ओलंपिक के 5 मुख्य स्तम्भ क्या हैं?

Jan 17, 2019, 12:41 IST

ओलंपिक खेलों का आयोजन हर 4 चार के अन्तराल पर किया जाता है. ओलंपिक खेलों को सबसे बड़ा खेल आयोजन कहा जाता है. ओलंपिक में पदक जीतना किसी भी खिलाडी के लिए सपना सच होने जैसा होता है. विश्व में सबसे पहले ओलंपिक खेलों का आयोजन एथेंस (ग्रीस) में 1896 में हुआ था जिसमें 14 देशों के 241 एथलीटों ने 43 प्रतियोगिताओं में भाग लिया था. अब तक कुल 31 बार ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जा चुका है. अगले ओलंपिक खेलों का आयोजन जापान के शहर टोक्यो में 2020 में किया जायेगा.

Olympic Ring & Indian Medalists
Olympic Ring & Indian Medalists

ओलंपिक खेलों का आयोजन हर 4 चार के अन्तराल पर किया जाता है. ओलंपिक खेलों को सबसे बड़ा खेल आयोजन कहा जाता है. ओलंपिक में पदक जीतना किसी भी खिलाडी के लिए सपना सच होने जैसा होता है. इस लेख में ओलंपिक से जुड़े 6 मुख्य स्तम्भ इस प्रकार हैं.

ओलंपिक के 6 मुख्य स्तम्भ

1. ओलंपिक के पांच छल्ले

ओलंपिक खेलों का चिन्ह आपस में जुड़े “5 छल्ले” है जो कि पांच प्रमुख महाद्वीपों (एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या ओसिनिया, यूरोप और अफ्रीका) को दर्शाते हैं. इन छल्लों को “पियरे डी कुबर्तिन” ने डिज़ाइन किया था,  जिन्हें आधुनिक ओलिंपिक गेम्स का सह-संस्थापक माना जाता है. उन्होंने 1912 में इनकी डिजाइन तैयार की थी और इन्हें 1913 में स्वीकार करके सार्वजानिक किया गया था.

ओलंपिक छल्लों के रंग इन महाद्वीपों को दिखाते हैं;

a. यूरोप के लिए नीला

b. एशिया के लिए पीला

c. अफ्रीका के लिए काला (काला रंग इसलिए क्योंकि अफ्रीका काफी पिछड़ा और गरीब है)

d. ऑस्ट्रेलिया या ओशिनिया के लिए हरा  

e. अमेरिका के लिए लाल

olympic moto continent

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2. ओलंपिक ध्वज

ओलंपिक ध्वज को आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक “पियरे डी कुबर्तिन” ने बनाया था. इस ध्वज की पृष्ठभूमि सफ़ेद है. सिल्क के बने ध्वज के मध्य में ओलंपिक का प्रतीक चिन्ह “पांच छल्ले” हैं.

3. ओलंपिक शुभंकर

शुभांकर का चयन ओलंपिक खेलों का आयोजन करने वाले मेजवान शहर द्वारा किया जाता है. यह शुभंकर ही इन खेलों की थीम को बताता है. ब्राजील में हुए रिओ ओलंपिक खेलों के शुभंकर का नाम “विनिसियस” था जो कि ब्राजील के महान संगीतकार विनिसियस डे मोरेस के प्रति सम्मान का सूचक है.

वर्ष 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों के शुभंकर को "मिराइटोवा" और "सोमेती" नाम दिया गया है.

tokyo olympic mascot

ओलंपिक मशाल

प्राचीन काल में खेल शुरू होने से पूर्व यूनान के ओलंपिया गाँव में मशाल सूर्य की किरणों से जलाई जाती थी. ओलंपिक मशाल जलाने की प्रथा 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक खेलों से फिर से शुरू की गयी थी.

जिस देश या महाद्वीप में ओलिंपिक होता है वहीँ ओलिंपिक मशाल को घुमाया जाता है. ओलिंपिक मशाल रिले ओपनिंग सेरेमनी वाले स्थान पर पहुंचाई जाती है और वहां उस देश की कोई महान हस्ती मुख्य स्टेडियम में उसे प्रज्ज्वलित करता/करती है.  

olympic torch amitabh

ओलंपिक का “मोटो”

ओलम्पिक के मोटो को सबसे पहले डोमिनिकन पुजारी हेनरी डिडोन ने 1881 में एक स्कूल खेल कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में पहली बार प्रयोग किया था. इस कार्यक्रम में “पियरे डी कुबर्तिन” भी मौजूद थे जिन्होंने इसे ओलंपिक के "मोटो" के रूप में अपनाया.

ओलंपिक का “मोटो” तीन लैटिन शब्दों से मिलकर बना है; “सिटियस, अल्शियस, फोर्तियस”

इनके अर्थ हैं- “और तेज, और ऊँचा, और साहसी”

olympic moto

सारांश के तौर पर यह कहना ठीक होगा कि ओलिंपिक खेलना और उसमें मेडल जीतना अपने आप में एक उपलब्धि है. लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश भारत का प्रदर्शन इस खेल महाकुम्भ में बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है. अभिनव बिंद्रा इस देश में अकेला व्यक्ति है जिसने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है हालाँकि हॉकी में भारत अब तक 8 गोल्ड मेडल जीत चुका है. इस लेख में दिए गए तथ्य लगभग सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए बहुत जरूरी हैं इसलिए इन्हें ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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