सुनामी वार्निंग सिस्टम क्या होता है और यह कैसे काम करता है?

Nov 5, 2019, 11:45 IST

सुनामी; भूकंप या पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट और पानी के नीचे भूस्खलन के कारण होने वाली विशाल लहरों की एक श्रृंखला होती है. सुनामी की पहचान के लिए डीप ओशेन ऐसेसमेंट एंड रिपोर्टिंग ऑफ़ सुनामी (DART) को पहली बार सन् 2000 के अगस्त महीने में शुरू किया गया था. डार्ट प्रणाली के माध्यम से जानकारी जुटाने के लिए बोटम प्रेशर रिकार्डर (बीपीआर) और समुद्री लहरों पर तैरती हुई एक डिवाइस को रखा जाता है. 

DART Tsunami Warning System
DART Tsunami Warning System

अभी दिसम्बर 2018 में इंडोनेशिया में आई सुनामी ने करीब 450 लोगों की जान ले ली है. अब चारों ओर इस बात की चर्चा है कि यदि इस देश के पास एक सटीक सुनामी वार्निंग सिस्टम होता और अन्य देशों ने समय रहते इसकी चेतावनी जारी कर दी होती तो बहुत से लोगों की जान बचायी जा सकती थी.

इस लेख में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर यह सुनामी वार्निंग सिस्टम क्या होता है और यह कैसे काम करता है?

सुनामी किसे कहते हैं?

सुनामी शब्द जापानी भाषा के दो शब्द ‘सु’ और ‘नामी’ से बना है. ‘सु’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘बंदरगाह’ और ‘नामी’ शब्द का ‘तरंग’है. अतः सुनामी का शाब्दिक अर्थ हुआ ‘बंदरगाह तरंग’.

सुनामी शब्द की रचना जापान के उन मछुआरों द्वारा की गई है, जिन्होंने कई बार खुले समुद्र में तरंगों का कोई विशिष्ट हलचल न होने पर भी बंदरगाह को उजड़ा देखा था. इसलिए उन्होंने इस घटना को ‘सुनामी’ अर्थात ‘बंदरगाह तरंगों’ का नाम दिया था.

सुनामी तरंगों की गति:

सुनामी तरंगों के तरंग-दैर्घ्य (लहर के एक शिखर के दूसरे शिखर के मध्य की दूरी) बहुत अधिक लगभग 500 किलोमीटर लम्बी होती हैं और सुनामी; लंबी अवधि की तरंगे होती हैं और इनकी अवधि दस मिनट से लेकर दो घंटे तक हो सकती है. सुनामी की तुलना में हवा द्वारा उत्पन्न तरंगों की अवधि पांच से दस सेकेंड और तरंग-दैर्घ्य 100 से 200 किलो मीटर हो सकती है.

ज्ञातव्य है कि सुनामी लहरों की गति किसी व्यक्ति के दौड़ने की गति से अधिक होती है.

सुनामी तरंगों की गति पानी की गहराई और गुरुत्वीय त्वरण (9.8 मीटर प्रति सेकेंड) के गुणनफल के वर्गमूल के बराबर होती है. जहां पानी अधिक गहरा होता है, वहां सुनामी तरंगे उच्च गति से संचरित होती हैं. प्रशांत महासागर में पानी की औसत गहराई लगभग 4000 मीटर है. उसमें सुनामी 200 मीटर प्रति सेंकड या 700 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती हैं.

TSUNAMI WAVE

गहरे समुद्र में सुनामी तरंग का तरंग-दैर्घ्य सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है लेकिन तरंगों का आयाम एक मीटर से कम होता है. इसलिए किसी हवाई जहाज़ से यह बीच समुद्र में नहीं दिखाई देती है. यही कारण है कि जहाज़ में सवार लोगों को इन तरंगों का अनुभव नहीं होता है. हालाँकि तरंगे जैसे-जैसे तट के समीप पहुँचती हैं, सुनामी की ऊंचाई बढ़ती जाती है.

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सुनामी पैदा होने के कारण

सुनामी, हवा या चंद्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण से उत्पन्न ज्वार नहीं है. सुनामी की उत्पत्ति के लिए भूकंप ही एकमात्र कारण नहीं है. इनकी उत्पत्ति समुद्र तल में अचानक आई विकृति एवं उसमें उत्पन्न ऊपरी जल स्तर में विस्थापन या उथल पुथल के कारण होती है. समुद्र तल में इसी तरह की विकृति भूकंप के कारण पैदा होती है.

सुनामी वार्निंग सेंटर कैसे काम करता है?

यह कोई नहीं जानता कि सुनामी कब और कहां आएगी, कितनी तीव्र आएगी? सुनामी के आने का न तो कोई सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और ना ही इसे रोका जा सकता है. लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक तकनीकें इजाद कर ली गयीं हैं जिनकी मदद से लगभग एक घंटे पहले तक सुनामी आने की सूचना प्राप्त की जा सकती है.

