंतर्गत हैं। वहीं, इन जिलों में मौजूद गांवों की बात करें, तो इनकी संख्या 9 हजार से अधिक है।
उत्तर प्रदेश से सीमा साझा करने वाले राज्य
उत्तर प्रदेश कुल 8 राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश और एक देश के साथ अपनी सीमा साझा करता है। इससे सीमा साझा करने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड है। वहीं, यह एक केंद्र शासित प्रदेश यानि दिल्ली के साथ भी अपनी सीमा साझा करता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश नेपाल के साथ भी अपनी सीमा साझा करता है।
उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला कौन-सा है
अब सवाल है कि उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला कौन-सा है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला बलिया है, जिसे हम बागी बलिया के नाम से भी जानते हैं।
जिले का एक परिचय
उत्तर प्रदेश का बलिया जिला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला जिला है। इस जिले की उत्तरी सीमा सरयू और दक्षिणी सीमा गंगा नदी द्वारा बनाई जाती है। ब्रिटिश सेना में 34वीं रेजिमेंट के सिपाही मंगल पाण्डेय बलिया जिले के नगवां गांव के रहने वाले थे, जिन्होंने ब्रिटिशों पर गोली चलाई थी और 1857 की क्रांति के नायक कहलाए थे।
यह जिला 1 नवंबर, 1879 में गाजीपुर से अलग हुआ था। साल 1942 में आंदोलन के दौरान यहां स्थानीय लोगों ने चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना को उखाड़ फेका था, जिसके बाद कुछ समय तक यहां स्थानीय सरकार भी चली, हालांकि ब्रिटिश ने यहां पर फिर से कब्जा कर लिया था। इस जिले में अश्विन मास में ददरी-मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि सरयू और गंगा नदी के संगम के नजदीक एक तट पर लगता है।
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