कैसे हुआ था महासागरों का निर्माण, जानें

अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि पृथ्वी के आंतरिक भाग से लगातार 'गैसों के निकलने' के कारण अरबों वर्षों में धीरे-धीरे महासागरों में गैस का संचय हुआ है। पृथ्वी का तापमान 212 डिग्री फारेनहाइट से नीचे गिरने तक पानी गैस के रूप में मौजूद था।

Apr 7, 2024, 13:04 IST
महासागरों का निर्माण
महासागरों का निर्माण

हमारा ग्रह पृथ्वी अंतरिक्ष से नीला दिखाई देता है। क्योंकि, पृथ्वी की सतह पर प्रचुर मात्रा में जल की उपस्थिति है। पृथ्वी की सतह का दो-तिहाई भाग (लगभग 71%) महासागरों से ढका हुआ है। पृथ्वी पर पांच महासागर हैं, अर्थात् आर्कटिक महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और दक्षिणी महासागर। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि महासागरों का निर्माण कैसे हुआ? यदि नहीं, तो यह इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

पृथ्वी के आंतरिक भाग से लगातार 'गैस निकलने' के कारण अरबों वर्ष पहले महासागरों का निर्माण शुरू हुआ। पृथ्वी का तापमान 212 डिग्री फारेनहाइट से नीचे गिरने तक पानी गैस के रूप में मौजूद था। आइये पृथ्वी की सतह पर महासागरों के निर्माण के दो संभावित तरीकों पर नजर डालें।  

जल वाष्प और संघनन

लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर कहीं भी तरल जल मौजूद नहीं था। पृथ्वी इतनी गर्म थी कि चट्टानें पिघल गयीं (वे तरल हो गयीं)। जब ज्वालामुखी विस्फोट हुआ, तो गैसों में से एक भाप (जलवाष्प) के रूप में बाहर निकली। जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी होती गई, जलवाष्प संघनित होकर लाखों वर्षों तक पृथ्वी की सतह पर बरसती रही। कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि इसी कारण से पृथ्वी की सतह पर पानी आया।

धूमकेतु, क्षुद्रग्रह और उल्कापिंड

धूमकेतु बर्फ और धूल के विशाल टुकड़े हैं, जो तारों और अन्य ग्रहों के निर्माण के बाद बचे रह गए थे। क्षुद्रग्रह बड़े चट्टान होते हैं, जिन्हें ग्रहिका या लघु ग्रह के नाम से जाना जाता है। ग्रहों और तारों के निर्माण के समय ये पीछे छूट गये।

जब कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसे उल्का कहा जाता है। आमतौर पर उल्काएं पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते समय जल जाती हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ टुकड़े बच जाते हैं। इन टुकड़ों को उल्कापिंड कहा जाता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि महासागरों में शेष पानी धूमकेतुओं, क्षुद्रग्रहों और उल्काओं से आया है।

कार्बोनेसियस कोंड्राईट(एक प्रकार का उल्कापिंड) में बहुत सारा पानी होता है। बीते वर्षों में वैज्ञानिकों ने पाया था कि कार्बोनेसियस कोंड्राइट्स में पाया जाने वाला पानी पृथ्वी पर पाए जाने वाले पानी से मेल खाता है।

जैसे ही पानी पृथ्वी की सतह पर विशाल गड्ढों में बह गया, महासागर अस्तित्व में आ गए और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पानी ग्रह से बाहर नहीं जा सका।

तो, विज्ञान के कुछ इन कारणों की वजह से माना जा सकता है कि महासागरों का निर्माण हुआ था। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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