अलास्का में आई विध्वंसक सुनामी की विनाशकारी घटना के बाद अमेरिका के ‘नेशनल ओशेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) द्वारा सन् 1965 में अंतरराष्ट्रीय सुनामी चेतावनी प्रणाली (टीडब्ल्यूएस) की स्थापना की गई थी. इसकी स्थापना अमेरिकी सरकारी द्वारा की गई थी. टीडब्ल्यूएस के सुनामी चेतावनी केंद्र हवाई केंद्र हवाई द्वीप में है और यह केंद्र प्रशांत महासागर के मध्य स्थित है, जहां सुनामी अधिकतर आती रहती है.

प्रशांत महासागर चेतावनी प्रणाली में 150 भूकंप निगरानी एवं गेजों (प्रमापीयों) का जाल सम्मिलित है, जो समुद्र तल को मापता है. समुद्र तल में किसी भी असामान्य परिवर्तन की पता लगाने के लिए समुद्र तल को मापने वाले गेजों की निगरानी की जाती है.

हाल में विकसित डीप ओशेन ऐसेसमेंट एंड रिपोर्टिंग ऑफ़ सुनामी (DART) प्रणाली द्वारा सुनामी चेतावनी प्रक्रिया में काफी सुधार आया है. इस प्रणाली को पहली बार सन् 2000 के अगस्त महीने में शुरू किया गया था.

डार्ट प्रणाली के माध्यम से जानकारी जुटाने के लिए बोटम प्रेशर रिकार्डर (बीपीआर) युक्ति और समुद्री लहरों पर तैरती हुई एक डिवाइस को रखा जाता है. गहरे जल में स्थित बीपीआर से तैरती डिवाइस तक आंकड़े या सूचनाएं भेजी जातीं हैं. तैरती डिवाइस से आंकड़े या सूचनाओं को जियोस्टेशनरी ऑपरेशनल इन्वायरमेंटल सैटेलाइट डाटा कलेक्शन सिस्टम तक पहुंचाया जाता है. यहां से आंकड़े भूकेंद्र पर पहुंचते हैं और उन्हें 'राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन' - NOAA के माध्यम से तत्काल सुनामी क्रियाशील केंद्र को भेज दिया जाता है.

tsunami warning system

एकत्रित डेटा की मदद से कंप्यूटर आधारित गणितीय मॉडल का उपयोग कर, संभावित सुनामी की गति और दिशा की गणना की जाती है. इस गणना के आधार पर सुनामी के संभावित पक्ष में पड़ने वाले तटीय क्षेत्रों और मीडिया को सुनामी के बारे में चेतावनी दी जाती है और जान-माल को बचाने के प्रयास तेज कर दिए जाते हैं.

भारत में सुनामी वार्निंग सेंटर:

भारत में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (INCOIS) ने एक नया मॉडल विकसित किया है. इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर (ITEWC) की स्थापना इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन साइंसेज, (INCOIS - ESSO) में की गयी है जो कि हैदराबाद में स्थित है.

भारत ने अपना सुनामी वार्निंग सेंटर वर्ष 2007 में स्थापित किया था, जिसमें 85 करोड़ रुपये की लागत आई थी. भारत द्वारा बनाया गया सुनामी वार्निंग सिस्टम तीन लेवल में जानकारी देता है.  लेवल -1 एक सुनामी की तीव्रता को ट्रैक करता है और लेवल -2 संभावित सुनामी और लहरों की ऊंचाई के बारे में अलर्ट उत्पन्न करता है जबकि तीसरा लेवल यह बताता है कि समुद्र की सीमाओं का उल्लंघन करके पानी कितनी दूर तक जायेगा.

यह सेंटर चेतावनी जारी करने के लिए नेटवर्क से जुड़े उपग्रहों तथा गहरे समुद्र में लगाए गए तैरने वाले चिह्नों का इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान को भी भारत ही सुनामी की पूर्व चेतावनी दिया करता है.

ज्ञातव्य है कि हिन्द महासागर में सुनामी चेतावनी लगाने वाला भारत अकेला देश है.

पिछले 3 सालों में हिन्द महासागर में 7 से अधिक तीव्रता के कई भूकंप आये हैं और सभी मामलों में भारत के सुनामी वार्निंग सेंटर ने सुनामी आने के 10 मिनट पहले सभी सम्बंधित लोगों और संस्थाओं में इस बारे में जानकरी उपलब्ध करा दी थी.

सभी भूकंप सुनामी उत्पन्न नहीं करते हैं, इसलिए भूकंप की घटना पर आधारित चेतावनी सुनामी के संदर्भ में सही नहीं हो सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 1965 से की गई हर चार सुनामी भविष्यवाणियों में से तीन और भविष्यवाणियां गलत साबित हुई हैं. गलत चेतावनी का मतलब है अधिक कीमत चुकाना क्योंकि इससे संसाधनों और समय का अपव्यय होता है.

इसलिए अब समय की जरूरत यह है कि सभी देश सुनामी वार्निंग सिस्टम से प्राप्त जानकारी को अपने पडोसी देशों को उपलब्ध कराएँ ताकि जानमाल की क्षति को कम किया जा सके.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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