भारत ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अद्भुत तरक्की की है। इसकी बानगी हमें निर्माण क्षेत्र में भी देखने को मिलती है। इस क्षेत्र में भारत द्वारा विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल कर पुलों का निर्माण किया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में इकलौता पुल ऐसा भी है, जिसमें एक भी नट-बोल्ट या रिवेट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
इसके बावजूद भी यह पुल इतना मजबूत है कि इसके ऊपर टैंक व लड़ाकू विमानों को भी उतारा जा सकता है। यह भारत के सबसे मजबूत पुलों में से एक है। कौन-सा है यह पुल, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
कौन-सा है बिना नट-बोल्ट वाला पुल
भारत के असम में स्थित बोगीबील पुल इकलौता पुल है, जिसमें कहीं भी नट-बोल्ट या रिवेट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह अपने आप में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अद्भुत नमूना है।
वेल्डिंग तकनीक से बना है पुल
भारत में इकलौता पुल है, जो कि पूरी तरह से वेल्डिंग तकनीक से बना है। अमूमन सभी पुलों में नट-बोल्ट या रिवेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, बोगीबील पुल को पूरी तरह से वेल्डिंग से जोड़ा गया है। इसके लिए स्वीडिश तकनीक की मदद ली गई है। इस दौरान इटली से ही हैवी मशीन के माध्यम से इस पुल की वेल्डिंग की गई थी।
क्यों नहीं हुआ है नट-बोल्ट और रिवेट्स का इस्तेमाल
असम में जिस जगह पर यह पुल है, वह सिस्मिक जोन-5 में आता है। ऐसे में भूकंप के समय अधिक दबाव पड़ने की वजह से नट-बोल्ट या रिवेट्स टूट सकते हैं। हालांकि, वेल्डिंग की वजह से पुल को लचीलापन मिलता है, जिससे इसके टूटने का खतरा कम हो जाता है।
-नट-बोल्ट और रिवेट्स वाले पुल को रखरखाव की अधिक जरूरत होती है। क्योंकि, समय के साथ पुल के नट-बोल्ट ढीले पड़ जाते हैं, जिससे हादसे का खतरा रहता है। लेकिन, वेल्डिंग तकनीक में ऐसा नहीं होता है।
-पुल में नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं होने पर पुल का वजन कम हुआ है, जिससे पिलरों पर कम बोझ पड़ा है।
120 वर्ष है पुल की उम्र
इस पुल की उम्र को 120 वर्ष तक रखा गया है। अमूमन पुलों की उम्र 80 से 100 साल होती है। इस पुल को इतनी मजबूती से बनाया गया है कि इस पुल पर सेना के टैंक से लेकर लड़ाकू विमान को भी उतारा जा सकता है।
इस पुल के निचले हिस्से में रेलवे ट्रैक हैं, तो ऊपरी हिस्से में सड़क है। खास बात यह है कि इस पुल के में तांबे युक्त स्टील का इस्तेमाल किया गया है, वहीं, इसके ऊपर एल्यूमिनियम का स्प्रे किया गया है, जिससे यह ब्रहापुत्र नदी के नमी वाले हवा से खुद को जंग नहीं लगने देगा।
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