जानें 'प्रोजेक्ट लायन' (Project Lion) के बारे में

15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट लायन का शुभारंभ किया जिसमें एशियाई शेर और इसके परिदृश्य का समग्र रूप से संरक्षण शामिल है. आइये इस लेख के माध्यम से प्रोजेक्ट लायन के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.

Nov 5, 2020, 14:34 IST
Project Lion
Project Lion

15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रोजेक्ट लायन की घोषणा की गई थी. 

प्रोजेक्ट लायन के बारे में 

यह प्रोजेक्ट एशियाई शेर के संरक्षण के लिए शुरू किया गया है, जिसकी अंतिम शेष जंगली आबादी गुजरात के एशियाई लायन लैंडस्केप में है. प्रोजेक्ट लायन के जरिये आवास विकास को बढ़ावा मिलेगा, लायन प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग होगा और उन्नत विश्वव्यापी अनुसंधान और पशु चिकित्सा देखभाल के माध्यम से लायन और उससे जुड़ी प्रजातियों में बीमारी के मुद्दों को भी संबोधित करेगा.

यह परियोजना मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी संबोधित करेगी और इसमें शेर के परिदृश्य के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाएगा और आजीविका के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे.

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 प्रोजेक्ट लायन चर्चा में क्यों?
‘प्रोजेक्ट लायन’ (Project Lion) के तहत कूनो-पालपुर (Kuno-Palpur) वन्यजीव अभयारण्य के अलावा 6 नए पुनर्वास स्थलों की पहचान की गयी है downtoearth.org के अनुसार.

6 नए स्थल जिन्हें सम्मिलित किया गया है वे इस प्रकार हैं:
1. माधव राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश
2. सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान
3. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, राजस्थान
4. गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश
5. कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान
6. जेसोर-बलराम अंबाजी वन्यजीव अभयारण्य और निकटवर्ती क्षेत्र, गुजरात

आखिर पुनर्वास क्यों?

शेरों के पुनर्वास संबंधी बातें वर्ष 1995 से जारी हैं जब कुनो वन्यजीव अभयारण्य को शेरों के वास हेतु एक वैकल्पिक स्थल के रूप में चिह्नित किया गया था. प्रजातियों के लिए एक पुनर्वास स्थल खोजने के पीछे मकसद यह है कि गिर में जीवों की आबादी में आनुवंशिक विविधता काफी कम है, इसलिए जीवों में इस क्षेत्र में महामारी के फैलने संबंधी खतरे अधिक हैं.

पहली बार, एशियाई शेर के पूरे जीनोम को CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद के वैज्ञानिकों द्वारा अनुक्रमित किया गया था. गिर शेरों के पूर्ण जीनोम अनुक्रमण ने उन्हें अन्य शेर आबादी की तुलना में आनुवंशिक विविधता की कमी दिखाई दी. इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए गुजरात और अन्य राज्यों में शेरों की आबादी को मुक्त बनाने के प्रस्ताव की मांग की गई.

शेरों की आबादी गुजरात के लगभग 30,000 वर्ग किमी के क्षेत्र में पायी जाती है और इसे एशियाई शेर परिदृश्य (Asiatic Lion Landscape– ALL) कहा जाता है . 2013 में,  सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के लिए एशियाई शेरों को कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था.

प्रोजेक्ट लायन से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 

- केंद्र सरकार से 97.85 करोड़ रुपये के बजटीय योगदान के साथ 'एशियाई शेर संरक्षण परियोजना ”शुरू की थी. मंत्रालय ने पहले तीन वित्तीय वर्षों- FY 2018-2019, FY 2019-2020, FY 2020-2021 के लिए परियोजना को मंजूरी दी थी. हालांकि, मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पहले यह योजना वित्त पहलू से संबंधित थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित प्रोजेक्ट लायन न केवल बढ़ी हुई अवधि और वित्त में फोकस करेगा, बल्कि एक प्रजाति के संरक्षण के लिए आवश्यक सभी मुद्दों को भी संबोधित करेगा.

- एशियाई शेर गिर के राष्ट्रीय उद्यान और गुजरात के सौराष्ट्र के आसपास के वातावरण तक सीमित हैं. गुजरात वन विभाग ने जून 2020 में अपनी जनसंख्या को 2015 में 29% - 523 तक बढ़ाकर 2020 में 674 करने का सुझाव दिया था.

- विभाग ने यह भी बताया कि सौराष्ट्र में शेरों के वितरण क्षेत्र में 36% की वृद्धि हुई है. 2015 में, यह 22,000 वर्ग किमी था जो अब 30,000 वर्ग किमी हो गया है.

एशियाई शेरों के बारे में

- यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेड सूची के अंतर्गत संकटग्रस्त (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध हैं.

- ‘भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के तहत अनुसूची-I में सूचीबद्ध हैं.

- भारत के गुजरात राज्य तक ही एशियाई शेरों की आबादी सीमित है. यह मुख्य तौर पर गिर के जंगलों और जूनागढ़, अमरेली तथा भावनगर ज़िलों में फैले कुछ अन्य संरक्षित क्षेत्रों में पाए जाते हैं.

14वीं जनसंख्या एशियाई शेरों का अनुमान -2015 (14th Population Estimates of Asiatic Lions -2015)

एशियाई शेर आबादी का अनुमान जंगली क्षेत्र में वन्यजीव प्रबंधन का एक अभिन्न अंग है जिसे ब्रुहद गिर (Bruhad Gir) के नाम से जाना जाता है. यह 8 जिलों में पड़ता है: जूनागढ़, गिर-सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाद, राजकोट, जामनगर और पोरबंदर. इसमें गिर राष्ट्रीय उद्यान और गिर, पनिया, मित्याला और गिरनार अभयारण्यों की तुलना में गिर संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क शामिल हैं.

Male: 109
Female: 201    
Subadult and Cubs: 213    
Total: 523

तो अब आपको प्रोजेक्ट लायन और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का ज्ञात हो गया होगा. उम्मीद करते हैं की यह जानकारी आपके ज्ञान को बढ़ाएगी और साथ ही अन्य परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेगी.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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