भारत सरकार ने देश के आर्थिक लेन देनों में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया नामक कार्यक्रम की शुरुआत 2015 में की थी. हालाँकि देश में भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), की स्थापना 2008 में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा की गयी थी.
NPCI के उद्येश्य (Objestives of NPCI)
NPCI के उद्येश्यों में भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को बुनियादी ढाँचा प्रदान करने का इरादा है. इसके अलावा यह भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली को बढ़ावा, खुदरा भुगतान प्रणालियों में नवाचार और तकनीकी सहायता देने का काम भी करता है.
वर्तमान में NPCI के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ 'ए पी होता' हैं जबकि चेयरमैन के पद पर M. बालाचंद्रन (NPCI chairman) हैं. इसकी अधिकृत पूंजी को रु. 3 बिलियन है और मुख्यालय मुम्बई में है.
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा शुरू किये गये उत्पाद इस प्रकार हैं;
1. रुपे (RuPay) कार्ड
2. भीम (Bharat Interface for Money) एप
3. तत्काल भुगतान सेवा (IMPS)
4. एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI)
5. राष्ट्रीय वित्तीय स्विच (NFS)
6. राष्ट्रीय स्वचालित क्लियरिंग हाउस (NACH)
7. नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility Card)
8. चेक ट्रंकेशन प्रणाली (CTS)
9. आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS)
10. *99 #
11.भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System)
12. आधार मैपर पर प्रश्न सेवा (*99**99#)
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की उपलब्धियां
भारत में UPI के माध्यम से हर महीने डिजिटल भुगतानों की संख्या 1 बिलियन के पार पहुँच चुकी है. ध्यान रहे कि UPI के माध्यम से अक्टूबर 2016 में यह भुगतान केवल ०.1 मिलियन रुपये था जो कि जनवरी 2020 में बढ़कर 1.3 बिलियन रुपये हो चुका है. यह उपलब्धि इतनी बड़ी है कि गूगल ने फ़ेडरल रिज़र्व बैंक ऑफ़ अमेरिका को लैटर लिखा है कि उन्हें भारत के डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में हुई तरक्की से खुछ सीखना चाहिए.
भारत में डिजिटल लेन देन की वृद्धि
भारत में डिजिटल लेन देन की वृद्धि दर 2020-2023 के बीच 18.3% वार्षिक रहने की उम्मीद है. अगर ऐसा होता है तो 2023 तक भारत में डिजिटल लेन देन की कुल राशि 134,588 मिलियन अमेरिकी डॉलर होगी जबकि 2020 में यह राशि 81197 मिलियन अमेरिकी डॉलर है.
केवल 2020 में भारत में 81,197 मिलियन अमेरिकी डॉलर का डिजिटल लेन देन हुआ है जिसमें डिजिटल कॉमर्स का योगदान 71,544 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है. अगर पूरे विश्व में डिजिटल लेन देन की बात की जाये तो चीन में अकेले 2020 में 1,928,753 मिलियन अमेरिकी डॉलर का डिजिटल लेन-देन हुआ है.
भारत में मोबाइल पीओएस पेमेंट्स सेगमेंट में, 2023 तक उपयोगकर्ताओं की संख्या 697.8 मिलियन होने की उम्मीद है जबकि 2020 में यह संख्या 487 मिलियन है.
भारत में डिजिटल लेन देन के बढ़ने से ग्रामीण इलाकों में E-कॉमर्स का विकास बहुत तेजी से हुआ है साथ ही डिजिटल देन देन की संख्या में वृद्धि से सरकार के कर संग्रह में भी वृद्धि हुई है.
उम्मीद है कि अगर इसी रफ़्तार से देश में डिजिटल लेन-देन का विकास होता रहा तो देश में रियल एस्टेट, जनरल बिजनेस की दुनिया में बहुत हद तक भ्रष्टाचार कम होगा और देश में काला धन बहुत कम पैदा होगा जो कि देश में इकॉनमी के लिए बहुत स्वास्थ्यकर होगा.
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