Phone Number Tracking: आज के युग में मोबाइल फोन की महत्ता सबको पता है. कौन कब कहाँ किस हाल में है ये बात जानने के लिए बस एक कॉल काफी है. ऐसे में अगर कभी नेटवर्क की कमी के कारण फोन न लगे तो लेने के देने पड़ जाते हैं. और इसी समय काम आता है लोकेशन ट्रैकिंग एप. गूगल प्लेस्टोर और एपस्टोर पर मौजूद ढेरों ऐसे एप हैं जिसकी मदद से किसी की करंट या लाइव लोकेशन ट्रैक की जाती सकती है. इसके लिए कई अलग-अलग तरीके मौजूद है जिनसे जुड़ी जानकारी नीचे दी गयी है.
कैसे जान सकते हैं गूगल मैप की मदद से लोकेशन ?
वैसे तो इन्टरनेट की दुनिया में कई सारे लोकेशन ट्रैकिंग एप मौजूद है पर सबसे आसान और मुफ्त तरीका गूगल मैप है. बेहद ही आसान स्टेप्स की मदद से एंड्राइड यूजर्स अपने किसी भी परिचित की लोकेशन की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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— Google Maps (@googlemaps) July 29, 2022
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गूगल के इस अनोखे फीचर का इस्तेमाल करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स की मदद लें:
- एंड्राइड फोन में मौजूद GOOGLE MAPS एप को खोलें.
- अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर क्लिक करें.
- ‘Location Sharing’ के आप्शन को इनेबल करें.
- अब उस इंसान की प्रोफाइल को क्लिक करें जिसकी लोकेशन आप ट्रैक करना चाहते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि गूगल मैप की मदद से लोकेशन ट्रैक करने के लिए कंसेंट जरुरी है. इसका मतलब है कि जब तक आपके परिचित आपके साथ अपनी लोकेशन शेयर नहीं करते हैं तब तक आप उन्हें ट्रैक नहीं कर सकते हैं.
इसके अलावा आप अपनी लोकेशन से जुड़ी जानकारी को व्हाट्सएप की मदद से भी साझा कर सकते हैं. बस इन स्टेप्स को फॉलो करें:
- मेसेज बॉक्स में बने ‘Clip’ बटन को दबाएं.
- अब लोकेशन पर क्लिक करें.
- मैप पर अपनी मौजूद लोकेशन को कंपास की मदद से एक्यूरेट करे.
- सहूलियत के हिसाब से ‘Current Location’ या ‘Live Location’ के बीच चुनाव कर सेंड कर दें.
‘Spyware’ का इस्तेमाल करती है आर्मी और सरकार
‘Spyware’ जैसे कि नाम से समझ आता है, एक ऐसा सॉफ्टवेर है जो दूसरों की जासूसी करने के काम में आता है. ये सॉफ्टवेर किसी भी कंप्यूटर या मोबाइल में बिना इजाजत के प्रवेश करता है और उस सिस्टम की सारी जानकारियां दूसरों तक पहुंचाने का काम करता है.
इन एप का इस्तेमाल आम लोगों के बस की बात नहीं है. अक्सर कई देशों की मिलिट्री और सरकारें दुसरे देशों की खुफिया जानकारी को हासिल करने के लिए करती हैं. जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक ‘spyware’ के इस्तेमाल को ज्यादातर देशों ने गलत बताया है और इसे बन भी कर दिया है.
बीते कुछ समय पहले ‘पेगासस’ एप लोगों के बीच चर्चा का कारण बना हुआ था. दरअसल, यह भी एक स्पाइवेयर है, जिसकी मदद से किसी की जासूसी उसकी जानकारी के बिना की जा सकती है. ये सॉफ्टवेयर ना सिर्फ किसी के फोन या कंप्यूटर से डेटा चोरी करते हैं, बल्कि गुमराह करने के लिए गलत जानकारी भी देते हैं. ये जासूसी एप ज्यादातर किसी दुसरे एप को डाउनलोड करते वक्त खुद ही इंस्टाल हो जाते हैं.
पुलिस कैसे करती है लोकेशन ट्रैक ?
बॉलीवुड की फिल्मों या टीवी पर आने वाले अनेकों क्राइम सीरियल से आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि कानून के हाथ सच में लंबे होते हैं. और इन हाथों को मजबूती देती है नयी तकनीक. अक्सर आपने सुना होगा कि मुजरिम की लोकेशन ट्रैक कर ली गयी है. और इसके लिए वो किसी एप के बजाय मोबाइल नंबर या फिर IMEI ( International Mobile Equipment ID) नंबर का यूज़ करते हैं. टेलिकॉम कंपनी की मदद से पुलिस इस बात का पता लगाती है कि नंबर आखिरी बार किस सेल टावर के पास एक्टिव था और उसकी दुरी कितनी थी. इससे पुलिस टीम अपराधियों की लोकेशन की लगभग जानकारी मिल जाती है.
वैसे इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हर सिक्के के दो पहलु होते हैं. Phone Number Tracking के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. इसलिए जरुरी है की इन सुविधाओं का इस्तेमाल जनमानस की कुशलता के लिए समझदारी से किया जाए.
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