जानें क्या है व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) और इसका भारत में कितना उत्पादन होता है?

Apr 9, 2020, 16:29 IST

जब एक मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 से लड़ाई में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) की वैश्विक कमी की बात की थी, उस समय भारत में PPE का उत्पादन नहीं होता था लेकिन आज की तारीख में यह बढ़कर 12,000/दिन हो गया है. सरकार को उम्मीद है कि 25 अप्रैल तक इसका भारतीय उत्पदान 30 हजार यूनिट प्रति दिन हो जायेगा.

PPE Kit
PPE Kit

जिस तरह से मैदान-ए-जंग में हथियारों और गोला बारूद की जरूरत पड़ती है उसी तरह से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में, दवाओं, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE), अस्पतालों, डॉक्टर्स, नर्सेज और सफाई कर्मचारियों की जरूरत होती है.

जब 1 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 से लड़ाई में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की वैश्विक कमी की बात कही उस समय भारत में PPE का उत्पादन होता ही नहीं था और भारत पूरी तरह से आयात के सामान पर निर्भर था. 

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) क्या होता है? 

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) में दस्ताने, मास्क, गाउन, सिर का ढक्कन, रबर के जूते, चश्मा, फेसशील्ड इत्यादि शामिल होते हैं. इन सभी उपकरणों को प्रयोग डॉक्टर्स, नर्सेज, हेल्पिंग स्टाफ और सफाई कर्मचारी करते हैं ताकि वे कोरोना या किसी अन्य संक्रमण से सुरक्षित रहें.

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भारत में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) का उत्पादन

विश्व में सबसे ज्यादा PPE का उत्पादन चीन में होता है.लेकिन भारत भी इसके उत्पादन में बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है.

भारत में PPE उत्पादन क्षमता एक दिन में बढ़कर 12,000 हो गया है और अब से एक सप्ताह बाद प्रति दिन 20,000 इकाइयों को छूने की उम्मीद है. सरकार ने अनुमान लगाया है कि 25 अप्रैल तक पीपीई का उत्पादन एक दिन में लगभग 30,000 यूनिट होगा. 

यदि इसी गति से उत्पादन बढ़ता रहा तो इस महीने देश में लगभग तीन लाख पीपीई का उत्पादन किया जाएगा, जबकि आवश्यकता लगभग 1.5 करोड़ इकाइयों के करीब होगी. इस प्रकार उत्पादन और मांग के बीच अभी भी बड़ा अंतर है.

भारत में कौन कौन PPE का उत्पादन कर रहा है?

कपड़ा मंत्रालय, ऐसे भारतीय गैर-बुनाकर निर्माता सर्च कर रहा है, जो स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कोविड 19 से लड़ने के लिए एक उपयुक्त फैब्रिक विकसित करेंगे. फिर इसी उपयुक्त फैब्रिक की मदद से सुरक्षा किट बनाई जाएगी. ज्ञातव्य है कि भारतीय रेलवे भी इसके लिए फैब्रिक बना रहा है.

अब तक, 12 फैब्रिक निर्माता हैं जिन्होंने अपने प्रोटोटाइप के नमूने दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (SITRA) में प्रमाणित करवाए हैं.

इसके अलावा, देश में 25 उत्पादक हैं जो कि इस किट का उत्पादन कर रहे हैं, जिनमें शामिल हैं; आदित्य बिड़ला फैशन्स, शाही एक्सपोर्ट्स, जेसीटी फगवाड़ा, गोकुलदास एक्सपोर्ट्स, कुसुमगर इंडस्ट्रीज इत्यादि. इनके अलावा और भी कुछ उत्पादक हैं जो इस प्रोडक्शन लाइन को जल्दी ही ज्वाइन करेंगे.

PPE इतना जरूरी क्यों है?

WHO ने इस PPE किट के इस्तेमाल को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं और बताया है कि इसका उपयोग हॉस्पिटल स्टाफ के हर व्यक्ति को करने की जरूरत नहीं है. इसका उपयोग सिर्फ उन्ही लोगों के लिए बहुत जरूरी है जो कि कोविड 19 से संक्रमित लोगों के संपर्क में सीधे तौर पर आ रहे हैं अर्थात उनका इलाज कर रहे हैं.

दरअसल इस PPE किट का इस्तेमाल इसलिए ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि कोरोना वायरस एक बहुत ही खतरनाक वायरस जो कि थोड़ी सी असावधानी से फ़ैल जाता है और यदि इसका इलाज करने वाले डॉक्टर्स और नर्सें ही इस बीमारी की चपेट में आ जायेंगे तो फिर मरीजों का इलाज कौन करेगा?

देश के विभिन्न भागों से ऐसी ख़बरें आयीं थीं कि डॉक्टर्स और नर्सें इस किट के अभाव में मरीजों का इलाज करने से कतरा रहे हैं और विरोध प्रदर्शन भी कर रहे थे. लेकिन अब समस्या आयातित की गयीं PPE किट के माध्यम से हल हो गयी है और देश में भी लगभग 12 हजार PPE किट प्रतिदिन का उत्पादन किया जा रहा है जो कि इस माह के अंत तक तीन लाख पहुँच जायेगा.

उम्मीद है कि PPE किट के आने से कोरोना वारियर्स; कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई और भी मजबूती से लड़ेंगे और इस बीमारी को देश से भगाने में कामयाब होंगे.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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