भारत के किस शहर में सबसे पहले पहुंची थी बिजली, जानें नाम

Dec 22, 2025, 16:47 IST

आज बिजली भारत के सभी घरों की आवश्यकता बन गई है। अमूमन सभी घरों में बिजली की पहुंच है और आज यह मूलभत आवश्यकताओं में शामिल हो गई है। गर्मी हो या सर्दी, बिजली की आवश्यकता रहती है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के किस शहर में सबसे पहले बिजली पहुंची थी, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

सबसे पहले किस शहर में पहुंची थी बिजली
सबसे पहले किस शहर में पहुंची थी बिजली

भारत के सभी शहरों में बिजली की पहुंच है। वहीं, देश के अमूमन सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन इसकी नियमति सप्लाई नहीं है। आज सड़कों से लेकर घरों तक बिजली की पहुंच है। हालांकि, एक समय था, जब बिजली की पहुंच गांव तो दूर, सिर्फ कुछ शहरों तक ही सीमित थी। गांवों में बिजली बहुत बाद में पहुंची थी। भारत में जब पहली बार बिजली पहुंची थी, तो लोग बिजली से बहुत डरते थे।

कुछ लोग बिजली को जादू मानते थे। हालांकि, समय के साथ बिजली ने लोगों के घरों में जगह बनाई और आज हर घर की जरूरत बन गई। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत के किस शहर में सबसे पहले बिजली पहुंची थी। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

किस शहर में सबसे पहले पहुंची थी बिजली 

भारत में सबसे पहले कोलकाता शहर में बिजली पहुंची थी। यहां 1880 के दशक में सड़कों पर मौजूद गैस लैंप में बिजली से चलने वाले बल्ब लगाए गए थे, जिन्हें बिजली से जलाया गया था। वहीं, कोलकाता पहला शहर था, जहां बिजली और गैस लैंप, दोनों से स्ट्रीट लाइट पर रोशनी हुआ करती थी।

कलकत्ता में लगा था पहला बिजली घर

भारत में सबसे पहला बिजली घर कलकत्ता में 1882 में लगाया गया था। यहां तारों को भूमिगत किया गया था। बिजली घर का काम कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी द्वारा किया गया था। यह एक डायरेक्ट करंट बिजली घर था, जो 1300 बल्ब जलाने की क्षमता रखता था। 

तब बिजली से डरा करते थे लोग

जब लोगों ने पहली बार बिजली से बल्ब को जलते हुए देखा, तो उन्होंने इसे किसी जादू से कम नहीं समझा था। उस समय लोगों को लगता था कि अंग्रेजों ने आग को एक कांच में कैद कर लिया है और वह इसे किसी जादूई शक्ति के रूप में मानते थे। उस समय बच्चों को बल्ब के आसपास जाना नहीं दिया जाता था। कुछ पुराने लेखों पर गौर करें, जब अंग्रेजों ने बिजली के खंभों को खेतों में लगाना शुरू किया, तो लोग इसे मिट्टी के लिए अपवित्र मानकर रातों-रात उखाड़ देते थे। 

1902 में बिजली से चलने लगे पंखे

भारत में पहली बार बिजली से चलने वाले पंखे कलकत्ता के घरों और कार्यालयों में पहुंचे थे। हालांकि, उस समय लोग पंखों को बहुत हैरानी से देखा करते थे। आलम यह था कि लोग डर की वजह से पंखे के नीचे नहीं बैठा करते थे। क्योंकि, लोगों को लगता था कि पंखे नीचे गिरकर काट देंगे। हालांकि, बाद में लोग इससे सहज होने लगे और गर्मी में इसकी आवश्यकता को देखते हुए अपनाने लगे। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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