अस्थि रोग (Diseases of Bone) क्या है और यह कितने प्रकार का होता है

Nov 9, 2017, 18:14 IST

अस्थि रोग (Diseases of Bone) हड्डियों को प्रभावित करने वाली कोई भी बीमारी या चोट होती है और ये कई प्रकार की होती है जो मानव को प्रभावित करती है. इन बिमारियों के क्या परिणाम होते है और इन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है के बारे में इस लेख में अध्ययन करेंगे.

अस्थि रोग, मानव हड्डियों को प्रभावित करने वाली कोई भी बीमारी या चोट होती है. अस्थि रोग या हड्डियों के रोग और चोटें मानव कंकाल प्रणाली के असामान्यताओं के प्रमुख कारण हैं. हालांकि शारीरिक चोट, फ्रैक्चर का कारण बनती है, यह चोट बीमारी का रूप ले लेती है और इंसान पर हावी हो जाती है. फ्रैक्चर हड्डियों की बीमारी के कई सामान्य कारणों में से एक है.

List of diseases of bone
हड्डी की बीमारियों और चोटों को पहले ज्यादा मैकेनिकल माना जाता था न की मेटाबोलिक. हड्डी के बारे में मैकेनिकल और रासायनिक तौर पर बेहतर समझ, एक अधिक एकीकृत जैविक दृश्य को अनुमति देती है और हड्डी से जुड़ी हुई बीमारियों की अच्छी समज आती है ताकि समय से इलाज कराया जा सके. इस लेख में विभिन्न प्रकार के अस्थि रोगों के नारे में अध्ययन करेंगे.
विभिन्न प्रकार के अस्थि रोग (Diseases of Bone)
1. ओस्टियोमलेशिया एवं रिकेट्स (Osteomalacia and Rickets)

Rickets bone disease
Source:www.jointessential.com
क्या आप जानते है कि एक व्यस्क व्यक्ति को प्रतिदिन एक ग्राम कैल्शियम तथा 400-800 IU विटामिन-डी की जरुरत होती है. अस्थि के कैल्सीफिकेशन के लिए विटामिन-D की आवश्यकता होती है जो आंत से कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है. वयस्कों में कैल्शियम तथा विटामिन-D की कमी से, विशेषकर स्त्रियों में अस्थिम्रदुता (Osteomalacia) नामक रोग हो जाता है. जबकि बच्चों में इसके अभाव के कारण सूखा रोग (Rickets) हो जाता है.
2. ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)

Osteoporosis bone disease
‘आस्टियो’ का अर्थ होता है ‘अस्थि’ तथा ‘पोरस’ का ‘मुलायम’ या ‘छिद्रयुक्त’.  ‘ओस्टियोपोरोसिस’ अस्थि ढांचे का ऐसा रोग है जिसमें अस्थि सघनता के कम होने एवं अस्थिमज्जा की संरचना के ह्रास से हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं तथा उनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ओस्टियोपोरोसिस अस्थि पुननिर्माण प्रक्रिया से सम्बद्ध रोग है जिसमें अस्थियों का क्षय उनके निर्माण की तुलना में अधिक तीव्रता से होता है.
इस रोग में सम्पूर्ण कंकाल विशेषत: मेरुदण्ड प्रभावित होता है तथा कुब्जता (Kyphosis) की दशा प्रकट हो जाती है. ‘ बोन densitometer (हड्डी सघनता जांच-यंत्र) की सहायता से अस्थि-खनिज सघनता की जांच करने के पश्चात ओस्टियोपोरोसिस की पहचान की जा सकती है. इसके उपचार के निमित डाक्टर की सलाह से विटामिन-डी एवं कैल्शियम का सेवन करना चाहिए.

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3. सन्धि शोथ या गठिया (Arthritis)

Arthritis bone disease
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एक अथवा अनेक सन्धियों का शोथ सन्धि-शोथ (Arthritis) कहलाता है. यह किसी भी आयु के व्यक्ति में पाया जा सकता है. परन्तु सामान्यत: प्रौढ़ तथा वृद्ध व्यक्तियों में अधिक होता है. यह दो प्रकार का होता है: ऑस्टियो और रयूमेटायड अर्थराइटिस.
रयूमेटायड अर्थराइटिस एक प्रकार का polyarthritis  है जो bilateral  तथा सममित (Symmetrical) होता है. सर्वप्रथम यह शोध हाथ व अंगुलियों की लघु संधियों को प्रभावित करता है.
ऑस्टियो अर्थराइटिस एक प्रगामी (Progressive) रोग है जो प्रौढ़ावस्था व वृद्ध अवस्था में पाया जाता है. सामान्यत: यह अस्थि में केवल एक बड़े जोड़ को प्रभावित करता है.
अर्थराइटिस की स्थिति में रोगी को आराम की सलाह दी जाती है. औषधियों में एस्पिरिन या सस्टेरॉयड के प्रयोग की आवश्यकता पड़ती है. भौतिक चिकित्सा द्वारा संधि की गतियों को बनाये रखना जरुरी है. रोगियों को मोटापे पे नियंत्रण रखना चाहिए.
4. वैस्कुलर निक्रोसिस

Vascular Necrosis bone disease
Source: www.shantihomeoglobal.com
सामान्यत: बुढ़ापा आने का प्रारंभ जोड़ों के दर्द से ही होता है. यह एक ऐसी ही बिमारी है, जो जोड़ो में तीखे दर्द के कारण रोगी को एक तरह से अपाहिज ही बना देती है. यदि इस रोग की चिकित्सा अच्छी तरह से नहीं की गई, तो यह कुल्हे के अर्थराइटिस में परिवर्तित हो जाता है. फलत: रोगी का चलना-फिरना अत्यंत कठिन हो जाता है.
इस रोग का अंतिम इलाज जोड़ो के बदलाव के लिए की जाने वाली शल्य-चिकित्सा को ही माना जाता है. इससे कुल्हे को लाइलाज स्थिति तक पहुँचने से बचाने में सफलता मिल जाती है. कई शोध-अध्ययनों से पता चला है कि इस रोग के उपचार में ‘विसफोसफोनेट्स’ नामक औषधि काफी प्रभावी सिद्ध हुई है. इसका सेवन विशेषज्ञ-चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए. इस इलाज से मरीज को अब ऑपरेशन की जरुरत नहीं है.

उपरोक्त लेख से विभिन्न प्रकार के अस्थि रोग के बारे में पता चलता है और साथ ही इनका उपचार कैसे हो सकता है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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