एलपीजी गैस सिलेंडर हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी रसोई का एक आवश्यक भाग है, जो भोजन पकाने में मदद करता है। लेकिन, इसका इस्तेमाल करते समय हमें बहुत सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक भी हो सकता है।
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क्या आपने डिलीवरी मैन से गैस सिलेंडर लेते समय हैंडलबार प्लेट के अंदर लिखे नंबर पर ध्यान दिया है, इस नंबर का मतलब क्या है? सिलेंडर पर क्यों लिखा होता है यह ? आइये इस आर्टिकल के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कभी-कभी गैस सिलेंडर से रिसाव हो सकता है और विस्फोट भी हो सकता है। गैस सिलेंडर का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। गैस सिलेंडर लेते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह कहीं से टूटा हुआ तो नहीं है।
गैस सिलेंडर पर नंबर का क्या होता है मतलब
क्या आपने कभी गौर किया है कि गैस सिलेंडर पर कोई नंबर या कोड लिखा होता है ? यह धातु की पट्टियों के अंदरूनी हिस्से पर लिखा होता है, जो सिलेंडर की बॉडी को ऊपरी रिंग या हैंडल से जोड़ती है। यह एक अल्फान्यूमेरिकल नंबर है, जिसमें A, B, C और D के बाद एक नंबर आता है। प्रत्येक अक्षर एक वर्ष की तिमाही को दर्शाता है।
जनवरी-मार्च तिमाही के लिए A
अप्रैल-जून तिमाही के लिए B
जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए C
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए D
सिलेंडर पर कोड में लिखा अक्षर परीक्षण का महीना बताता है और नंबर परीक्षण का वर्ष बताता है। उदाहरण के लिए: यदि सिलेंडर पर A24 लिखा है, तो इसका मतलब है कि इसे 2024 में जनवरी-मार्च के महीनों के भीतर अनिवार्य परीक्षणों के लिए बाहर निकालना होगा।
इसी तरह अगर सिलेंडर पर C25 लिखा हैस तो इसका मतलब है कि 2025 में जुलाई-सितंबर महीने के भीतर अनिवार्य परीक्षण किया जाना चाहिए।
यदि किसी उपभोक्ता को अक्टूबर माह में बी 23 अक्षर वाला सिलेंडर मिलता है, तो उसे डिलीवरी बॉय से इसे वापस लेने और दूसरा देने के लिए कहना चाहिए। क्योंकि, अनिवार्य परीक्षण नहीं किया गया है, लेकिन ऐसा कम ही होता है। साथ ही हमें सिलेंडर के वॉल्व की भी जांच करनी चाहिए कि कहीं वह लीक तो नहीं हो रहा है।
गैस सिलेंडर कैसे बनते हैं और कैसे होती है उनकी जांच
एलपीजी गैस सिलेंडर BIS 3196 मानक के अनुसार बनाया गया है। क्या आप जानते हैं कि केवल उन्हीं कंपनियों को गैस सिलेंडर बनाने का अधिकार है, जिनके पास BIS लाइसेंस है और CCOE यानी मुख्य विस्फोटक नियंत्रक से मंजूरी भी है।
सिलेंडर बनाते समय हर स्तर पर परीक्षण किया जाता है। बीआईएस कोड और गैस सिलेंडर नियम, 2004 के अनुसार, इसे बाजार में प्रसारित करने से पहले परीक्षण भी किया जाता है। 10 साल बाद सभी नए सिलेंडरों को बड़े परीक्षण के लिए भेजा जाता है। फिर 5 साल बाद इसी तरह टेस्टिंग की जाती है, जब गैस सिलेंडर दबाव परीक्षण पास कर लेता है, तभी सर्कुलेशन में लाया जाता है।
आमतौर पर एक सिलेंडर का जीवन 15 वर्ष होता है और उस दौरान दो बार अनिवार्य परीक्षण किए जाते हैं। हाइड्रो टेस्ट की मदद से सिलेंडर में पानी भरा जाता है और लीकेज की जांच की जाती है।
दूसरा वायवीय परीक्षण है, जहां आमतौर पर संग्रहीत दबाव की तुलना में पांच गुना अधिक दबाव लगाया जाता है। यदि सिलेंडर इनमें से किसी भी परीक्षण में विफल रहता है, तो उसे नष्ट कर दिया जाता है। प्रत्येक दिन उपयोग में आने वाले कुल सिलेंडरों में से 1.25% को परीक्षण के लिए निकाला जाता है और इनमें से एक छोटा प्रतिशत नष्ट कर दिया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि पूरी टेस्टिंग के बाद गैस सिलेंडर हम तक पहुंचता है, लेकिन डिलीवरी बॉय से गैस सिलेंडर लेते समय एक बार जांच कर लेने में कोई हर्ज नहीं है।
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