भारत के अलग-अलग राज्यों में हम अलग-अलग मकबरे देखने को मिल जाएंगे। इन मकबरों का महत्त्व न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि सांस्कृतिक और वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी ये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। साथ ही, ये मकबरे भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्त्वपूर्ण प्रतीक भी माने जाते हैं, जो कि शासकों के अंतिम विश्राम स्थली के रूप में मौजूद हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि तानसेन का मकबरा किस राज्य में स्थित है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। क्योंकि, यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
मकबरों का ऐतिहासिक महत्त्व
मकबरों के ऐतिहासिक महत्त्व की बात करें, तो ये भारत के विभिन्न शासकों और साम्राज्यों के इतिहास को दर्शाते हैं। उदाहरण के तौर पर देखें, तो ताजमहल, जो मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था, यह प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
-मकबरों की सांस्कृतिक विरासत
ये मकबरे एतिहासिक महत्त्व के साथ सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक हैं। सांस्कृतिक विरासत होने से इन मकबरों को विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाने में मदद मिली है, जिससे भारत की पहचान बनी है। उदाहरण के तौर पर देखें, तो हुमायूं का मकबरा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है।
-वास्तुकला और कला
भारत में मकबरों की वास्तुकला पर गौर करें, तो हमें इस्लामिक शैली की झलक देखने को मिलती है। वहीं, यदि सफदरजंग और गोल गुंबद पर नजर डालें, तो हमें इनकी अलग ही संरचनात्कम विशेषता दिखती है।
-पर्यटन और अर्थव्यवस्था
भारतीय मकबरे हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानियों का आकर्षित करते हैं। इससे भारत में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और आर्थिक विकास के पहिये को भी रफ्तार मिलती है। यही वजह है कि हर साल कई निजी और सरकारी एजेंसियां इन मकबरों का संरक्षण करती हैं।
कौन थे तानसेन
तानसेन का असली नाम रामतनु पांण्डेय था। उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानतम संगीतज्ञों में से एक माना जाता है। तानसेन का जन्म 1500 के दशक के प्रारंभ में ग्वालियर के पास स्थित ग्राम बेहट में हुआ था। वे मुगल सम्राट अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे और उन्हें संगीत सम्राट की उपाधि दी गई थी। इससे पहले वह राजा रामचंद्र सिंह के दरबार में थे, जहां उन्होंने संगीत का अभ्यास किया। बाद में, वह अकबर के दरबार में शामिल हुए।
किस राज्य में है तानसेन का मकबरा
तानसेन की मृत्यु 1585 में हो गई थी, जिसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मुहम्मद गौस की समाधि के पास दफनाया गया था। आज भी उनके मकबरे पर संगीत प्रेमी जुटते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यही वजह है कि संगीत की दुनिया में इस स्थान को महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
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