दुनिया का सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की बात करें, तो भारत का नाम सबसे शीर्ष पर है। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, जिसे 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनाकर तैयार किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 75, 77 और 78 पर गौर करें, तो इसमें प्रधानमंत्री पद और कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी गई है।
भारत में प्रधानंमत्री कार्यकारी प्रमुख होता है, जो कि मंत्रिपरिषद् का प्रमुख भी होता है। देश में महत्त्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन हो या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिश्तों को मजबूत करने की बात हो, प्रधानमंत्री पद अहम होता है। भारत में अभी तक कुल 14 प्रधानमंत्री हुए हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री भी हैं, जिन्हें चिरंजीवी भी कहा जाता है। कौन हैं यह प्रधानमंत्री और क्या है इसके पीछे की वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
प्रधानमंत्री क्या होता है
प्रधानमंत्री देश का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है। देश में सभी काम राष्ट्रपति के नाम पर होते हैं, लेकिन शक्तियों का इस्तेमाल प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत बहुमत प्राप्त दल के नेता को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
प्रधानमंत्री द्वारा ही तय किया जाता है कि मंत्रीपरिषद् में कौन-कौन मंत्री शामिल होगा और उन्हें किस विभाग की जिम्मदारी दी जाएगी। यदि प्रधानमंत्री किसी मंत्री के कार्य से खुश नहीं है, तो वह उस मंत्री से इस्तीफे की मांग कर सकता है। वहीं, पीएम सदन का नेता होता है, जो कि सदन में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
किस पीएम को कहा जाता है चिरंजीवी
अब सवाल है किस पीएम को चिरंजीवी कहा जाता है। आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को चिरंजीवी कहा जाता है।
क्या होता है चिरंजीवी का अर्थ
चिरंजीवी का अर्थ लंबी आयु वाला या अमर होने से होता है। यह आसाधरण रूप से लंबे और स्वस्थ जीवन जीने के लिए कहा जाता है।
मोरारजी देसाई को क्यों कहा जाता है चिरंजीवी
मोरारजी देसाई को उनके लंबे और स्वस्थ जीवनकाल के लिए चिंरजीवी कहा जाता है। उनका जन्म 1896 में हुआ और 1995 में उनका निधन हो गया। वह उस दौर में 99 वर्ष तक जीवित रहे। इस वजह से उन्हें चिरंजीवी कहा जाता है।
4 साल में एक बार मनाते थे जन्मदिन
मोरारजी देसाई क जन्म 29 फरवरी, 1896 में हुआ था, जो कि एक लीप ईयर था। ऐसे में उनका जन्मदिवस साल में एक बार आता था। उन्होंने अपनी 80 वर्ष की आयु तक सिर्फ 20 बार ही जन्मदिवस मनाया था, जो कि उनके आसपास रहने वाले लोगों में चर्चा का विषय रहता था। वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न और पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान मिला है।
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